Wednesday 15 December 2021

सऊदी अरब के बाद अब किसी और के प्रमाणपत्र की क्या जरूरत



सऊदी अरब को इस्लाम का संरक्षक देश माना जाता है। दुनिया भर के मुसलमान जिस मक्का में हज करने जाते हैं वह यहीं स्थित है। इस देश की अर्थव्यवस्था में हज यात्रियों से होने वाली करोड़ों रु. की सालाना आय का बड़ा योगदान है। कच्चे तेल के अकूत भंडारों के कारण ये अरब जगत के सबसे समृद्ध मुल्कों में से एक है। यहाँ अभी भी राजतन्त्र है और शाही परिवार का ही देश पर शासन है। इस्लामी परम्पराओं और कानूनों का कड़ाई से पालन करने वाले इस देश में महिलाओं पर तरह-तरह की पाबंदियां थीं। हाल ही में सऊदी अरब सरकार ने 18 साल से ऊपर की लड़कियों को अकेले विदेश यात्रा करने, बिना अभिभावक की अनुमति के शादी करने, कार चलाने और महिला फ़ुटबाल लीग शुरु करने जैसी आजादी दी है। इसे इस्लामिक जगत में आये बड़े बदलाव के तौर  पर देखा जा रहा है क्योंकि इस्लाम के नाम पर सबसे कट्टर शासन इसी देश में  है। ये बात भी जगजाहिर है कि दुनिया भर में मस्जिदों के नवीनीकरण के साथ इस्लाम के फैलाव के लिए सऊदी अरब से बड़ी मात्रा  में जो आर्थिक सहायता आती है उसका उपयोग आतंकवादी संगठनों द्वारा होता है। ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी को पैदा करने का काम सऊदी अरब द्वारा ही किया गया था। उसके अलावा और भी इस्लामी आतंकवादी गुट उसकी मदद से पलते रहे हैं। दूसरी तरफ अरब जगत में सऊदी अरब ही वह देश है जिसके अमेरिका से बहुत करीबी रिश्ते रहे हैं। शाही परिवार के अरबों डालर अमेरिकन कम्पनियों  में निवेश होने की बात भी सर्वविदित है। इसे लेकर प. एशिया के अनेक कट्टर  इस्लामी देश सऊदी अरब के विरोध में भी आवाज उठाते  रहे है।  फिलिस्तीन का समर्थन करने के बावजूद सऊदी अरब ने इजरायल से रिश्ते सुधारने की पहल की जिसे बाद में यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) ने भी अपनाया। दरअसल बीते कुछ समय से सऊदी अरब अपनी कट्टर छवि को सुधारकर उदारवादी चेहरा दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश में जुटा हुआ है। महिलाओं को दी जा रही छूट के पीछे भी यही वजह मानी जा रही है। इस बारे में एक बात और जो सुनने मिली है वह है आगामी दस सालों में कच्चे तेल की मांग में आने वाली गिरावट। दुनिया भर में जिस तेजी से बैटरी चलित वाहनों का चलन बढ़ रहा है और पर्यावरण के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है उसे देखते हुए सऊदी शासकों को भी ये लगने लगा है कि धरती के भीतर से निकलने वाले कच्चे तेल रूपी जिस सोने  के बलबूते बीती एक सदी में उनका देश मालामाल हो गया उसकी मांग घटने के पहले ही आय के वैकल्पिक स्रोत तैयार कर लिए जावें। यूएई का उदाहरण उसके सामने है जिसने कच्चे तेल की बिक्री के अलावा अपने देश को पर्यटन और विदेशी निवेश के लिए खोलकर अनाप – शनाप कमाई से भविष्य के लिए मजबूत बुनियाद तैयार कर डाली। महिलाओं को सामाजिक तौर पर अनेक तरह की पाबंदियों से मुक्ति  देने के बाद सऊदी सरकार ने तबलीगी जमात नामक वहाबी संगठन को शुक्रवार की नमाज के पहले मस्जिदों से हट जाने का हुक्म देते हुए उसको आतंकवाद का द्वार निरूपित कर दिया। उल्लेखनीय है खुद सऊदी अरब इस्लाम में वहाबी धारा का पालक-पोषक माना जाता है। तबलीगी जमात की शुरुवात 1927 में भारत से हुई और आज भी इसका मुख्यालय भारत में ही है। गत वर्ष कोरोना के फैलाव के आरोप में इसके दिल्ली स्थित मुख्यालय पर छापा मारकर पूरे देश में जमातियों की धरपकड़ की गई थी। उन पर आरोप था कि दिल्ली स्थित मरकज में देश-विदेश के हजारों वहाबियों के जमा रहने से कोरोना फैला। बहरहाल सऊदी अरब का फैसला चौंकाने वाला है। तबलीगी जमात का काम पूरे विश्व में फैला हुआ है। यह एक तरह से इसाई मिशनरियों जैसा संगठन है जिसके सदस्य घूम – घूमकर इस्लाम का प्रचार करते हैं। इस संगठन की गतिविधियाँ  संदिग्ध मानी जाती रही हैं। लेकिन सऊदी अरब के समर्थन का ही नतीजा रहा कि भारत सरकार अब तक इस संगठन के मुखिया को पकड़ने  से बचती आ रही है। लेकिन अब जबकि सऊदी अरब जैसे कट्टर इस्लामिक देश ने ही तबलीगी जमात को मस्जिदें खाली करने का निर्देश देते हुए उसे आतंकवाद का द्वार बता दिया तब फिर किसी और प्रमाणपत्र की गुंजाईश ही कहाँ  बचती है। भारत में देवबंद नामक इस्लामिक केंद्र ने सऊदी सरकार के निर्णय को अमेरिका के दबाव का परिणाम बताते हुए कहा कि इस फैसले को वापिस लिया जाना चाहिए। लेकिन दूसरी तरफ खबर तो ये भी है कि अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान ने भी तबलीगी जमात का विरोध किया है। अब जहाँ तक भारत का सम्बन्ध है तो तबलीगी जमात पर शिकंजा कसने का यही सबसे सही अवसर है। इस संगठन की गतिवधियों को लेकर समर्थन और विरोध दोनों सामने आये हैं। भले ही ये अपने को शांतिप्रिय बताते हों लेकिन दिल्ली स्थित मरकज में पकड़े गये जमातियों ने जिस तरह का उत्पात मचाया और गिरफ्तारी से बचने यहाँ-वहां छिपते फिरे उसके कारण भी इस संगठन को लेकर आशंकाएं पैदा हुईं। सऊदी अरब द्वारा तबलीगी जमात को आतंकवाद का द्वार कहा जाना मामूली बात नहीं है। भारत सरकार को चाहिए वह सऊदी प्रशासन से तबलीगी जमात के विरोध में ऊठाये गए कदमों की वजह पता करे। इस्लाम के सबसे प्रमुख देश द्वारा ही जब तबलीगी जमात को आतंकवाद का द्वार बताते हुए मस्जिदों से हकाला जा रहा है तब भारत सरकार को भी सतर्क हो जाना चाहिये क्योंकि सऊदी अरब किसी वहाबी संगठन को आतंकवाद से जुड़ा बताये तो ये बात मायने रखती  है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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