Friday 23 February 2018

भ्रष्टाचार : शर्मनाक स्थिति


भ्रष्टाचार की तालिका में भारत का दो पायदान लुढ़ककर 81 वें स्थान पर  आना आश्चर्यचकित तो नहीं करता लेकिन शर्मिंदा अवश्य कर रहा है। बीते एक वर्ष में बजाय सुधरने के यदि स्थिति और बदतर हुई तो इससे न खाऊंगा का प्रधानमंत्री का दावा भले ही अपनी जगह हो लेकिन न खाने दूंगा वाली हुंकार हवा में उड़कर रह गई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वेक्षण का जो भी आधार रहा हो लेकिन उसे झुठलाने का नैतिक साहस इस देश में कोई भी नहीं कर सकता और यही सबसे बड़ी विडंबना है। उच्चस्तर पर विशेष रूप से केंद्र सरकार के मन्त्रियों पर अभी तक कोई दाग भले न लगा हो लेकिन राष्ट्रीय राजधानी से ग्राम पंचायत तक भ्रष्टाचार का गंदा नाला पूरे जोर से बह रहा है। भाजपा भले राम-राम जपती फिरे लेकिन उसके शासन वाले राज्यों में भी भ्रष्टाचार का नंगा-नाच देखा जा सकता है। हालिया कुछ घोटालों के कारण भी स्थिति और बिगड़ गई है। नरेंद्र मोदी ने जिस तरह शुरूवात की उससे देश को काफी उम्मीदें बंधीं थीं। उनकी सरकार ने कुछ साहसिक कदम उठाए भी किन्तु परिणाम अपेक्षानुसार नहीं आ सके। यद्यपि अभी भी लोगों को श्री मोदी की नीयत और प्रतिबद्धता पर भरोसा है लेकिन ये स्थिति हमेशा बनी रहे ये जरूरी नहीं। कुछ बड़े कर्जदारों के आसानी से देश छोड़कर भाग जाने से भी सरकार की छवि खराब हुई है। लोकसभा चुनाव के पहले तक प्रधानमंत्री कोई बड़ा चमत्कार कर देंगे ये तो नहीं लगता लेकिन भ्रष्ट लोगों को सजा दिलाने की प्रक्रिया ही यदि तेज हो जाये तो लोगों को संतोष हो जाएगा। फिलहाल तो स्थिति अच्छी नहीं है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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