Thursday 31 January 2019

संगम में महिलाएँ भी स्नान करती हैं थरूर साहब


कुछ लोगों को अक्ल का अजीर्ण होता है। उन्हीं में से एक पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर भी हैं।  तिरुवनन्तपुरम से लोकसभा के लिए निर्वाचित श्री थरूर यूँ तो बड़े विद्वान हैं। अनेक पुस्तकों के रचयिता भी हैं। स्तम्भ लेखन भी अच्छा करते हैं। संरासंघ में लंबे समय तक रहने से वैश्विक स्तर की सोच रखते हैं। अपने अभिजात्य रहन-सहन और सुदर्शन व्यक्तित्व के चलते ग्लैमर की दुनिया में भी चर्चित हैं। वैसे राजनीति से समानान्तर उनके प्रेम प्रसंग भी उन्हें खबरों में बनाये रखते हैं। मनमोहन सरकार में मंत्री बनने के बाद आवंटित बंगले की साज-सज्जा के चलते 27 हजार रोज के किराए वाले होटल में महीनों रहे। हवाई जहाज की इकॉनामी क्लास को जानवरों की श्रेणी कहकर आलोचना झेल चुके श्री थरूर अक्सर ऐसा कुछ बोल देते हैं जिससे न सिर्फ  उन्हें वरन पूरी कांग्रेस पार्टी को शर्मसार होना पड़ता है। हिन्दू धर्म और संस्कृति को लेकर अतीत में की गईं उनकी टिप्पणियों के कारण लोग उन्हें मणिशंकर अय्यर की श्रेणी में रखने लगे जो अपने उल-जलूल बयानों से कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी करते रहते हैं। आदत से मजबूर श्री थरूर ने गत दिवस एक और विवाद खड़ा कर दिया। ट्विटर पर उन्होंने उप्र मंत्रीमण्डल के सदस्यों के प्रयागराज में कुंभ स्नान का चित्र पोस्ट करते हुए टिप्पणी की कि इस संगम में सब नंगे हैं। उनके इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर तो उनकी फजीहत हुई ही अन्य माध्यमों में भी लोगों ने श्री थरूर पर थू-थू  की। उल्लेखनीय है देश-विदेश से नामी- गिरामी हस्तियां कुंभ मेले में संगम स्नान करने आती हैं। इनमें राजनेता भी बड़ी संख्या में होते हैं। कुंभ केवल धार्मिक आस्था ही बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति का जीवंत प्रगटीकरण है जो राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को अक्षुण्ण बनाये रखता है। पूरे विश्व में इस आयोजन की भव्यता और दिव्यता की चर्चा और प्रशंसा होती हैं। गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने की लालसा करोड़ों हिंदुओं के मन में रहती है। इस संगम में  सब नंगे हैं जैसी टिप्पणी करने वाले श्री थरूर शायद भूल गए कि पिछले अनेक कुंभ में उनकी पार्टी के दिग्गज नेता भी स्नान करने पहुंचे थे जिनमें मंत्री स्तर के भी तमाम लोग रहे। इस बार भी ऐसा हो रहा है। मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई मांत्रियों सहित संगम स्नान हेतु जाने की खबर भी आज प्रसारित हुई है। और तो और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और हाल ही में पार्टी की महासचिव नियुक्त की गईं उनकी बहिन प्रियंका वाड्रा भी संगम में स्नान करने जाने वाले हैं। ऐसे में ट्विटर पर की गई उनकी स्तरहीन टिप्पणी क्या कांग्रेस के उन नेताओं के लिए भी है जो संगम में स्नान कर चुके हैं या करने वाले हैं। जैसा प्रारम्भ में कहा गया श्री थरूर की योग्यता और विद्वता निश्चित रूप से आकर्षित करती है। मणिशंकर अय्यर भी उन्हीं की तरह विदेश सेवा से निवृत्त हुए मेधावी व्यक्ति हैं। लेकिन इसे संयोग ही कहा जायेगा कि ये दोनों अपनी बेलगाम जुबान और संदर्भहीन टिप्पणियों से अपनी छीछालेदर करवाने के साथ ही कांग्रेस पार्टी को भी मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर देते हैं। बेहतर हो राहुल गांधी स्वयं आगे आकर श्री थरूर के ताजा ट्वीट की निंदा करें क्योंकि वे और प्रियंका स्वयं भी संगम स्नान हेतु जाने वाले हैं। यही नहीं तो उनकी टिप्पणी उन करोड़ों श्रद्धालुओं का उपहास है जो तरह-तरह की तकलीफें उठाकर कुंभ में स्नान करने जाते हैं। खुद श्री थरूर जिस शहर और राज्य के मूल निवासी और सांसद हैं वह सनातन धर्म और हिन्दू संस्कृति के पालन के प्रति बेहद गम्भीर है। केरल देश का पहला राज्य है जिसने शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य काफी पहले हासिल कर लिया था। इस राज्य में ईसाई और मुसलमान भी काफी हैं। बावजूद उसके वहां भारतीय संस्कृति अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ दिखाई देती है। अपनी जि़ंदगी का बड़ा हिस्सा विदेशों में गुजारने के कारण सम्भवत: श्री थरूर के दिमाग में तथाकथित आधुनिकता ने अतिक्रमण कर लिया है। लेकिन उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि विदेशों में पढ़े उनकी पार्टी  के अध्यक्ष राहुल गांधी भी अच्छी तरह समझ गए कि भारत की आत्मा कहां बसती है? इसीलिए बीते कुछ समय से हिन्दू मंदिरों और मठों में उनकी आवाजाही भले ही राजनीतिक लाभ के लिये की जा रही हो किन्तु इससे एक बात साबित हो गई कि छद्म धर्मनिरपेक्षता की निरर्थकता श्री गाँधी को अच्छी तरह से समझ में आ गई। हाल में केरल के सुप्रसिद्ध सबरी माला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को खत्म कर देने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का कांग्रेस दिल्ली में तो समर्थन कर रही है लेकिन उसने अपनी केरल इकाई को जिसके श्री थरूर भी एक हिस्से हैं, उक्त फैसले का विरोध करने की छूट दी जिससे वहां का सनातन धर्मी हिन्दू समाज पार्टी से नाराज न हो जाये। इस संगम में सब नंगे हैं जैसी मूर्खतापूर्ण टिप्पणी करने वाले श्री थरूर ने पार्टी हाईकमान के उस निर्देश का विरोध करने का साहस क्यों नहीं दिखाया ये प्रश्न भी उठ खड़ा होता है। यदि उन्हें प्रयागराज में चल रहा कुंभ ढकोसला लगता है तो उनको राहुल और प्रियंका सहित उन सभी कांग्रेस नेताओं का भी मजाक उड़ाना चाहिए जो संगम स्नान कर चुके हैं या  करने वाले हैं। कांग्रेस पार्टी को श्री थरूर और श्री अय्यर जैसे मानसिक बीमारों के घटिया बयानों से पहले भी काफी नुकसान हो चुका है। मणिशंकर को तो कुछ समय के लिए पार्टी से निलंबित भी किया गया था। गुजरात विधानसभा चुनाव के अन्तिम दौर में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में जो अभद्र टिप्पणी की उसने कांग्रेस के हाथ से आती हुई सत्ता छीन ली थी। पता नहीं श्री गांधी ओछी मानसिकता वाले ऐसे नेताओं को पार्टी में क्यों रखे हुए हैं? इस संगम में सब नंगे हैं जैसी टिप्पणी करने से पहले श्री थरूर को कम से कम इतना ध्यान तो रखना ही चाहिये था कि संगम में महिलाएं भी स्नान करती हैं।संगम में महिलाएँ भी स्नान करती हैं थरूर साहब
कुछ लोगों को अक्ल का अजीर्ण होता है। उन्हीं में से एक पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर भी हैं।  तिरुवनन्तपुरम से लोकसभा के लिए निर्वाचित श्री थरूर यूँ तो बड़े विद्वान हैं। अनेक पुस्तकों के रचयिता भी हैं। स्तम्भ लेखन भी अच्छा करते हैं। संरासंघ में लंबे समय तक रहने से वैश्विक स्तर की सोच रखते हैं। अपने अभिजात्य रहन-सहन और सुदर्शन व्यक्तित्व के चलते ग्लैमर की दुनिया में भी चर्चित हैं। वैसे राजनीति से समानान्तर उनके प्रेम प्रसंग भी उन्हें खबरों में बनाये रखते हैं। मनमोहन सरकार में मंत्री बनने के बाद आवंटित बंगले की साज-सज्जा के चलते 27 हजार रोज के किराए वाले होटल में महीनों रहे। हवाई जहाज की इकॉनामी क्लास को जानवरों की श्रेणी कहकर आलोचना झेल चुके श्री थरूर अक्सर ऐसा कुछ बोल देते हैं जिससे न सिर्फ  उन्हें वरन पूरी कांग्रेस पार्टी को शर्मसार होना पड़ता है। हिन्दू धर्म और संस्कृति को लेकर अतीत में की गईं उनकी टिप्पणियों के कारण लोग उन्हें मणिशंकर अय्यर की श्रेणी में रखने लगे जो अपने उल-जलूल बयानों से कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी करते रहते हैं। आदत से मजबूर श्री थरूर ने गत दिवस एक और विवाद खड़ा कर दिया। ट्विटर पर उन्होंने उप्र मंत्रीमण्डल के सदस्यों के प्रयागराज में कुंभ स्नान का चित्र पोस्ट करते हुए टिप्पणी की कि इस संगम में सब नंगे हैं। उनके इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर तो उनकी फजीहत हुई ही अन्य माध्यमों में भी लोगों ने श्री थरूर पर थू-थू  की। उल्लेखनीय है देश-विदेश से नामी- गिरामी हस्तियां कुंभ मेले में संगम स्नान करने आती हैं। इनमें राजनेता भी बड़ी संख्या में होते हैं। कुंभ केवल धार्मिक आस्था ही बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति का जीवंत प्रगटीकरण है जो राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को अक्षुण्ण बनाये रखता है। पूरे विश्व में इस आयोजन की भव्यता और दिव्यता की चर्चा और प्रशंसा होती हैं। गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने की लालसा करोड़ों हिंदुओं के मन में रहती है। इस संगम में  सब नंगे हैं जैसी टिप्पणी करने वाले श्री थरूर शायद भूल गए कि पिछले अनेक कुंभ में उनकी पार्टी के दिग्गज नेता भी स्नान करने पहुंचे थे जिनमें मंत्री स्तर के भी तमाम लोग रहे। इस बार भी ऐसा हो रहा है। मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई मांत्रियों सहित संगम स्नान हेतु जाने की खबर भी आज प्रसारित हुई है। और तो और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और हाल ही में पार्टी की महासचिव नियुक्त की गईं उनकी बहिन प्रियंका वाड्रा भी संगम में स्नान करने जाने वाले हैं। ऐसे में ट्विटर पर की गई उनकी स्तरहीन टिप्पणी क्या कांग्रेस के उन नेताओं के लिए भी है जो संगम में स्नान कर चुके हैं या करने वाले हैं। जैसा प्रारम्भ में कहा गया श्री थरूर की योग्यता और विद्वता निश्चित रूप से आकर्षित करती है। मणिशंकर अय्यर भी उन्हीं की तरह विदेश सेवा से निवृत्त हुए मेधावी व्यक्ति हैं। लेकिन इसे संयोग ही कहा जायेगा कि ये दोनों अपनी बेलगाम जुबान और संदर्भहीन टिप्पणियों से अपनी छीछालेदर करवाने के साथ ही कांग्रेस पार्टी को भी मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर देते हैं। बेहतर हो राहुल गांधी स्वयं आगे आकर श्री थरूर के ताजा ट्वीट की निंदा करें क्योंकि वे और प्रियंका स्वयं भी संगम स्नान हेतु जाने वाले हैं। यही नहीं तो उनकी टिप्पणी उन करोड़ों श्रद्धालुओं का उपहास है जो तरह-तरह की तकलीफें उठाकर कुंभ में स्नान करने जाते हैं। खुद श्री थरूर जिस शहर और राज्य के मूल निवासी और सांसद हैं वह सनातन धर्म और हिन्दू संस्कृति के पालन के प्रति बेहद गम्भीर है। केरल देश का पहला राज्य है जिसने शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य काफी पहले हासिल कर लिया था। इस राज्य में ईसाई और मुसलमान भी काफी हैं। बावजूद उसके वहां भारतीय संस्कृति अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ दिखाई देती है। अपनी जि़ंदगी का बड़ा हिस्सा विदेशों में गुजारने के कारण सम्भवत: श्री थरूर के दिमाग में तथाकथित आधुनिकता ने अतिक्रमण कर लिया है। लेकिन उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि विदेशों में पढ़े उनकी पार्टी  के अध्यक्ष राहुल गांधी भी अच्छी तरह समझ गए कि भारत की आत्मा कहां बसती है? इसीलिए बीते कुछ समय से हिन्दू मंदिरों और मठों में उनकी आवाजाही भले ही राजनीतिक लाभ के लिये की जा रही हो किन्तु इससे एक बात साबित हो गई कि छद्म धर्मनिरपेक्षता की निरर्थकता श्री गाँधी को अच्छी तरह से समझ में आ गई। हाल में केरल के सुप्रसिद्ध सबरी माला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को खत्म कर देने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का कांग्रेस दिल्ली में तो समर्थन कर रही है लेकिन उसने अपनी केरल इकाई को जिसके श्री थरूर भी एक हिस्से हैं, उक्त फैसले का विरोध करने की छूट दी जिससे वहां का सनातन धर्मी हिन्दू समाज पार्टी से नाराज न हो जाये। इस संगम में सब नंगे हैं जैसी मूर्खतापूर्ण टिप्पणी करने वाले श्री थरूर ने पार्टी हाईकमान के उस निर्देश का विरोध करने का साहस क्यों नहीं दिखाया ये प्रश्न भी उठ खड़ा होता है। यदि उन्हें प्रयागराज में चल रहा कुंभ ढकोसला लगता है तो उनको राहुल और प्रियंका सहित उन सभी कांग्रेस नेताओं का भी मजाक उड़ाना चाहिए जो संगम स्नान कर चुके हैं या  करने वाले हैं। कांग्रेस पार्टी को श्री थरूर और श्री अय्यर जैसे मानसिक बीमारों के घटिया बयानों से पहले भी काफी नुकसान हो चुका है। मणिशंकर को तो कुछ समय के लिए पार्टी से निलंबित भी किया गया था। गुजरात विधानसभा चुनाव के अन्तिम दौर में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में जो अभद्र टिप्पणी की उसने कांग्रेस के हाथ से आती हुई सत्ता छीन ली थी। पता नहीं श्री गांधी ओछी मानसिकता वाले ऐसे नेताओं को पार्टी में क्यों रखे हुए हैं? इस संगम में सब नंगे हैं जैसी टिप्पणी करने से पहले श्री थरूर को कम से कम इतना ध्यान तो रखना ही चाहिये था कि संगम में महिलाएं भी स्नान करती हैं।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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