Monday 29 April 2024

दिल्ली काँग्रेस में दंगल से गठबंधन की दरारें नजर आने लगीं


दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने गत दिवस अपने पद से त्यागपत्र देकर सनसनी मचा दी। उनके पहले पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान पार्टी को  अलविदा कह चुके हैं। दोनों की नाराजगी आम आदमी पार्टी से चुनावी गठबंधन के अलावा उदित राज और कन्हैया कुमार को टिकिट दिये जाने पर है। उल्लेखनीय है कि 2019 में काँग्रेस  दिल्ली की सातों सीटों पर दूसरे स्थान पर थी किंतु आम आदमी पार्टी ने इस बार उसको तीन सीटें ही दीं। इस गठजोड़ का दिल्ली के साथ ही पंजाब के कांग्रेसी नेता शुरू से विरोध करते आ रहे थे। दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन भी अपनी असहमति जताते रह गए। लेकिन जिस काँग्रेस ने सबसे पहले केजरीवाल सरकार की शराब नीति में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी वही उनके सामने नत मस्तक हो गई। पंजाब में तो आम आदमी पार्टी ने काँग्रेस को एक भी सीट नहीं दी जबकि दिल्ली में उसने 4 सीटों पर दावा ठोककर काँग्रेस को शर्मिंदगी झेलने बाध्य कर दिया। श्री माकन तो राज्यसभा सदस्य बनाये जाने के बाद से सार्वजनिक तौर पर  बोलने से कतरा रहे हैं लेकिन श्री लवली और श्री चौहान के त्यागपत्र से स्पष्ट हो गया कि  असंतोष का ज्वालामुखी धधक रहा है।  त्यागपत्र में श्री लवली ने शराब नीति घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित अनेक बड़े नेताओं के जेल जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी से निकटता आत्मघाती है। हालांकि काँग्रेस  इस मोड़ पर गठबंधन  तोड़ने का साहस शायद ही दिखा सकेगी किंतु इसके कारण दिल्ली में उसको  नुकसान झेलना पड़ रहा है । पार्टी नेताओं का गुस्सा इस बात पर है कि अरविंद केजरीवाल ने राजनीति की शुरुआत काँग्रेस और उसके नेताओं को भ्रष्ट प्रचारित करने से ही की थी। पूर्व मुख्यमंत्री स्व.शीला दीक्षित उनका मुख्य निशाना रहीं। लेकिन त्रिशंकु विधानसभा बनी तब कांग्रेस ने ही आम आदमी पार्टी की सरकार को समर्थन देकर श्री केजरीवाल की ताजपोशी करवाई । हालांकि वह गठजोड़ ज्यादा नहीं चला। उसके बाद यमुना में बहुत पानी बह चुका है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। लेकिन इंडिया गठबंधन बनने पर दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं। यही वजह है कि जिस काँग्रेस ने शराब घोटाले में मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी का स्वागत किया वही अब श्री केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध कर रही है। इस दोहरे रवैये से दिल्ली के साथ ही पंजाब के कांग्रेसजन असमंजस में हैं। दरअसल भाजपा के अंध विरोध में आम आदमी पार्टी के साथ गलबहियाँ करने की नीति के कारण कांग्रेस अपनी जड़ों में मठा डालने की मूर्खता कर रही है। पूर्व सांसद संदीप दीक्षित भी बेहद नाराज हैं। जैसी खबरें आ रही हैं उनके मुताबिक उदित राज टिकिट मिलने से पहले तक काँग्रेस का उपहास कर रहे थे। इसी तरह कन्हैया अपने पोस्टरों में काँग्रेस नेताओं के बजाय श्री केजरीवाल का फोटो और उनकी सरकार के काम प्रचारित कर रहे हैं।  राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते दिल्ली की हर घटना का राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान लिया जाता है। इसीलिए श्री लवली के इस्तीफे और उसमें उठाये गए मुद्दों का असर दिल्ली के साथ ही पंजाब और अन्य पड़ोसी राज्यों पर पड़ना तय है। आम आदमी पार्टी भले ही इसे काँग्रेस का आंतरिक मामला कहकर टिप्पणी से बच रही हो किंतु श्री लवली  के इस्तीफे से यह  आशंका मजबूत हो रही है कि काँग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट एक दूसरे को नहीं मिलेंगे।  हालांकि  उन्होंने काँग्रेस में बने रहने की बात कही है किंतु जिस आसानी से उनका इस्तीफा मंजूर किया गया उसके बाद वे हाशिये पर जा सकते हैं। और उस स्थिति में   समर्थकों सहित पार्टी छोड़ दें तो आश्चर्य नहीं होगा,। इस उथल - पुथल  से  इंडिया गठबंधन की दरारें सामने आ गई है। भले ही श्री लवली राष्ट्रीय स्तर के नेता न हों किंतु आला नेतृत्व की अपने नेताओं के साथ संवादहीनता पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। बीते कुछ सालों के भीतर जितने भी नेताओं ने पार्टी छोड़ी उनमें से ज्यादातर की शिकायत यही रही कि ऊपर बैठे नेता उनकी सुनते नहीं है। जिन नेताओं को प्रदेश का प्रभार दिया जाता है वे भी  प्रादेशिक नेतृत्व को ठेंगे पर रखते हैं। दिल्ली में हुए बवाल में भी प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया  को जिम्मेदार बताया जा रहा है। आलाकमान की नाक के नीचे समय रहते जब स्थिति को नहीं संभाला जा सका तब बाकी जगहों पर क्या होता होगा ये अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है। 


- रवीन्द्र वाजपेयी

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