Wednesday 3 April 2024

केरल के मुख्यमंत्री का गंभीर आरोप : काँग्रेस के जवाब का इंतजार



विपक्षी गठबंधन को इंडिया नाम देकर राहुल गाँधी ने  सोचा था कि उसके सहारे वे प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पूरी कर सकेंगे। लेकिन ऐसा लगता है कांग्रेस इस गठबंधन का सही तरीके से नेतृत्व नहीं कर सकी। इसका बड़ा कारण गठबंधन के आकार लेते ही श्री गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा प्रारंभ होना  रहा। पार्टी को उम्मीद थी कि उसके जरिये राहुल का कद बाकी विपक्षी नेताओं की तुलना में ऊंचा हो जायेगा। कर्नाटक में  शानदार जीत के बाद तो पार्टी का हौसला और बुलंद हो गया । उसे लगने लगा कि श्री गाँधी ने अकेले दम पर नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की क्षमता अर्जित कर ली है। इसी आत्मविश्वास के बल पर कांग्रेस ने उसके बाद हुए पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में अन्य विपक्षी दलों से गठजोड़  से परहेज कर लिया। इसके साथ ही उसने इंडिया की खोजखबर लेनी बंद कर दी। दरअसल कांग्रेस की रणनीति ये थी कि उक्त राज्यों में  जीत दर्ज करने के बाद वह गठबंधन पर हावी होने की हैसियत में आ जाएगी। लेकिन  म.प्र , राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वह जिस बुरी तरह से हारी उसके बाद उसका रुतबा घटने लगा। नीतीश कुमार तो गठबंधन छोड़कर ही चले गए।  विभिन्न घटक दलों की भी  जो प्रतिक्रियाएं। आईं  उनसे ये ज़ाहिर हो गया कि कांग्रेस के भरोसे चुनाव जीतने की उनकी उम्मीद टूट गई है।   बावजूद उसके गठबंधन की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस को उसमें कसावट लाने का प्रयास करना चाहिए था किंतु श्री गाँधी ने न्याय यात्रा शुरू कर दी। कांग्रेस समर्थक कहे जाने वाले राजनीतिक विश्लेषक भी लोकसभा चुनाव की तैयारियां छोड़कर राहुल के यात्रा पर निकल जाने को गलत फैसला बताने से नहीं चूके। उनका आकलन सही साबित हुआ। यात्रा को पहले जैसा प्रतिसाद नहीं मिलने से पार्टी में भी निराशा आई। विभिन्न राज्यों में उसके नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। ऐसे समय श्री गाँधी को पार्टी के साथ ही  गठबंधन की मजबूती के लिए भी समय और ध्यान देना चाहिए था। उनकी अनदेखी का ही नतीजा है कि देश के सभी बड़े राज्यों में सहयोगी दलों ने कांग्रेस को हाशिये पर धकेलने का दुस्साहस कर डाला। सीटों के बंटवारे वाले राज्यों में केवल महाराष्ट्र में ही वह बड़े भाई की भूमिका में बची है। बाकी जगह गठबंधन के साथियों ने उसकी कमजोरी का भरपूर लाभ उठाया। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव के पूर्व बाबू जगजीवन राम, हेमवती नंदन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी आदि ने जब कांग्रेस कांग्रेस छोड़ी तो पूरा परिदृश्य बदल गया था। बावजूद उसके पार्टी में उतनी हताशा और दिशाहीनता नहीं थी जितनी आज नजर आ रही है। जिन राज्यों में भाजपा से सीधा मुकाबला है उनको छोड़कर शेष में कांग्रेस की जो दयनीय स्थिति है उसके लिए गांधी परिवार तो जिम्मेदार है ही किंतु उसमें भी राहुल सबसे ज्यादा दोषी हैं । ममता, लालू , अखिलेश कोई भी उनको महत्व नहीं दे रहा। लेकिन सबसे बड़ी चोट की केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने। दिल्ली में आयोजित लोकतंत्र बचाओ रैली के अगले दिन ही उन्होंने राहुल और कांग्रेस को नसीहत दे डाली कि कुछ भी करने से पहले उसको दूरगामी परिणामों के बारे में सोचना चाहिए। उल्लेखनीय है उक्त रेली में श्री विजयन की पार्टी सीपीएम के पूर्व महासचिव सीताराम येचुरी भी मंचासीन थे। उसके बाद भी उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए  कहा कि दिल्ली सरकार की विवादित शराब नीति में भ्रष्टाचार की सबसे पहली शिकायत उसके द्वारा ही की गई थी। श्री विजयन यहीं नहीं रुके अपितु उन्होंने श्री गाँधी की केरल की वायनाड सीट से दोबारा लड़ने के लिए तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वे सीपीआई प्रत्याशी के विरुद्ध लड़ रहे हैं। हालांकि वामपंथी पार्टियों का प. बंगाल में कांग्रेस से गठबंधन होने के बावजूद केरल में दोनों अलग - अलग गठबंधन में हैं। और राज्य की जनता बारी - बारी से दोनों को अवसर देती रही। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाकर वह परिपाटी तोड़ दी। सीपीएम  की भीतरी राजनीति में श्री येचुरी जहाँ कांग्रेस के पक्षधर रहे हैं वहीं श्री विजयन और प्रकाश कारत इंडिया गठबंधन में रहकर भी कांग्रेस को ज्यादा छूट देने के समर्थक नहीं हैं। 2019 में राहुल अमेठी और  वायनाड दोनों से लड़े। लेकिन जीते वायनाड से। वामपंथी सोचते थे राहुल  इस बार उत्तर भारत लौट जायेंगे किंतु वैसा न होने पर उनकी नाराजगी जाहिर होने लगी। सीपीआई महासचिव डी. राजा भी इस बारे में श्री गाँधी की खिचाई कर चुके थे जिनकी पत्नी वायनाड से प्रत्याशी हैं। लेकिन  श्री विजयन का ये आरोप इंडिया को नुकसान पहुंचा सकता है कि कांग्रेस के कारण ही श्री केजरीवाल जेल गए । देखना ये है कि कांग्रेस , विशेष रूप से श्री गाँधी उनके आरोप का क्या जवाब देते हैं? और ये भी कि आम आदमी पार्टी इस पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है? 

- रवीन्द्र वाजपेयी


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