Friday 30 July 2021

जब 100 फीसदी शिक्षित राज्य का ये हाल है तब ......



देश में कोरोना का पहला मरीज केरल में ही मिला था | उसके बाद वहाँ की चिकित्सा व्यवस्था की खूब तारीफ हुई और अन्य राज्यों को भी केरल मॉडल अपनाने की सलाह दी जाने लगी | लेकिन  धीरे – धीरे वहाँ भी कोरोना का संक्रमण अन्य प्रदेशों जैसा फैलने लगा | हालाँकि महाराष्ट्र लगातार सबसे आगे बना रहा परन्तु  दूसरी लहर की विदाई के संकेतों के बीच ही केरल में जिस तरह से कोरोना पैर पसार रहा है वह चिंता का कारण है | बीते कुछ दिनों से देश में 40 हजार से ज्यादा नए कोरोना मरीज मिल रहे हैं जिनमें आधे अकेले केरल के ही हैं | हाल ही में वहां ईद के अवसर पर तीन दिनों तक जो छूट  दी गई थी उस पर सर्वोच्च न्यायालय तक ने रोष व्यक्त किया था किन्तु प्रदेश की वामपंथी  सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया | हालाँकि ये कहना जल्दबाजी होगी कि केरल में कोरोना  का विस्फोट ईद के कारण ही हुआ लेकिन ये तो सही है कि बीते कुछ दिनों में केरल के हालात पूरे देश के लिए खतरे का संकेत बन गये हैं |  देश के अनेक हिस्सों से जैसी  खबरें आ रही हैं उनसे ये साफ़ होता जा रहा है कि कोरोना का संक्रमण दबे पाँव लौटने लगा है | कहीं इक्का – दुक्का तो कहीं ज्यादा मामले सामने आने से तीसरी लहर को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाएं सही साबित होती लग रही हैं | उ.प्र के कानपुर में गत दिवस आधा सैकड़ा से अधिक नए मरीज मिलने से घबराहट है क्योंकि राज्य में विधानसभा  चुनाव की सरगर्मियां शुरू हो गईं हैं | आज ही अनेक चिकित्सा विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि अगस्त – सितम्बर में कोरोना की तीसरी लहर का आना सुनिश्चित है | दूसरी तरफ  शॉपिंग माल और मल्टीप्लेक्स खोलने की छूट देने के अलावा अनेक राज्यों ने हाई स्कूल स्तर की कक्षाएं खोलने का निर्णय भी ले लिया | सावन के महीने में शिव  मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ती है | अगस्त में रक्षाबंधन का त्यौहार भी है | इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों का आना – जाना और मिलना – जुलना होता है | कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने की खबर से  देश भर में ये भरोसा व्याप्त हो गया कि कोरोना पूरी तरह से खत्म हो चला है और टीकाकरण अभेद्य सुरक्षा चक्र का काम करेगा | परिणामस्वरूप गाँव से लेकर शहर तक में लोग  लापरवाह नजर आने लगे | हालांकि ऐसा केवल अपने देश में नहीं हो रहा | अमेरिका और ब्रिटेन आदि में भी नए मरीज मिल रहे हैं | तीसरी लहर से दुनिया के विकसित देश भी जूझ रहे हैं | लेकिन उनकी आबादी कम होने के साथ ही  चिकित्सा प्रबंध भी बेहतर हैं | जबकि भारत में तमाम दावों के बावजूद आधी आबादी तक को दूसरा टीका नहीं  लग सका | ऐसे में सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास अभी बहुत दूर है | सरकार और सामाजिक संस्थाओं सहित समाचार  माध्यम भी लगातार लोगों को कोरोना से बचाव हेतु मास्क और शारीरिक दूरी जैसे तरीके अपनाने का आग्रह  करते आ रहे हैं | लेकिन जनसाधारण में इसके प्रति गम्भीरता का अभाव साफ़ देखा जा सकता है | केरल जैसे शत – प्रतिशत  सुशिक्षित राज्य में कोरोना का बढ़ता प्रकोप वाकई चौंकाने वाला है | इस प्रदेश में जनसँख्या ज्यादा और होने से घनी बसाहट भी संक्रमण के फैलाव में सहायक बनती है | ये देखते हुए इस बात का डर है कि उ.प्र और बिहार जैसे राज्यों में यदि कोरोना की वापिसी हुई तब क्या हालात बनेंगे , जिनकी आबादी कई यूरोपीय देशों से ज्यादा है और शिक्षा का प्रसार भी अपेक्षाकृत कम है | इस दृष्टि से आने वाले कुछ दिन कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बेहद महत्वपूर्ण होंगे | दूसरी लहर में देश ने मौत का जो मंजर देखा उसके बाद भी यदि उसकी पुनरावृत्ति को रोकने के प्रति लापरवाह रहे तो फिर किसी और को दोष देने का अधिकार हमें नहीं होगा | कहावत भी है कि भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद करते हैं |

- रवीन्द्र वाजपेयी


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