Thursday 15 December 2022

फुटबाल विश्व कप में भारत की गैर मौजूदगी शर्मनाक



 
खेल प्रेमियों के सिर पर इन दिनों फुटबाल  का जादू सवार है | कतर में हो रहे विश्व कप का फायनल मुकाबला अर्जेंटीना और फ़्रांस के बीच होना है | संभवतः ये दुनिया में सबसे ज्यादा देखा जाना वाला  मैच होगा | वैसे भी फुटबाल विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल है जो  दुनिया के छोटे बड़े सभी देशों में  खेला जाता है | इसके सितारा खिलाड़ियों को पेशेवर क्लबों से करोड़ों रु. मिलते हैं | विश्व कप तो खैर चार बरस बाद होता है लेकिन यूरोप और दक्षिण अमेरिका के क्लबों के बीच चलने वाले मुकाबलों  के प्रति भी जबरदस्त दीवानगी देखने मिलती है | ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों में तो फ़ुटबाल के सितारा खिलाड़ी वहां के राष्ट्रीय महानायक माने जाते हैं | केवल संपन्न देश ही नहीं वरन आर्थिक दृष्टि से कमजोर छोटे – छोटे देश तक फुटबाल विश्व कप में अपने प्रदर्शन से खेल प्रेमियों का दिल जीत लेते हैं | कतर विश्व कप में भी अनेक छोटे देशों ने महारथियों को धूल चटाते हुए बड़े उलटफेर कर डाले | भारत में  विश्व कप के मैच देखने वालों की संख्या करोड़ों में होगी | देश के पूर्वी इलाके में फ़ुटबाल का काफी जोर है | यहाँ से अनेक अंतर्राष्ट्रीय ख़िलाड़ी निकले जिन्हें यूरोप के क्लबों में खेलने का अवसर भी मिला | एक ज़माने में कोलकाता में फ़ुटबाल की  दीवानगी क्रिकेट से ज्यादा  होती थी | मोहन बगान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग के नाम पूरे देश में जाने जाते थे | गोवा भी फ़ुटबाल का बड़ा केंद्र है | लेकिन भारतीय खेल प्रेमी ये देखकर निराश होते हैं कि फ़ुटबाल के विश्व कप में भारत का नाम कहीं नहीं है | उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1950 के विश्व कप में भारतीय टीम को खेलने की पात्रता मिल गयी थी | लेकिन उस समय तक भारतीय खिलाड़ी नंगे पाँव खेलते थे जिसकी अनुमति  आयोजकों ने नहीं दी | दूसरा कारण ये बताया जाता है कि फुटबाल संघ के पास आर्थिक संसाधन नहीं थे | लेकिन अब वह बात नहीं है | बावजूद उसके विश्व कप जैसे प्रतिष्ठित आयोजन में हमारी टीम  का न खेलना शर्मनाक है | इस बार के क्वालीफाइंग मैचों के दूसरे राउंड में ही हमारी टीम बाहर हो गई थी | हालाँकि पहले की अपेक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है | खिलाड़ियों का मनोबल और आर्थिक स्थिति भी पूर्वापेक्षा सुधरी है | ओलम्पिक खेलों के मद्देनजर जैसी तैयारी बीते कुछ सालों में की गयी उसके अच्छे परिणाम निकले और पदक तालिका में भारत नजर आने लगा | इसी तरह बैडमिन्टन के खेल में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति में सुधार किया है | हॉकी में  लंबे समय तक चले  निराशाजनक प्रदर्शन के बाद स्थिति बेहतर हुई  है  | वहीं  निशानेबाजी और मुक्केबाजी के अलावा भी कुछ मैदानी खेल हैं जिनमें भारत की मौजूदगी महसूस की जा सकती है | क्रिकेट का तो भारत सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है | आईपीएल के सफल आयोजन से इस खेल में भारत का डंका दुनिया भर में बज रहा है | लेकिन फ़ुटबाल में आज तक अपेक्षित परिणाम नहीं आना , सोचने को बाध्य करता है क्योंकि  सवाल विश्व कप में खेलने का न होकर देश की छवि से जुड़ा हुआ है | किसी भी देश की प्रतिष्ठा में खेलों में उसका प्रदर्शन काफी सहायक बनता है | एक जमाना था जब चीन वैश्विक बिरादरी से कटा  हुआ था | लेकिन जबसे उसे ओलम्पिक में भाग लेने का अवसर मिला उसने अपने को अमेरिका और रूस के मुकाबले खड़ा  करने पर ध्यान दिया जिसका अनुकूल परिणाम भी उसे मिला | दुर्भाग्य से हमारे देश में खेल संगठनों में राजनीति का अतिक्रमण जिस तरह हुआ उसने खेल और खिलाड़ियों को बहुत नुकसान पहुँचाया | फुटबाल भी उससे अछूती नहीं रही | यही वजह है कि इतने बड़े देश की टीम विश्व कप खेलने की पात्रता हासिल नहीं कर पाती | भारत सरकार का खेल मंत्रालय इस दिशा में काफी सक्रिय हुआ है | ये देखते हुए यह अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि 2026 में होने वाले अगले फुटबाल विश्व कप में हमारी टीम को हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा | लेकिन ये तभी संभव है जब अभी से इस बारे में युद्धस्तर पर तैयारी शुरू की जावे | संभावित युवा खिलाड़ियों को देश – विदेश जहाँ भी जरूरी हो समुचित प्रशिक्षण दिलवाने का प्रबंध किये जाने के साथ ही किसी विश्व स्तरीय कोच से अनुबंध कर उसकी सेवाएँ ली जावें | यदि सरकार और फुटबाल के पुराने खिलाड़ी तथा प्रशासक ठान लें तो अगले विश्व कप में भारतीय टीम बड़े उलटफेर करने लायक बन सकती है | एक समय था जब हमारे क्रिकेटर  तेज गेंदबाजों के सामने बचते फिरते थे |  नारी कांट्रेक्टर का तो कैरियर ही सिर में गेंद लग जाने के कारण खत्म हो गया | सत्तर  के दशक तक भारत के पास एकाध अपवाद छोडकर कोई ढंग  का तेज गेंदबाज नहीं था | उस वजह से हमारे बल्लेबाजों को भी तेज गेंदों का सामना करने  का अभ्यास न था | लेकिन आज हमारे पास विश्व स्तरीय तेज गेंदबाज भी हैं और बल्लेबाज भी | इसका कारण क्रिकेट पर दिया गया ध्यान है | हॉकी भी बीच में पतन के कगार पर पहुंच गई थी लेकिन उसके पुनरुत्थान  की कोशिशों का लाभ हुआ | ओलम्पिक की समयबद्ध तैयारी भी रंग लाने लगी है | इससे साबित होता है कि योजना  बनाकर खेलों का विकास किया जाना  संभव है | भारत सरकार को चाहिए वह अगले फ़ुटबाल विश्व कप के लिए अभी से तैयारी शुरू करे और  इसके लिए प्रायोजक और प्रशिक्षक भी तलाशे जावें | लेकिन इसे  जूनून की शक्ल देनी होगी | दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में 140 करोड़ की आबादी वाले देश का सम्मानजनक स्थान नहीं होना विचारणीय  है |


रवीन्द्र वाजपेयी 

No comments:

Post a Comment