Tuesday 29 January 2019

गडकरी के बयान में भविष्य का संकेत

दो दिनों से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का ये बयान चर्चाओं में है कि वायदे वही करो जिन्हें पूरा कर सको वरना जनता पीटेगी। श्री गडकरी उन चंद राजनेताओं में से हैं जो काम करने के लिए जाने जाते हैं। महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री के तौर पर उनके काम की देश भर में प्रशंसा हुई थी। नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उन्हें गंगा सफाई, सड़क, पुल, फ्लाईओवर, हाइवे और बंदरगाह बनाने जैसे काम वाला मंत्रालय दिया गया और पाँच साल पूरे होते-होते वे ही ऐसे मंत्री हैं जिनका रिपोर्ट कार्ड उन्हें 90 फीसदी अंक देता है। उनके ताजा बयान को प्रधानमंत्री पर कटाक्ष के रूप में लिया जा रहा है। राजनीति का विश्लेषण करने वालों के अनुसार श्री गडकरी की नजर चुनाव बाद के सियासी हालात पर है। हालिया चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में यद्यपि एनडीए सबसे ज्यादा सीटें जीतेगा लेकिन उसे बहुमत नहीं मिलेगा और उस सूरत में श्री मोदी की बजाय श्री गडकरी के नाम पर बाहरी समर्थन बटोरकर सरकार बनाई जा सकेगी। उल्लेखनीय है कि वे रास्वसंघ के अत्यंत निकट हैं, बावजूद उसके उनकी छवि ऐसे व्यवहारिक राजनेता के तौर पर है जो विकास की राजनीति करता है। स्मरणीय है कि कुछ समय पहले श्री गडकरी के उस बयान पर काफी हल्ला मचा था कि जब नौकरियां हैं ही नहीं तब आरक्षण का लाभ ही क्या ? इस तरह की बात कहने का साहस भी अपवाद स्वरूप ही कोई नेता करता है। लोकसभा चुनाव के पहले दिए उनके ताजा बयान को उसके वास्तविक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो वह एक संदेश है सभी राजनीतिक दलों के लिए जो चुनाव जीतने के लिए ऐसे-ऐसे वायदे कर देते हैं जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता और उसकी वजह से  जनता के मन में गुस्सा तो बढ़ता ही है उससे भी ज्यादा राजनीति के बारे में अविश्वास का भाव उत्पन्न होता है। 1971 के लोकसभा चुनाव में अपनी ही पार्टी के भीतर संकट से घिरी इंदिरा जी ने जनताा के बीच जा-जाकर कहा कि मैं कहती हूं गरीबी हटाओ और विपक्षी कहते हैं इंदिरा हटाओ। देश की जनता ने उनकी बात पर भरोसा करते हुए उन्हें प्रचंड बहुमत दे दिया। लेकिन गरीबी हटना तो दूर अब तो गरीबी रेखा से नीचे वाली श्रेणी भी अस्तित्व में आ गई। यही हाल रोजगार का है। केंद्र की सत्ता में आई  हर सरकार ने बेरोजगारी मिटाने का वायदा तो किया किन्तु उसे पूरा करने में विफल रही। किसानों के साथ किये गए वायदे भी हवा-हवाई होकर रह गए। आज देश में जो अविश्वास और चौतरफा असन्तोष का वातावरण है उसका सबसे बड़ा कारण चुनावी वायदे पूरे न होना ही है। आजकल किसानों के कर्ज माफ  किया जाना चुनाव जीतने का नुस्खा बन गया है। लेकिन सत्ता में आने के बाद उसे पूरा करने में तरह-तरह की परेशानियां आती हैं जिससे किसानों में गुस्सा बढ़ता है। गडकरी जी के जिस बयान पर दो दिनों से बवाल मचा है उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सत्ता में आने के बाद हर व्यक्ति को न्यूनतम आय देने का वायदा करते  हुए कह दिया कि उनके खाते में प्रति माह एक निश्चित राशि जमा कर दी जावेगी। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार तीन दिन बाद पेश किए जाने वाले बजट में ऐसा ही प्रावधान करने वाली है। इसी के साथ किसानों के खाते में भी हर फसल के पहले तय रकम जमा करने का प्रावधान भी अपेक्षित है। गरीब लोगों को मिलने वाली विभिन्न सब्सिडी के एवज में  राशि उनके बैंक खाते में जमा किये जाने की उम्मीद भी जताई जा रही है। यदि वाकई मोदी सरकार ऐसा करती है तब उसके पीछे एकमात्र उद्देश्य लोकसभा चुनाव जीतना होगा। राहुल ने मनरेगा की चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया था। जैसे-जैसे चुनाव करीब आएँगे वायदों की टोकरी और भी भरती जावेगी। प्रश्न ये है कि उन्हें पूरा करने की गारंटी क्या है? श्री गडकरी ने जो कहा उसका राजनीतिक निहितार्थ तो लोगों ने निकाल लिया लेकिन उसमें जो व्यवहारिक और सामयिक चेतावनी है उस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा और यही हमारी देश की सबसे बड़ी विडंबना है। चुनाव आयोग के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर चुनाव घोषणापत्र को हलफनामे के तौर पर लिए जाने की बात कही किन्तु राजनीतिक दल उसके लिए राजी नहीं हैं और आगे भी शायद ही होंगे क्योंकि उनका मकसद येन केन प्रकारेण सत्ता हासिल करना मात्र है। यदि वे ईमानदार होते तो देश में नेताओं और राजनीति के प्रति इतनी वितृष्णा नहीं होती। उस दृष्टि से श्री गडकरी ने वायदे पूरे न होने पर जनता द्वारा पीटे जाने संबंधी जो बात कही उसे गम्भीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि पीटे जाने से आशय केवल सत्ता से हटाना मात्र नहीं बल्कि उसके आगे भी सम्भव है। समय आ गया है जब चुनावी वायदे करने की गारंटी का भी प्रावधान चुनाव आयोग रखे वरना राजनेताओं की पिटाई को रोकना असम्भव हो जाएगा। आखिर सहनशक्ति की भी कोई सीमा होती है ।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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