Thursday 4 April 2024

भ्रष्टाचार विरोधी शिकंजा अपनों पर भी कसा जाना चाहिए



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में भ्रष्टाचार को  चुनाव का मुख्य मुद्दा बना रहे हैं। ईडी और सीबीआई की गिरफ्त में आये राजनेताओं के कारण वैसे भी यह चुनाव काफी खींचतान भरा हो चुका है। झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री को ईडी द्वारा जेल भेजे जाने से विपक्ष आग बबूला है। 31 मार्च को दिल्ली में हुई रैली में सभी वक्ताओं ने आरोप लगाए कि मोदी सरकार विपक्ष के नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाकर चुनाव को इकतरफा बनाने  का षडयंत्र रच रही है। एक नेता के अनुसार यह पिच खोदने के बाद बल्लेबाजी करने का अवसर देने जैसा ही है। संवैधानिक जाँच एजेंसियों का दुरूपयोग विपक्ष के चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बन गया है। उसका एतराज इस बात को लेकर भी है कि  भाजपा ईडी और सीबीआई का भय दिखाकर विपक्षी नेताओं को अपने पाले में खींच रही है। चूंकि भाजपा में शामिल होने के बाद या तो भ्रष्टाचार का प्रकरण समाप्त कर दिया जाता है अथवा जाँच धीमी कर दी जाती है, लिहाजा विभिन्न मामलों में फंसे विपक्षी नेता भाजपा में घुसकर खुद को निर्दोष साबित करने में जुटे हुए हैं। विपक्ष द्वारा उन भाजपा  नेताओं को भी निशाना बनाया जा रहा है जो भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद जेल से बाहर हैं और उनके विरुद्ध चल रही जाँच भी डिब्बे में बंद है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री सहित भाजपा के तमाम नेता इस बात को जोरदारी से उठा रहे हैं कि विपक्ष के अनेक नेता भ्रष्टाचार के मामले में या तो बेल (जमानत) पर हैं या फिर जेल में। श्री केजरीवाल सहित आम आदमी  पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के जेल में होने से विपक्ष का डर और गुस्सा दोनों बढ़ गया है। हालांकि चौंकाने वाली बात ये है कि मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी पर न तो आम आदमी पार्टी और न ही विपक्ष के बाकी दलों ने आसमान सिर पर उठाया था। उल्टे कांग्रेस ने तो मनीष के जेल जाने पर खुशियाँ मनाते हुए ये कहकर खुद ही अपनी पीठ ठोकी कि जिस शराब नीति को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं पर शिकंजा कसा गया उसमें भ्रष्टाचार का खुलासा उसी के द्वारा किया गया था। इसी मामले में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. सी. राव की बेटी भी तिहाड़ जेल में है। महाराष्ट्र के अलावा प. बंगाल और  झारखंड के अनेक नेता ईडी या सीबीआई द्वारा पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री  का ये दावा स्वागतयोग्य है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक लडाई में किसी भी प्रकार का लिहाज नहीं किया जायेगा। श्री मोदी का ये भी कहना है कि तीसरे कार्यकाल में वे और भी कड़े निर्णय लेंगे। निश्चित रूप से इस समय विपक्ष में घबराहट है। एक समय था जब श्री केजरीवाल चीख- चीखकर कहते थे कि सोनिया गाँधी को गिरफ्तार कर पूछताछ करें तो भ्रष्टाचार के बड़े -बड़े मामलों का खुलासा हो जायेगा। वे ये भी कहते थे कि ऐसा न कर पाने पर ईडी और सीबीआई भंग कर दी जानी चाहिए। लेकिन जब वे खुद जेल जा पहुंचे तब ईडी को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। हालांकि  विपक्ष के भ्रष्ट नेता ये कहने से पवित्र नहीं हो जाते कि भाजपा में बैठे भ्रष्ट लोगों की गर्दन में फंदा क्यों नहीं डाला जाता? लेकिन भाजपा पर भी ये जवाबदेही तो है ही कि क्या उसका कोई नेता भ्रष्ट नहीं है और दूसरी पार्टी से आये भ्रष्टाचार के आरोपी  उसका दामन थामते ही साफ - सुथरे कैसे हो जाते हैं? यद्यपि ऐसा आरोप लगाने वाले विपक्षी दलों को भी भ्रष्ट नेताओं से कोई परहेज नहीं है इसलिए उनकी बात पर जनता ध्यान नहीं देती। यही कारण है कि  देश की सबसे बड़ी समस्या होने के बावजूद भ्रष्टाचार चुनाव का मुद्दा नहीं बन पा रहा। 2014 के चुनाव में यूपीए सरकार के राज में हुए घोटाले खूब चर्चित हुए थे किंतु मोदी सरकार आने के बाद भी किसी को सजा नहीं हो सकी। 2019 के चुनाव में राहुल गाँधी राफेल विमान खरीदी पर चौकीदार चोर का नारा लगाते रहे किंतु इस बार उसकी चर्चा तक नहीं है। सोनिया गाँधी और राहुल दोनों नेशनल हेराल्ड प्रकरण में लंबे समय से जमानत पर हैं किंतु उसका अंजाम भी अज्ञात है। यदि ईडी ताबड़तोड़ छापेमारी और गिरफ़्तारियां नहीं करती तब न लोकतंत्र खतरे में पड़ता और न ही विपक्ष भी एकजुट होता। उस दृष्टि से श्री मोदी को उस बात का श्रेय मिलना चाहिए कि उनकी सरकार ने भ्रष्ट नेताओं पर शिकंजा कसने का साहस दिखाया किंतु ये मुहिम तभी निष्पक्ष कही जायेगी जब इसमें भाजपा के दागदार लोगों पर भी प्रहार किया जाए। हमारे देश में भ्रष्ट नेता भी लोकप्रिय होते हैं। जयललिता और लालू यादव इसके उदाहरण हैं।  ओमप्रकाश चौटाला जैसों को तो बाकायदा सजा हुई। यदि श्री मोदी भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रही कारवाई में अपने पराये का भेद मिटा सकें तो देश की उससे बड़ी सेवा नहीं हो सकती।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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