अमृतसर में गत रात्रि रावण दहन के आयोजन के दौरान रेल पटरी पर खड़े दर्जनों दर्शकों के रेलगाड़ी से कटकर मारे जाने की घटना अत्यंत दुखद है। इस बारे में आरोप-प्रत्यारोप भी शुरु हो गये हैं। गलती रेलवे की तो कतई नहीं कही जा सकती लेकिन स्थानीय प्रशासन जरूर दोषी कहा जायेगा जिसने रेल पटरी के इतने निकट ऐसे आयोजन की अनुमति दी। पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी बतौर मुख्य अतिथि उक्त आयोजन में थीं जो स्वयं भी पिछली बादल सरकार में मंत्री रहीं। ऐसे कार्यक्रमों के लिये पुलिस और प्रशासन की स्वीकृति जरूरी होती है। इतने खतरनाक स्थान पर ऐसे आयोजन की अनुमति देने का औचित्य समझ से परे है और यदि अनुमति नहीं दी गई तब आयोजन को शुरू में ही रोक देना था। लगता है पुलिस को सिद्धू परिवार का भय या लिहाज करना पड़ा। खैर, वजह जो भी हो किन्तु इस तरह की चूक अक्षम्य कही जाएगी। वैसे आम जनता के स्तर पर भी दायित्व बोध, साधारण समझ और अनुशासन के अभाव से भी इस तरह के हादसे होते रहते हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि उनसे कोई सबक नहीं लेता। अमृतसर की यह घटना भी थोड़े दिन बाद भुला दी जाएगी किन्तु इसकी पुनरावृत्ति न हो इसकी चिंता शायद ही कोई करेगा और यही हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है ।
-रवीन्द्र वाजपेयी
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