Tuesday 22 January 2019

बात ईवीएम से आगे निकल चुकी है

लंदन में बैठा एक शख्स ये आरोप लगा रहा है कि भाजपा , कांग्रेस , सपा , बसपा सभी ने ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ करने के लिए उसकी सेवाएं ली थीं । मप्र , राजस्थान और छत्तीसगढ़ के हालिया चुनाव में भी इसकी असफल कोशिश का आरोप उसने भाजपा पर लगाया । हैकर कहा जाने वाला वह व्यक्ति भारत से भागा हुआ है । लंदन में उसकी पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की मौजूदगी भी चौंकाने वाली है । भाजपा ने इसी आधार पर हैकर के आरोप को कांग्रेस प्रायोजित बताया वहीं कांग्रेस ने श्री सिब्बल की उपस्थिति को निजी निमंत्रण से जोड़कर सफाई दी । सबसे आश्चर्यजनक बात ये हुई कि आरोपों के घेरे में ईमानदारी की ठेकेदार आम आदमी पार्टी  भी है जिसके नेता दिल्ली में ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ का प्रदर्शन भी कर चुके हैं । लंदन में हुआ खुलासा ममता बैनर्जी की कोलकाता रैली के फौरन बाद किया जाना महज संयोग है या इसके पीछे भी कोई राजनीतिक दाँव - पेंच है ये अभी स्पष्ट नहीं है किंतु श्री सिब्बल की हैकर के साथ मौजूदगी से कांग्रेस चाहे - अनचाहे शक के दायरे में तो आ ही गई । यदि ये मान भी लें कि श्री सिब्बल निजी तौर पर गए थे तब उन्हें भी ये स्पष्ट करना चाहिए कि उनके कथित हैकर से क्या रिश्ते हैं जो अन्य दलों के साथ काँग्रेस को भी घेर रहा है । वैसे ईवीएम से छेड़छाड़ कर चुनाव जीतने का आरोप नया नहीं है । भाजपा पर 2014 का लोकसभा चुनाव ईवीएम की कारस्तानी से जीतने का जो आरोप लगाया जाता है उसकी प्रमाणिकता पर संदेह इसलिये किया जाता रहा क्योंकि चुनाव मनमोहन सरकार के रहते हुए थे तथा उस समय चुनाव आयोग पर भी किसी ने भी संदेह नहीं जताया । 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की चमत्कारिक जीत भी रहस्यमय मानी गई । बिहार में भी मोदी लहर काम नहीं कर सकी लेकिन तब तक किसी को ईवीएम पर सन्देह उतना नहीं था किंतु 2017 के उप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की इकतरफा जीत के बाद मायावती और अखिलेश यादव ने आसमान सिर पर उठाने जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी । उसके बाद देश में कई जगह चुनाव हुए जिनमें परिणाम भी मिले जुले रहे । ईवीएम को शक के दायरे  में रखने वाली पार्टियां भी अनेक राज्यों में जीतकर आईं । दिसम्बर 2018 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए । उनमें एक भी चूंकि भाजपा के पक्ष में नहीं गया इसलिए किसी ने भी ईवीएम पर उंगली नहीं उठाई और इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए दावा किया कि मोदी लहर खत्म हो चुकी है और आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार बदल जाएगी । यद्यपि अधिकांश विपक्षी पार्टियाँ चुनाव आयोग पर इस बात का दबाव डाल रही हैं कि ईवीएम को विदा दे दी जाए और मतपत्र से मतदान की पुरानी पद्धति फिर शुरु हो । लंदन में हैकर द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद इस विवाद को नए सिरे से हवा मिल गई है । सर्वोच्च न्यायालय में भी मामला विचाराधीन है । इधर चुनाव आयोग लगातार कहता आ रहा है की ईवीएम सम्बन्धी तमाम आरोप निराधार है । लेकिन इस विवाद से अलग हटकर हैकर ने जो सबसे बड़ा आरोप लगाया है वह है भाजपा सरकार बनने के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु को हत्या बताया जाना । यद्यपि दुर्घटना को ही उनकी मौत का कारण माना गया किन्तु उनके परिजनों सहित कुछ अन्य लोगों ने भी उस पर सन्देह जताया था जिसकी पुष्टि नहीं हो सकी । गत दिवस जिस हैकर ने ईवीएम सम्बंधी आरोप लगाया उसने ये कहकर और भी सनसनी पैदा कर दी कि इस सम्बंध में कुछ और हत्याएं हो चुकी हैं तथा वह भी इसी डर से भारत से भाग आया । अधिकतर राजनीतिक बिरादरी ईवीएम पर आरोप लगाने और खुद पर लगे आरोपों को झुठलाने में व्यस्त है लेकिन हत्या साम्बन्धी जो बात उक्त हैकर द्वारा कही गई वह सियासी कहासुनी में दबकर न रह जाए ये देखने वाली बात होगी क्योंकि इसके सच होने का अर्थ राजनीति का पूरी तरह अपराधीकरण हो जाना है । ये भी कहा जा सकता है कि इस समूचे प्रकरण में विदेशी ताकतों का भी हाथ ही क्योंकि लोकतांत्रिक देशों की चुनावी प्रक्रिया में विदेशी दखलंदाजी कोई नई या अनोखी बात नहीं है । अमेरिका में  सीनियर जार्ज बुश के राष्ट्रपति चुनाव के समय धांधली का हल्ला मचा था । मौजूदा राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव में तो रूस की भूमिका अब तक चर्चा के केंद्र में है । ये सब देखते हुए भारत इससे अछूता रह सकता है ये मान लेना पूरी तरह सही नहीं होगा किन्तु जब तक तथ्य और प्रमाण सामने न आ जाएं तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना भी सही नहीं है । लगे हाथ ये भी साफ होना चाहिए कि कांग्रेसी दिग्गज कपिल सिब्बल की लंदन में मौजूदगी और हैकर से निकटता का कारण और पृष्ठभूमि क्या है ? इस तरह के मामलों में अमूमन आरोप लगते और कुछ दिनों तक उत्तेजना पैदा करने के बाद भुला दिए जाते हैं । अधिकांश मामलों में लंबी जांच के बाद भी हासिल आया शून्य की स्थिति बन जाती है । ईवीएम को लेकर भी अब तक यही होता आया है लेकिन अब जबकि उसके साथ हत्या जैसी बातें भी जुड़ गई हैं तब उसका गम्भीरता से संज्ञान लेना होगा क्योंकि मुद्दा केवल चुनाव जीतने - हारने तक सीमित न रहकर मरने - मारने तक जा पहुँचा है और फिर आरोप किसी एक नहीं अपितु आधा दर्जन उन पार्टियों पर भी लगा है जो ईवीएम का विरोध करने में आगे होती रही हैं ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment