Tuesday 13 February 2018

बांह मरोडऩे से बढ़कर तोडऩे की जरूरत

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण एक सुशिक्षित, अनुभवी और गम्भीर राजनेता हैं। जम्मू में हुए आतंकवादी हमले के बाद कल घटनास्थल का मुआयना करने के बाद उन्होंने पाकिस्तान पर ठींकरा फोड़ते हुए नतीजे भुगतने की घिसीपिटी चेतावनी दे डाली। उसका मजाक उड़ाना तो अनुचित होगा किन्तु आतंकवादी बेखौफ  होकर सैन्य ठिकानों पर हमला कर जवानों को मार देते हैं। भले ही वे बचकर न जा पाते हों किन्तु हमारे सैनिकों का खून जिस तरह अकारण सस्ते में बह रहा है वह शर्म का विषय है। इस तरह के हमलों में स्थानीय कश्मीरियों की मदद की बात सामने आने से स्थिति की गम्भीरता का पता चल जाता है। जम्मू की घटना के तुरंत बाद श्रीनगर में भी वैसा ही दुस्साहस किया गया किन्तु प्रहरी की सजगता से हमलावर सैन्य शिविर में नहीं घुस सके। रक्षामंत्री की चेतावनी के पहले सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी जवानों की शहादत का बदला लेने की बात कह चुके हैं। छुटपुट जवाबी कार्रवाई होती भी रहती है जिसे बांह मरोडऩा तो कह सकते हैं लेकिन बांह तोडऩे जैसा कारनामा जब तक भारत नहीं दिखाता तब तक पाकिस्तान इस तरह की हरकतें कर हमारा मनोबल तोड़ता रहेगा। यद्यपि ऐसे मामलों में हर कोई सलाह दे ये सही नहीं होता लेकिन देश कुछ ऐसा चाहता है जिससे लगे कि भारत सरकार वाकई पाकिस्तान को सबक सिखाने में सक्षम है वरना लोगों को मोदी और मनमोहन दोनों को एक ही श्रेणी में रखने से रोका नहीं जा सकेगा।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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