Friday 14 September 2018

सभी आरोप गंभीर : पर्दाफाश जरूरी


आरोपों की कडिय़ां जुड़ती जा रही हैं। तमाशा बन गए खुद ही तमाशा देखने वाले की स्थिति भी सामने आ रही है। कांगे्रस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की विजय माल्या से चलती-फिरती मुलाकात की बजाय बैठकर लंबी बातचीत का दावा चश्मदीद गवाह के रूप में अपने सांसद पीएल पूनिया को सामने लाकर किया। मोर्चा खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाला लेकिन इसके पहले ही भाजपा ने भी अपनी तोप चला दी और गांधी परिवार को माल्या की कंपनी किंगफिशर का असली मालिक बताते हुए यहां तक कहा कि उसके सदस्य किंगफिशर एयरलाइन्स की उच्च श्रेणी में मुफ्त यात्राएं करते थे। माल्या को बैंक से कर्ज दिलवाने के लिए दबाव डालने का आरोप भी भाजपा ने लगाया। इसी बीच भाजपा के राज्यसभा सदस्य डा. सुब्रमण्यम स्वामी भी बीच में कूद पड़े तथा माल्या के विरुद्ध जारी लुक आऊट नोटिस को शिथिल करने का आरोप दोहराते हुए न सिर्फ वित्तमंत्री वरन् पूरी केन्द्र सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। ये सब चल ही रहा था कि कभी कांगे्रस के काफी सगे रहे शहजाद पूनावाला लाव-लश्कर लेकर राहुल गांधी पर चढ़ बैठे और उनके 2013 की एक कॉकटेल पार्टी में भगोड़े कर्जदार नीरव मोदी के साथ बैठने का रहस्योद्घाटन कर दिया। इस प्रकार एक ही दिन में चार बातें निकलकर आ गईं। सारे के सारे आरोप गंभीर हैं और लगाने वाले भी ऐरे-गैरे नहीं कहे जा सकते। राहुल द्वारा श्री पूनिया को पेश करने के बाद अब संसद के उस सेंट्रल हॉल के सीसीटीवी कैमरों पर दारोमदार टिक गया है जिनमें श्री जेटली और माल्या की कथित मुलाकात का दृश्य कैद होने की बात कही गई है किन्तु ये भी काबिले गौर है कि श्री पूनिया ने इतनी महत्वपूर्ण जानकारी अब तक छिपा कर क्यों रखी क्योंकि वित्तमंत्री से मिलने के कुछ दिन बाद ही माल्या देश छोड़कर भाग निकला था। अब यदि सीसीटीवी में दोनों का मिलना नहीं निकला तब उसके साथ की गई छेड़छाड़ का आरोप लगने लगेगा। इसी तरह श्री जेटली को भी माल्या से हुई उनकी संक्षिप्त या लंबी मुलाकात को भी कहीं न कहीं रिकार्ड में लाना चाहिए था। भाजपा ने माल्या की कंपनी किंगफिशर के साथ गाँधी परिवार के व्यवसायिक रिश्तों की बात पर परदा क्यों डालकर रखा इसका उत्तर उसे भी देना चाहिए। डा. स्वामी ने लुकआऊट नोटिस को कमजोर करने संबंधी जो बात कही वह भी जांच योग्य है क्योंकि उसके कारण माल्या को बिना रोकटोक देश छोडऩे की सुविधा मिल गई। लेकिन कभी राहुल के प्रशंसक रहे शहजाद पूनावाला ने नीरव मोदी और कांगे्रस अध्यक्ष की मुलाकात का दावा करते हुए उनकी सुरक्षा में लगी एसपीजी से उसकी पुष्टि की बात कहकर एक नया अध्याय खोल दिया है। उपरोक्त सभी आरोप गंभीर किस्म के हैं जिनमें देश के शीर्ष नेतृत्व की साख पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। कांगे्रस सांसद श्री पूनिया कोई दूध पीते बच्चे नहीं हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि प्रख्यात अधिवक्ता होने के नाते श्री जेटली मानहानि के मामले में उन्हें अदालत में घसीट सकते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मामला इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। ऐसे में उन्होंने जो दावा किया उसकी जांच कर सच्चाई सामने लाई जानी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने गांधी परिवार तथा माल्या के बीच व्यवसायिक हिस्सेदारी का जो आरोप लगाया वह भी बेहद सनसनीखेज है इसलिए उसकी समूची जानकारी सामने आनी जरूरी। डॉ. स्वामी और शहजाद पूनावाला की बातों को भी हल्के में लेना गलत होगा। बेहतर हो प्रधानमंत्री इस दिशा में पहल करें क्योंकि कांगे्रस ने वित्तमंत्री के साथ-साथ उन्हें भी लपेटने की कोशिश की है। वैसे भी श्री जेटली को उनका काफी करीबी माना जाता है। फिर ये भी सही है कि मोदी सरकार के अलोकप्रिय मंत्रियों में वित्तमंत्री सबसे ऊपर हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वे अच्छी स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में नैतिकता के नाम पर आरोपों की जांच होने तक वे पद से हट जाएं तो उनके साथ ही सरकार की छवि भी सुधरेगी। यद्यपि ऐसा होने की संभावना न के बराबर है। दूसरी तरफ संदेह की सुई अब गांधी परिवार की तरफ भी घूम गई है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने जिस आक्रामक शैली में माल्या के साथ उनके कारोबारी रिश्तों की बात कही वह पार्टी का अधिकृत बयान है। अभी तक न तो राहुल और न ही कांगे्रस ने उस आरोप का खंडन किया है। रही बात पूनावाला की तो उसने भी श्री गांधी की नीरव मोदी से मुलाकात का तारीख सहित ब्यौरा देकर भाजपा के आरोपों को और ताकत दे दी है। इन सबके बाद जरूरी हो गया है कि दूध का दूध, पानी का पानी किया जावे। सोशल मीडिया पर कुछ खबरखोजी तो श्री गांधी की हालिया लंदन यात्रा में भी माल्या कनेक्शन बिठाने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि आरोप सामने आ चुके हैं और उन्हें लगाने वाले मजबूती के साथ दावे भी कर रहे हैं ऐसे में सभी की जांच जरूरी हो गई है। लोकसभा चुनाव का समय भी करीब आता जा रहा है इसलिए इन आरोपों की सच्चाई सामने आना चाहिए। क्या होगा, क्या नहीं ये तो इस समय कह पाना कठिन है परन्तु एक बात तो माननी ही पड़ेगी कि सारे के सारे आरोप गलत नहीं हो सकते। लंदन में बैठे माल्या ने भी ये तो कहा ही है कि वह राजनीति का शिकार हो गया है तथा कांगे्रस-भाजपा दोनों ने उसका दोहन किया। चौंकाने वाली बात ये है कि उसके इस आरोप का खंडन न तो भाजपा ने किया और न ही राहुल उस बारे मेें कुछ भी बोल रहे हैं। देश की हालत दाल में कुछ काला होने से ऊपर उठकर पूरी दाल ही काली होने तक आ पहुंची है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

1 comment:

  1. सभी आरोपों की निष्पक्षता से जाँच होनी ही चाहिये

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