Friday 30 December 2022

फ़ुटबाल के निर्विवाद सर्वकालीन महानायक पेले



जिस तरह सर डॉन ब्रेडमेन क्रिकेट और  मेजर ध्यानचंद हॉकी के सर्वकालीन महान खिलाड़ी माने जाते हैं ठीक उसी तरह ब्राजील के पेले को निर्विवाद रूप से फुटबाल का  महानतम खिलाड़ी कहना गलत नहीं होगा | 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया | 10 नम्बर की जर्सी पहनकर मैदान में जब वे उतरते तो दर्शकों का उत्साह देखने लायक होता था | अपने कलात्मक खेल के बदौलत उन्होंने ब्राजील को तीन विश्व कप जितवाए थे | एक दौर ऐसा था जब फ़ुटबाल और ब्राजील समानार्थी हो गए थे जिसका श्रेय काफी हद तक उनको दिया जा सकता है | यही नहीं तो फ़ुटबाल पर यूरोपीय देशों की बादशाहत खत्म करते हुए उसे लैटिन अमेरिकी देशों में राष्ट्रीय खेल के रूप में स्थापित करने में पेले का योगदान इस खेल के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है | जिस तरह ब्रेडमेन और ध्यानचंद को उनके नैसर्गिक खेल के लिए याद किया जाता है ठीक वैसे ही पेले के पांवों की  चपलता को दैवीय उपहार माना गया था | अपने लंबे खेल जीवन में वे  साफ़ सुथरे खेल के लिए ही जाने गए इसीलिये  उनका खेल आनन्दित करने वाला होता था | 128 अंतर्राष्ट्रीय गोल का  रिकॉर्ड उनके  नाम पर अंकित है | 1958 में महज 17 साल की उम्र में स्वीडन के  विरुद्ध विश्व कप के फायनल मैच में  2 गोल मारने वाले पेले वह कारनामा करने वाले सबसे कम के उम्र के खिलाड़ी बने | उनकी महानता के मद्देनजर उन्हें ब्राजील का खेल मंत्री  भी बनाया गया था | वे  पेशेवर खिलाड़ी भी रहे और उन्होंने फुटबाल से पैसा भी खूब कमाया किन्तु आम आदमी के इस मैदानी खेल को उनका योगदान साफ़ – सुथरा और कलात्मक प्रदर्शन रहा | आजकल इस खेल के जो अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं उनकी ख्याति उन्हें मिलने वाली पारिश्रमिक की राशि से होती है जबकि पेले की लोकप्रियता उनके व्यक्तित्व और खिलाड़ी भावना के कारण बढ़ी | क्लब फ़ुटबाल सहित अपने कैरियर में 1000 गोल करने वाले पेले ने ब्राजील के साथ ही अन्य लैटिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना , चिली , कोलंबिया , क्यूबा आदि में फुटबाल के प्रति जो दीवानगी उत्पन्न की वह अभूतपूर्व है | सबसे बड़ी बात ये है कि वे कभी विवादास्पद नहीं हुए | लैटिन अमेरिका में पैसा और प्रसिद्धि प्राप्त  करने के बाद अनेक खिलाड़ी नशीली दवाओं के फेर में पड़कर अपना स्वास्थ्य और सम्मान गँवा बैठे | अर्जेंटीना के सुपर स्टार रहे डिएगो मैराडोना इसके उदाहरण हैं | वैसे भी दुनिया का ये हिस्सा नशे के कारोबार के लिए कुख्यात है | लेकिन पेले इससे दूर रहे | और यही वजह थी कि संरासंघ ने उनको पारस्थितिकी और पर्यावरण के लिए अपना राजदूत बनाया | पेले के प्रति ब्राजील की जनता के मन में कितना प्यार था ये उस समय देखने मिला जब उनके सन्यास लेने पर लोग फूट - फूटकर रोये | किसी खिलाड़ी के लिए इस तरह के सम्मान का दूसरा उदाहरण खेलों के इतिहास में दुर्लभ है | उनके मैदान से दूर हो जाने के बाद के दौर में फुटबाल और लोकप्रिय हुई है | कतर में हाल ही में संम्पन्न विश्व कप में अनेक छोटे – छोटे देशों ने दिग्गज टीमों को जिस  तरह मात दी उससे लग गया कि इस खेल की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ी है |  हालाँकि पेले के बाद इस खेल में एक से एक बड़े सितारा खिलाड़ी आये जिन्होंने अपने खेल से फ़ुटबाल प्रेमियों का दिल जीत लिया लेकिन उन सब में कहीं न  कहीं पेले जैसा बनने की इच्छा   है | किंग ऑफ फ़ुटबाल और ब्लैक पर्ल जैसे नामों से जाने गए पेले को 20 वीं सदी का महानतम फुटबालर कहा गया | लेकिन जिस शैली का खेल वे खेलते थे उसमें जीत का जूनून होने के साथ ही खेल की आत्मा समाहित थी | और इसीलिये उन्हें भूतो न भविष्यति जैसे विशेषण से सम्बोधित करना गलत न होगा | खेल , शौक और मनोरंजन से आगे निकलकर अब व्यवसाय का रूप ले चुके हैं | किसी सितारा खिलाड़ी के रेकॉर्ड के साथ ही उसके द्वारा कमाई गई दौलत भी उसकी सफलता का मापदंड मानी जाती है | खिलाड़ी मैदान में बैठे हजारों दर्शकों के अलावा टीवी पर मैच देख रहे असंख्य खेल प्रेमियों  को आनंदित करता है | लेकिन सच्चा खिलाड़ी वही होता है जो अपने खेल से स्वयं आनंदित होकर उसमें डूब जाए  | पेले उसी श्रेणी के खिलाड़ी थे इसलिए उनका नाम लेते ही फ़ुटबाल में रूचि रखने वाले व्यक्ति को सुखद एहसास होने लगता है | अपने साफ़ सुथरे खेल और शालीन आचरण से फ़ुटबाल प्रेमियों के दिल में बसे इस महान खिलाड़ी को विनम्र श्रद्धांजलि |  

रवीन्द्र वाजपेयी 



No comments:

Post a Comment