Monday 19 December 2022

सरकार को घेरो पर सेना की वीरता पर सवाल उठाना गलत



अरुणाचल में बीते दिनों भारत और चीन  के सैनिकों में  झड़प को लेकर संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बयान दे चुके हैं | लेकिन विपक्ष इस पर चर्चा चाहता है जबकि  सरकार का कहना है इसकी  जरूरत नहीं है | इससे बीते सप्ताह जो टकराव पैदा हुआ वह आगे भी जारी रहेगा | कांग्रेस को लगता है वह इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कामयाब  हो जायेगी जबकि सत्ता पक्ष का मानना है कि ऐसे मामलों में राजनीतिक बहस से सेना का  मनोबल गिरता है | जब कांग्रेस  की ओर से सरकार पर  आरोप लगा कि वह चीन से डरती है तब गृह मंत्री ने राजीव गांधी के नाम पर बने ट्रस्ट को  चीन से मिले चंदे  का सवाल उठाकर पलटवार किया | चीन द्वारा की जाने वाली आक्रामक गतिविधियों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लम्बे समय से प्रधानमंत्री पर तीखे हमले करते आ रहे हैं | डोकलाम , गलवान और अब अरुणाचल में  हुई झड़प को लेकर उनकी प्रतिक्रिया का सार यही  है कि चीन हमारी  जमीन दबाता जा रहा है और मोदी सरकार उसको रोकने में विफल है | लेकिन वे इस बात का कोई जवाब नहीं देते कि 1962 में  चीन द्वारा दबाई गई हजारों  वर्ग किमी जमीन वापस लेने के लिए बाद की  कांग्रेस सरकारों ने क्या  किया ? यहीं नहीं तो पाक अधिकृत कश्मीर का जो क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन के हवाले कर दिया उसे रोकने के लिए  क्या प्रयास किये ? ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अरुणाचल को चीन  छोटा तिब्बत कहते हुए अपने नक्शे में ही दर्शाता है | यहाँ तक कि हमारे राष्ट्रपति – प्रधानमंत्री के वहां जाने पर भी उसे ऐतराज होता है | लेकिन भारत  उससे विचलित हुए बिना अपनी सैन्य तैयारियां काफी मज़बूत कर ली हैं | चीन समय – समय पर जो हरकतें करता है उनका उद्देश्य हमारी ताकत को तौलना  है | लेकिन डोकलाम और गलवान की तरह अरुणाचल में भी उसके सैनिकों को हमारे जवानों  ने भागने बाध्य कर दिया | वैसे रक्षा मामलों में सरकार पर नीतिगत हमले करने के लिए विपक्ष पूरी तरह स्वतंत्र है परन्तु  उसे सेना के मनोबल का ध्यान रखना चाहिए | राहुल गांधी का हर  मौके पर  ये कहना कि हमारे जवान पीटे जा रहे हैं , सैनिकों की वीरता और क्षमता पर शंका करने जैसा है | विपक्षी नेताओं को ये नहीं भूलना चाहिए कि 1962 के चीनी आक्रमण में हमारी सेना बुरी तरह पराजित हुई थी | बड़ी संख्या में हमारे जवान  और अधिकारी शहीद भी हुए | चीन के भारी सैन्यबल के सामने हमारी सेना पूरी तरह असहाय साबित हुई | उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की  जबरदस्त आलोचना हुई | तिब्बत पर चीन के कब्जे को मान्यता देने के बाद हिंदी चीनी भाई – भाई का नारा बुलंद करते हुए उसकी दोस्ती पर विश्वास करने की  नीति का दुष्परिणाम ये हुआ कि उसने हमारी 43 हजार वर्ग किमी भूमि पर कब्ज़ा कर लिया  | उस हमले के बाद नेहरू जी मानसिक तौर पर भी काफी आहत हुए और कहा जाता है उसी की वजह से उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा और महज दो साल के भीतर वे चल बसे | दशकों बाद भी कश्मीर और चीन संबंधी उनकी नीति पर सवाल उठाये जाते हैं | लेकिन किसी ने भी सेना के शौर्य और दक्षता पर संदेह  नहीं किया | ऐसे में जब श्री गांधी ये कहते हैं कि  चीनी सेना के हाथों  हमारे जवान पिट रहे हैं तो निश्चित तौर पर ये सरकार से ज्यादा उस सेना की आलोचना होती है जो अपनी वीरता और पेशवर दक्षता के लिए  विश्व भर में सम्मानित है | 1962 की जंग में उसके पास न तो पर्याप्त हथियार थे और न ही अन्य जरूरी साधन | बावजूद उसके एक – एक चौकी के लिये दो – चार जवानों ने आधुनिक हथियारों से लैस दर्जनों चीनी सैनकों की टुकड़ियों का  बलिदानी भावना से मुकाबला किया  | उसके बाद भारत को पकिस्तान से अनेक युद्ध लड़ना पड़े जिनमें हम जीते | वहीं चीन के साथ भी कभी छोटी और कभी बड़ी मुठभेड़ होती रही जिनमें हमारे सैनिक कभी उन्नीस साबित नहीं हुए | इसका कारण सैन्य तैयारियों में हुआ सुधार और सेना का आधुनिकीकरण है | जिसकी प्रक्रिया 1962 के  बाद से ही प्रारंभ हो गई थी |  हर लड़ाई के बाद जो कमी रह गई उसे दूर करने का प्रयास निरंतर जारी है | भारतीय सेना के  तीनों अंग आज पूरी तरह सुसज्जित और किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम हैं | ये देखते हुए विपक्ष से ये अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि सुरक्षा संबंधी किसी भी घटना या नीतिगत मुद्दे पर  सरकार को चाहे जितना घेरे किन्त्तु जवानों के बारे में ऐसा कुछ न कहे जिससे उनका उत्साह ठंडा हो | चीन के साथ लद्दाख से अरुणाचल तक आँख मिचौली का खेल चलता आ रहा है | ये बात पूरी तरह सच है कि वह हमारे इलाके में घुसपैठ का कोई अवसर नहीं चूकता किन्तु हमारे सैनिक उसे सफल नहीं होने देते | अरुणाचल की ताजा झड़प के बाद भी दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने साथ बैठकर मामला सुलझा लिया | ऐसे में ये समझ से परे है कि संसद में विपक्ष क्या चर्चा करना चाहता है ? बिना किसी पुख्ता सबूत के ये कह देना कि चीन ने हमारी इतनी जमीन दबा ली , पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना है | संसद में सरकार पर हमले करने के लिए विपक्ष के पास महंगाई , बेरोजगारी , अर्थव्यवस्था , किसानों की समस्याएँ और  पंजाब में आतंकवाद की आहट जैसे अनेक मुद्दे हैं | शीतकालीन सत्र के बाद अब सीधे बजट सत्र होगा | इसलिए बेहतर होगा कि विपक्ष आगामी बजट को लेकर सरकार के समक्ष जनता की परेशानियाँ रखते हुए राहत के लिए दबाव बनाये | लेकिन लगता है वह पुरानी गलतियाँ दोहरा रहा है | उसके इस रवैये से जनता के धन की बर्बादी हो रही है | संसद में बहस के दौरान विवाद  होते रहते  हैं किन्तु आजकल बहस लुप्त हो चुकी है और केवल  विवाद उसकी पहिचान बन गए हैं | ऐसा लगता है कांग्रेस का पूरा ध्यान श्री गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर होने की वजह से वह  इस सत्र हेतु अपनी नीति नहीं बना सकी | जहाँ तक बात सरकार की है तो वह विपक्ष के बिखराव और भटकाव का लाभ पहले भी लेती थी और इस सत्र में भी उसकी वही कोशिश है | 


रवीन्द्र वाजपेयी 

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