Thursday 1 December 2022

जी - 20 साख बढ़ाने और धाक जमाने का सुअवसर




यद्यपि आम जनता को इससे कुछ भी  लेना - देना नहीं है लेकिन जी - 20 नामक समूह की अध्यक्षता प्राप्त होना भारत के लिए कूटनीतिक महत्व के साथ ही सम्मान का विषय है | हालाँकि सं.रा.संघ जैसी मान्यता इसे नहीं है  लेकिन जिस समूह में अमेरिका ,  कैनेडा , ब्रिटेन , फ्रांस ,ऑस्ट्रेलिया , चीन , जर्मनी , रूस , सऊदी अरब, ब्राजील , इटली , जापान , दक्षिण कोरिया , यूरोपीय यूनियन , अर्जेंटीना , इंडोनेशिया और मेक्सिको जैसे देश शामिल हों उसे  एक तरह से विश्व समुदाय की आवाज कहना गलत न होगा | पर्यावरण , व्यापार , आपसी सम्बन्ध जैसे मुद्दों पर यह समूह बीते कुछ समय से तेजी से उभरा है | इसकी अध्यक्षता हर साल किसी नए देश को मिलती है और उस दृष्टि से ये भारत का साल है | आज से यह कार्यकाल शुरू हो रहा है | यद्यपि अतीत में भारत गुट निरपेक्ष और सार्क जैसे संगठनों की अध्यक्षता कर चुका है लेकिन उनकी अपेक्षा जी – 20 एक बड़ा समूह है जिसमें विश्व की लगभग सभी आर्थिक और सैन्य शक्तियां शामिल हैं | उससे भी महत्वपूर्ण ये है कि इसमें अमेरिका और रूस जैसे देश हैं जिनके बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं | इसी तरह चीन के साथ जापान और आस्ट्रेलिया के रिश्ते भी बेहद तनावपूर्ण हैं | बावजूद इसके इन सबका एक साथ रहना इस बात का संकेत  है कि आज की दुनिया में आपसी मतभेदों के बावजूद एक साझा मंच पर आना वैश्विक शांति के साथ दुनिया के लोगों के बेहतर जीवन के लिए कितना जरूरी है | हालाँकि ये सवाल भी उठता है कि जब सं.रा. संघ जैसा संगठन विश्व समुदाय का सबसे बड़ा मंच है तब  सीमित संख्या वाले इस समूह की क्या जरूरत है ? लेकिन  सं.रा.संघ का गठन दूसरे विश्व युद्ध के उपरांत उत्पन्न परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में हुआ था जिसका मुख्य उद्देश्य युद्ध से मानवता को बचाना था | वह उस मकसद में कामयाब तो हुआ लेकिन ये कहना भी  गलत न होगा कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य उस पर हावी हो गये हैं जिससे विश्व शांति के लिए आवश्यक अनेक फैसले लंबित पड़े रहते हैं | ये स्वीकार करने में कुछ भी गलत नहीं है कि इस विश्व संगठन ने दुनिया के गरीब देशों की मदद हेतु यूनेस्को और यूनीसेफ जैसे संगठन बनाकर सराहनीय कार्य किया लेकिन आतंकवाद  पर उसकी लाचारी खुलकर सामने आती रही है | पाकिस्तान जैसे  देश पर नकेल कसने में भी उसकी भूमिका प्रभावहीन  है | इसके अलावा आर्थिक विषमता को दूर करने में भी सं.रा.संघ की उपयोगिता लगभग न के बराबर रही है | इसका सबसे बड़ा कारण वे पांच देश हैं जिनके पास वीटो का अधिकार होने से वे अपने हितों के विरुद्ध होने वाले किसी भी फैसले में रूकावट बन जाते हैं | सबसे बड़ी बात ये है कि अब दुनिया आर्थिक विकास के प्रति ज्यादा चिन्त्तित  हो चली है | विश्व व्यापार संगठन ने दुनिया को एक बड़ी मंडी  बना दिया  जिसमें छोटे – बड़े सभी देश या तो व्यापारी बनकर आते हैं या खरीददार | सं.रा.संघ का जो ढांचा है उसमें  व्यापार और आपसी रिश्तों के बारे में वह ज्यादा कुछ नहीं कर पाता | और इसीलिये जी - 8 और जी – 20 जैसे संगठन अस्तित्व में आये | ब्रिक्स और सार्क भी इसी श्रेणी के हैं | क्वाड भी हाल ही में प्रकाश  में आया | इनके अलावा भी अनेक क्षेत्रीय संगठन हैं किन्तु आज की स्थिति में जी – 20 को यदि विश्व का सबसे ताकतवर संगठन कहें तो गलत न होगा जो  न सिर्फ शान्ति वरन व्यापार की दृष्टि से भी विश्व का नेतृत्व करने की पात्रता रखता है | ये देखते हुए भारत को उसकी अध्यक्षता करने का जो अवसर मिला है वह इसलिये काबिले गौर है क्योंकि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितयों में एक ऐसे नेतृत्व की  जरूरत दुनिया को है जो संतुलन बनाकर चलने की सामर्थ्य रखता हो और जिसमें महाशक्ति कहलाने वाले देशों के सामने सिर ऊंचा रखने का साहस हो | कोरोना संकट के समय भारत ने मानवता की रक्षा के लिए जो योगदान दिया उसका लोहा पूरी दुनिया ने माना | उसके बाद आई आर्थिक मंदी से भी भारत जिस तरह से निपट रहा है उसकी वजह से उसकी तरफ दुनिया आकर्षित है | यूक्रेन संकट ने तीसरे विश्व युद्ध का जो खतरा पैदा कर दिया है | सं.रा.संघ की  भूमिका इस संकट को रोकने के प्रति बेहद लचर साबित हुई है | लेकिन भारत ने तटस्थ रहने के बाद भी जिस तरह से युद्ध रोकने की अपील दोनों पक्षों से की वह साधारण बात नहीं है | सबसे महत्वपूर्ण ये रहा कि इस हमले का समर्थन न करने पर भी रूस के साथ भारत के आर्थिक और सैन्य संबंध बने हुए हैं और यूक्रेन ने भी हजारों भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकलने में भरपूर सहायता दी | आतंकवाद से लड़ने के हमारे प्रयास पूरे विश्व में प्रशंसित हुए हैं | यूक्रेन के बाद अब ताइवान पर वैसा ही हमला चीन द्वारा किये जाने की आशंका है | दूसरी तरफ कोरोना के बाद वैश्विक स्तर पर आर्थिक उथल - पुथल मची है | अनेक संपन्न  देशों का अर्थतंत्र डगमगा गया है | चीन की आंतरिक स्थिति किसी बड़े घटनाचक्र का संकेत दे रही है | पाकिस्तान भी अंदरूनी तौर पर जर्जर है | ये सब देखते हुए जी  – 20 की अध्यक्षता भारत के लिए अपनी नेतृत्व क्षमता और कूटनीतिक कौशल के प्रदर्शन का  एक स्वर्णिम अवसर है। आर्थिक मोर्चे से आ रही खबरों से ये साबित हो रहा है कि जब यूरोप के अनेक विकसित देश मंदी के शिकार हो चुके हैं तब भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत पांवों पर खडी है | राजनीतिक स्थायित्व भी उसके प्रभाव को बढाने में सहायक है | इस आधार पर ये उम्मीद करना गलत न होगा कि जी – 20 की अध्यक्षता भारत के लिए एक सुअवसर है वैश्विक बिरादरी में अपनी साख बढ़ाने  और धाक जमाने का | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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