Wednesday 21 December 2022

चीन में कोरोना का तांडव भारत के लिए भी चिंता का विषय



चीन से आ रही खबरें खतरे का संकेत हैं | कोरोना वहां जबरदस्त कहर ढा रहा है | ताजा जानकारी के अनुसार आधी से ज्यादा आबादी इसकी चपेट में हैं | जिनपिंग सरकार अपने देश में जीरो कोविड की नीति लागू कर महामारी के फैलाव को छिपाना चाहती थी | उसके तहत करोड़ों लोगों को घर , दफ्तर या कारखाने में ही अवरुद्ध कर दिया गया | लेकिन उसके विरुद्ध जब जनता सड़कों पर उतरने लगी तो राष्ट्रपति जिनपिंग को झुकना पड़ गया | परिणामस्वरूप प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी | लोगों का मेल - मिलाप भी शुरू हो गया और  बाजारों में चहल पहल लौटने  लगी | लेकिन एक महीने से भी कम समय में कोरोना का प्रकोप तेजी से फैला और अब ऐसा अलग रहा है कि चीन का समूचा शासन तंत्र असहाय होने लगा है | हालाँकि टीकाकरण के मामले में जिनपिंग सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को जो आंकड़े दिए उनके मुताबिक चीन में अब तक कोरोना संबंधी वैसी  ही प्रतिरोधक क्षमता ( हर्ड इम्युनिटी ) विकसित  हो जानी चाहिए थी जिसका अनुभव भारत में किया गया | सही बात ये है कि कोरोना का जो टीका चीन द्वारा विकसित किया गया वह घटिया किस्म का होने से कारगर साबित नहीं हुआ | उससे भी बड़ी बात ये रही कि जिनपिंग विश्व बिरादरी में अपनी छवि ख़राब होने के भय से महामारी  संबंधी जानकारियाँ शुरु से ही छिपाते आये | दुनिया के अनेक विकसित देशों ने अपनी कोरोना वैक्सीन का उत्पादन भारत में करवाया , क्योंकि वह  पहले से ही इस क्षेत्र  में अग्रणी था | यही नहीं तो हमारे वैज्ञानिकों द्वारा तैयार वैक्सीन खरीदने में भी झिझक नहीं दिखाई परन्तु चीन इस मामले में अलग – थलग बना रहा | कोरोना पीड़ितों की संख्या  छिपाने के साथ ही उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपनी उन प्रयोगशालाओं का ठीक से निरीक्षण नहीं करने दिया जिनके बारे में ये संदेह था कि उनमें कोरोना का वायरस तैयार कर दुनिया भर में फैलाया गया | संक्रमित लोगों की सही संख्या पर पर्दा डालकर रखने के कारण जिनपिंग सरकार भारत या अन्य किसी देश से वैक्सीन खरीदने का साहस नहीं दिखा सकी | ये भी पता चला है कि चीन में वैक्सीन लगाये जाने की व्यवस्था आज तक कायम नहीं हो पाई | वरना ढाई साल बाद भी स्थिति इस हद तक न बिगड़ती | बहरहाल अब जो हालत सामने आ रही है वह इसलिए और चिंताजनक है क्योंकि चीन ने अपने यहाँ आवाजाही पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने की बजाय अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की संख्या में वृद्धि कर दी है | ऐसा किये जाने से ये संदेह पुख्ता हो रहा है कि वह  जान बूझकर ऐसा कर रहा है | 2020 में जब कोरोना की पहली लहर आई थी तब भी सुनने में आया था कि चीन ने जान बूझकर कोरोना संक्रमित कुछ  लोगों को इटली के उन पर्यटन  स्थलों पर भेजा जहाँ यूरोप के सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं | उसके बाद इटली में कोरोना के कारण बड़े पैमाने पर मौतें हुईं | यहाँ तक कि ताबूत कम पड़ गए | उल्लेखनीय है इटली की चिकित्सा सेवा विश्व भर में श्रेष्ठ मानी जाती है | चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना पूरी दुनिया में फैला तब शायद जिनपिंग और उनके सलाहकार ये सोचकर खुश थे कि  मानवता को खतरे में डालकर उनका देश विश्व का सरताज बन जाएगा | लेकिन दूसरों के लिए खोदे गए गड्ढों में जब खुद गिरने लगा तब उसे होश आया लेकिन  बहुत देर हो चुकी थी | चीन की गिनती विश्व के विकसित देशों में होती है | आर्थिक , सामरिक और वैज्ञानिक दृष्टि से वह अमेरिका को टक्कर देने की स्थिति में आ गया था | लेकिन बीते  दो ढाई साल में उसकी प्रगति का चक्र उल्टा घूमने लगा जिसका बड़ा कारण कोरोना की रोकथाम करने में उसकी विफलता ही है | कहते हैं जिन प्रयोगशालाओं में कोरोना का वायरस तैयार करवाया गया वहां आज भी उसके अंश विद्यमान हैं जिन्हें चीन के वैज्ञानिक लाख कोशिशों के बावजूद भी नष्ट नहीं कर पा रहे | और उन्हीं की वजह से कोरोना वहां स्थायी तौर पर जम गया है | मौजूदा हालात में तो कोरोना चीन के लिए जानलेवा बन रहा  है | ये आशंका भी है कि  तत्काल बचाव के अचूक उपाय न किये गए तो आने वाले कुछ महीनों में देश में लाशों के अम्बार लग सकते हैं | हालाँकि जिनपिंग सरकार की कोशिश है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप की जानकारी वैश्विक स्तर पर न फैले लेकिन विभिन्न सूत्रों से आ रही खबरें हालत बिगड़ने की पुष्टि कर रही हैं | भारत के लिए भी ये चिंता का कारण है क्योंकि व्यापार के कारण दोनों देशों के भीतर आवाजाही होती है | यदि एक भी संक्रमित देश में आ गया तब कोरोना की नई लहर को रोकना मुश्किल होगा | बेहतर रहेगा यदि केंद्र सरकार राज्यों  को विश्वास में लेकर अभी से एहतियाती इंतजाम करे क्योंकि टीकाकरण हो जाने के बाद लोगों में कोरोना से बचाव करने के बारे में लापरवाही देखी जाने लगी  हैं | मास्क और शारीरिक दूरी का पालन पूरी तरह लुप्त हो चुका है | ये देखते हुए सतर्कता बरतने के लिए लोगों को प्रेरित करने का अभियान शुरू हो जाना चाहिए | टीकाकरण की सफलता निश्चित रूप से उत्साहवर्धक है लेकिन पड़ोस में फूटे ज्वालामुखी का लावा हमें भी झुलसा सकता है | पिछली गलतियाँ दोहराने से बचते हुए समय रहते तैयारी जरूरी  है | वैसे भी कोरोना दुनिया के अनेक हिस्सों में बना हुआ है | विदेशी सैलानियों के जरिये इसकी वापसी हो सकती है | इसलिए चीन के समस्याग्रस्त होने पर खुश होने से ज्यादा जरूरी समय रहते अपना बचाव कर लेना है |

रवीन्द्र वाजपेयी 

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