Thursday 29 December 2022

कोरोना से डरने की जरूरत नहीं लेकिन लापरवाही महंगी पड़ सकती है



एक बात पूरी तरह साफ है कि भारत में कोरोना नए रूप में आ चुका है | चीन में हालात भयावह हो जाने के बाद हमारे देश में भी दहशत का माहौल बनने  लगा था | केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को भेजी गयी निर्देशिका और उसके बाद  चिकित्सा प्रबंधों को लेकर की गई माकड्रिल के कारण आम जनता के साथ ही व्यापार जगत में भी भय व्याप्त  होने लगा | 2020 और 21 की डरावनी यादों  ने लॉक डाउन की वापसी की आशंका पैदा कर दी | इक्का – दुक्का लोग मास्क लगाये भी नजर आने लगे | भीड़ भाड़ वाली जगहों में जाने से बचने की सलाह दी जाने लगी | माकड्रिल  के दौरान ये बात भी उजागर हुई कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लगाये गए अधिकतर आक्सीजन संयंत्र बंद पड़े थे | बहरहाल एक बात अच्छी है कि कोरोना के दो हमलों के दौरान चिकित्सा प्रबंधों में जो कमियाँ देखने मिली उन्हें समय रहते दुस्स्त करने की अक्लमंदी सरकार दिखा रही है | उससे भी अच्छी बात ये है कि जनसाधारण को भी कोरोना से बचाव के तौर - तरीके पता हैं | लेकिन इस जानकारी की वजह से भय का भूत खड़ा करने के बजाय सतर्कता ज्यादा जरूरी है | सबसे बड़ी बात है उद्योग – व्यापार जगत में घबराहट फैलने से रोकना क्योंकि बीते दो सालों में अर्थव्यवस्था को जो झटके लगे उससे वह काफी कुछ उबर चुकी है | अनेक क्षेत्रों में तो कोरोना पूर्व से भी अच्छी स्थिति नजर आने लगी है | चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही जानकारी के अनुसार कोरोना नए रूप में एक बार फिर सक्रिय हो उठा है | लेकिन वह पहले जैसा घातक नहीं होने से संक्रमित व्यक्ति अस्पताल में दाखिल हुए बिना भी साधारण इलाज से ठीक हो सकता है | अभी तक देश में जितने भी नए मामले कोरोना के आये  वे सब कुछ ही दिनों में ही  संक्रमण मुक्त हो गए | इक्का दुक्का को ही अस्पताल में भर्ती होने लायक समझा गया | हालाँकि इसी वायरस के कारण चीन में स्थितियां भयावह रूप ले चुकी हैं | अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने से अफरातफरी का माहौल है | दवाओं की आपूर्ति नहीं होने से उनकी कालाबाजारी होने की खबरें भी आ रही हैं जो साम्यवादी शासन प्रणाली वाले देश में चौंकाने वाली बात है | लेकिन भारत में चूंकि टीकाकरण समय पर और पर्याप्त संख्या में होने के बाद बूस्टर डोज भी ज्यादातार लोगों को लग चुका है इसलिए कोरोना का प्रकोप पूर्वापेक्षा गंभीर शायद नहीं होगा | लेकिन वैक्सीन लगने के बाद व्यक्ति कोरोना से स्थायी तौर पर सुरक्षित रहेगा ये खुशफहमी भी जानलेवा हो सकती है | इसलिए भयाक्रांत हुए बिना साधारण सतर्कता बरतने मात्र से इस संकट से बचा जा सकता है | बीते कुछ दिनों में ही पूरे देश में हजारों लोगों के संक्रमित होने के बाद चिकित्सा विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि जनवरी माह से संक्रमण में तेजी आयेगी  | विदेशों से आने वाले यात्रियों की जाँच से भी नए मामले सामने आ रहे हैं | ये सब देखते हुए हर किसी को चाहिए वह अपना  और अपने परिवार का ध्यान रखे | व्यक्तिगत दायित्वबोध ही अंततः सामूहिक संस्कार बन जाता है | कोरोना के पिछले दोनों हमलों में भारत की जनता ने अद्वितीय अनुशासन और धैर्य का जो परिचय दिया उसका ही परिणाम था कि भारत ने अमेरिका , ब्रिटेन और इटली जैसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं वाले देशों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया | इसलिए हमें घबराने की जरूरत तो नहीं है किन्तु ये मानकर भी नहीं बैठना चाहिए कि वायरस जितना आज कमजोर नजर आ रहा है उतना ही आगे भी बना रहेगा | इसलिए जनवरी महीने में उसका फैलाव  होने के पहले ही यदि सामूहिक तौर पर सावधानी रखी जाए तो इस कथित तीसरी लहर से भी आसानी से निपटा जा सकेगा | पिछले अनुभवों ने हमें काफी कुछ सिखाया है जिसकी वजह से कोरोना का सामना करने के प्रति हमारा आत्मविश्वास प्रबल है लेकिन जरा सी लापरवाही नुकसानदेह हो सकती है | कोरोना के इस दौर में हमें केवल लोगों की जान की नहीं अपितु अर्थव्यवस्था की चिंता भी करनी होगी | सरकार ने इसीलिये कहा है कि वह अपनी तरफ से किसी भी प्रकार के प्रतिबंध नहीं लगाएगी | ऐसे में जनता की जिम्मेदारी और  भी ज्यादा बढ़ जाती है | कोरोना की ये लहर कब तक चलेगी ये तो पक्के  पर कोई भी नहीं बता सकता | ये भी हो सकता है कि वह थोड़े अन्तराल के बाद नए - नए रूप में लौटकर आता रहे | हालाँकि कोई भी महामारी एक सीमा के बाद अपनी तीव्रता खो बैठती है लेकिन कोरोना के उदय के प्रति ये आशंका शुरू से ही व्यक्त की जाती रही है कि वह मानव निर्मित है | यदि ऐसा है तब तो सारे अनुमान हवा – हवाई साबित होते रहेंगे | इसलिये नए साल का जश्न मनाते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि रंग में भंग वाली स्थिति  न बने | मकर संक्रांति से शादियों  का मौसम शुरू हो जाएगा | साल के अंत में देश भर के पर्यटन केन्द्रों में भारी भीड़ की खबरें हैं | इसीलिए जनवरी में संक्रमण के बढ़ने की बात कही जा रही है | सरकार ने अपनी तरफ से लोगों को सतर्क कर दिया है | चिकित्सा  विशेषज्ञ भी लगातार नवीनतम जानकारियाँ दे रहे हैं | अब ये जनता के ऊपर है कि वह अपने स्तर पर कितनी जिम्मेदारी का परिचय देती है | 


: रवीन्द्र वाजपेयी 

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