Friday 3 November 2017

भारत में ऐसा होता तो...

हमारे देश में ऐसा करने वाले को राजनीतिक जमात के लोग मूर्ख कहेंगे। 15 साल पहले किसी टीवी एंकर का घुटना गलत इरादे से छूने के आरोप में ब्रिटेन के रक्षा मंत्री माइकल फालोन ने स्तीफा दे दिया। अपने ऊपर लगे आरोपों में कुछ को झूठा मानते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि उनका आचरण और व्यवहार पद के अनुरूप नहीं था, लिहाजा वे उसे त्याग रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भी बिना देर लगाए उनकी जगह नया रक्षा मंत्री नियुक्त कर दिया। ब्रिटेन वह देश है जहां के समाज में काफी खुलापन है। भारत की तरह न तो वहां स्त्रियों पर तरह-तरह के बंधन लगाये जाते हैं और न ही उनकी तरफ लोग ललचाई नजरों से देखते हैं। यौन स्वछंदता भले न कहें किन्तु महिला-पुरुषों के बीच संबंधों में उस तरह का संकोच या रोक-टोक नहीं है जैसी हम अपने देश में देखते और महसूस करते हैं। 15 साल पहले भी ब्रिटिश समाज भारत की तुलना में अत्यधिक आधुनिक और उन्मुक्त सोच रखता था। बावजूद इसके डेढ़ दशक पहले आज के रक्षामंत्री रहे श्री फालोन द्वारा किसी टीवी एंकर के घुटने को गलत उद्देश्य से छूने की बात सामने आते ही उन्होंने ये स्वीकार करते हुए कि उनका आचरण गरिमा के प्रतिकूल था, तत्काल स्तीफा दे दिया। अब जरा अपने देश का हाल देखें। किसी महिला का घुटना छूने को मर्यादा का उल्लंघन मानकर स्तीफा देने की बात देश का रक्षामंत्री तो क्या गांव का पंच तक नहीं सोच सकता। तकनीक के विकास के बाद न जाने कितने नेताओं की अश्लील सीडी सार्वजनिक रूप से प्रसारित हो चुकी है। छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ मंत्री की करतूत हाल ही में सामने आई है। इसके पूर्व भी सत्ता और विपक्ष दोनों के अनेक जिम्मेदार कहे जाने वाले नेताओं का नंगापन जगजाहिर हो चुका किन्तु किसी ने भी खुद होकर स्तीफा नहीं दिया। या तो जनमत के दबाववश उन्हें पार्टी या सरकार से निकाल बाहर किया गया या फिर गेंडे की तरह मोटी चमड़ी का प्रमाण देते हुए वे बाकायदा कुर्सी या पार्टी में जमे रहे। इनमें से शायद ही किसी ने अपना अपराध स्वीकारने की हिम्मत दिखाई हो। नारायण दत्त तिवारी ने उम्र के चौथेपन में जो फजीहत करवाई वह सर्वविदित है। म.प्र. के मंत्री रहे राघवजी को यदि मुख्यमंत्री न हटाते तो वे पद पर बने रहते। कांगे्रस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पैंट उतरते पूरी दुनिया ने देखी किन्तु वे अब भी संगठन के महत्वपूर्ण हिस्से बने हुए हैं। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय जोशी भले ही पार्टी में किनारे कर दिये गये हों परन्तु अभी भी वे धड़ल्ले से देश भर में घूमा करते हैं। कहने का आशय ये है कि भारत में सांस्कृतिक एवं सामाजिक मर्यादाओं का जितना ढिंढोरा पीटा जाता है उसका सौवां हिस्सा भी आचरण में नहीं नजर आता। छत्तीसगढ़ के जिस मंत्री की अश्लील सीडी सोशल मीडिया के जरिये फैल गई उसके बाद यदि वे मंत्री पद त्यागकर कहते कि सीडी उनके विरुद्ध षडयंत्र है तथा निर्दोष साबित होने तक कोई पद ग्रहण नहीं करेंगे तब वे सिर ऊंचा कर चलने लायक होते लेकिन न सिर्फ वे वरन् समूची पार्टी और सरकार विपक्ष पर आरोप लगाने में जुट गई है। अतीत में विधानसभा के भीतर मोबाइल पर अश्लील फिल्में देखते विधायकों के चित्र सार्वजनिक होने के बाद भी न किसी से स्तीफा लिया गया और न ही किसी ने शर्मवश खुद वैसा करने की हिम्मत दिखाई। उस दृष्टि से पश्चिमी देशों के जिस समाज को हम उन्मुक्त और वर्जनाहीन कहकर तिरस्कृत करते हैं वहां कई मामलों में मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा हमारे परंपरागत और तथाकथित संस्कारयुक्त समाज से कहीं मजबूत है। आधुनिकता के फेर में हमने विदेशों से जो संस्कृति आयात की उसको अधकचरेपन के साथ आचरण में उतारने का ही परिणाम है कि हम अपनी सांस्कृतिक पहिचान खोते चले जा रहे हैं। ब्रिटेन के रक्षामंत्री द्वारा 15 साल पहले की गई जरा सी गल्ती पर उन्हें अब जाकर पद छोडऩे को मजबूर होना पड़ गया परन्तु उन्होंने इसके लिए न तो कोई ड्रामेबाजी की और न ही कुर्सी बचाने के लिए कोई उठापटक। उन पर लगे कई आरोपों को गलत बताते हुए भी मंत्री महोदय ने पद की गरिमा के विपरीत आचरण पर पश्चाताप वश तत्काल त्यागपत्र देकर सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की सुरक्षा में योगदान दे दिया। इस घटना का समाचार हमारे देश में छोटे से रूप में छपा है इसलिए लोगों का ध्यान उस पर ज्यादा नहीं गया होगा। खास तौर पर जिन नेताओं से ऐसे आचरण की अपेक्षा पूरा समाज करता है उसकी निगाह में तो ब्रिटेन के रक्षा मंत्री अव्वल दर्जे के बेवकूफ हैं जिन्होंने 15 बरस पहले एक महिला के घुटने को छू लेने के अपराध में सरकार छोड़ दी। सर्वोच्च न्यायालय में दागी सांसदों के विरुद्ध चल रहे अपराधिक प्रकरणों पर विशेष न्यायालय बनाकर त्वरित फैसला करने संबंधी याचिका पर बहस चल रही है परन्तु ब्रिटेन के इस ताजातरीन उदाहरण के बाद इस बात पर भी खुलकर चर्चा होनी चाहिए कि नैतिकता, न्यायालय के हंटर से नहीं वरन् समाज में संस्कारों के जरिये प्रदत्त चारित्रिक गुणों से आती है। शायद यही वजह रही होगी जिसके कारण अंगे्रज हम पर सैकड़ों बरस राज करते रहे।
-रवीन्द्र वाजपेयी

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