Thursday 9 November 2017

बच्चों की बदलती मानसिकता चिंता का कारण


गुरूग्राम (गुडग़ॉव) के प्रसिद्ध रेयान स्कूल में एक बच्चे की नृशंस हत्या में नया मोड़ आ गया है। हरियाणा पुलिस ने एक बस कंडकटर को हत्यारा मानकर पकड़ रखा था किंतु सीबीआई जब गहराई में गई तो पता चला कि स्कूल के ही एक छात्र ने वह कृत्य किया। 11वीं का वह छात्र परीक्षा के साथ ही पालकों और प्रबंधन के बीच होने वाली बैठक टलवाना चाहता था। 15-16 वर्ष की उम्र के एक शालेय छात्र के मन में अपने ही विद्यालय के एक नन्हें छात्र की चाकू से हत्या करने का विचार किस तरह आया ये मनोवैज्ञानिकों के लिए अध्ययन एवं शोध का विषय होना चाहिए। कुछ वर्षों से अमेरिका में किशोरावस्था के बच्चों द्वारा हथियारों का धड़ल्ले से उपयोग करने की खबरें सुनी जाने लगी हैं। सामूहिक हत्या तक कर दी गई। वहां के समाज में परिवार नामक संस्था का विघटन बच्चों को अवसादग्रसित कर रहा है। वे समय से पहले वयस्क मानसिकता में प्रवेश कर जाते हैं परंतु हमारा समाज अभी भी भगवान की कृपा से काफी संतुलित है। जिस स्कूल में वह घटना घटी वहां संपन्न परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। यदि सीबीआई द्वारा निकाले निष्कर्ष सही हैं तब ये हत्या से भी बड़ा चिंता का कारण है जो कम आयु के बच्चों की सोच में आ रहे खतरनाक बदलाव का संकेत है। हत्या का जो कारण बताया जा रहा है वह कितना वास्तविक है ये फिलहॉल कह पाना कठिन है परंतु 11वीं का छात्र इस तरह का कृत्य बिना किसी रंजिश के कर बैठे ये बात गले उतारना बेहद कठिन है। जांच एजेंसियां और कानून आगे की भूमिका निभाएंगे परंतु इस घटना ने समाज के लिए चिंतन का एक विषय खड़ा कर दिया है। हरियाणा पुलिस की क्षमता और योग्यता भी सवालों के घेरे में आ गई है जिसने एक निर्दोष को हत्यारा साबित करने का पराक्रम दिखाया। भले ही हत्यारा छात्र नाबालिग होने के कारण वह सजा मिलने पर कुछ वर्ष बाद रिहा हो जाएगा परंतु इस घटना को महज सत्यकथा मानक विस्मृत का कहना ठीक नहीं होगा। अपने बच्चों की मानसिकता को पढऩे के प्रति अभिभावकों को अब अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि जिन चीजों को जानने, देखने और सुनने से बच्चों को रोका जाता था वे सब अब उन्हें सहजता और सरलता से सुलभ हो गई है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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