Wednesday 14 July 2021

ज़िन्दगी रही तो सैर -सपाटा और धरम - करम भी हो जायेंगे वरना .......



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा इन्डियन मेडिकल एसोसियेशन ने भी इस बात के प्रति चेताया है कि पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर उमड़ रही बेतहाशा भीड़ कोरोना की तीसरी लहर के लिए रास्ता साफ़ करने वाली हो सकती है |  हालाँकि खुद सरकार ने इसकी  अनुमति दी थी लेकिन ये कहना गलत न होगा कि मौज - मस्ती के साथ ही धर्म का पालन करने वाले लोग इस बात के प्रति पूरी तरह लापरवाह नजर आते हैं कि उनका गैर जिम्मेदाराना आचरण उनके साथ ही दूसरों के जीवन के लिए भी घातक साबित हो सकता है | गत दिवस खबर आई कि  सबसे पहले  केरल की जो युवती चीन के वुहान से कोरोना लेकर भारत में आई थी वह दोबारा संक्रमित हो गई | लेकिन उससे भी  बड़ी खबर ये है कि उसे अभी तक कोरोना का एक ही टीका लग पाया था | ये वाकई चौंकाने वाली बात है | भारत के पहले कोरोना मरीज को अब तक दोनों टीके नहीं लग पाना एक तरफ तो शासन - प्रशासन की अनदेखी को उजागर करता है वहीं दूसरी तरफ ये उस युवती की  उदासीनता का भी प्रमाण है | ऐसे में पर्यटन स्थलों और मन्दिरों सहित अन्य धार्मिक केन्द्रों पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की जो  भीड़ कोरोना अनुशासन की धज्जियां उड़ाती नजर आ रही है वह तीसरी लहर की आशंका को और मजबूत करने वाली है | शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी बाजार - हाट में बिना मास्क लगाये और शारीरिक दूरी का उल्लंघन  करते हुए लोग आसानी से देखे जा सकते हैं | अब जबकि विभिन्न राज्य सरकारें 10 वीं और 12 वीं की कक्षाएं शुरू करने  का फैसला लेने जा रही हैं और सिनेमा , रेस्टारेंट , सभागार आदि खोलने पर भी  विचार चल रहा है तब इस बात की  चिंता करनी होगी कि कहीं ये छूट जानलेवा तो नहीं बन जायेगी | मप्र में शादियों में भी  100 लोगों तक के जमावड़े की अनुमति दे दी गई है |  विभिन्न राज्य सरकारें इसके आगे और छूट देने की दिशा में सोचने लगी हैं | कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने का ही  सबूत है कि प्रधानमन्त्री ने मंत्रीमंडल की बैठक में लम्बे समय बाद मंत्रियों को शारीरिक रूप से उपस्थित रहने की अनुमति दी वरना अब तक आभासी माध्यम से ही काम चलाया जा रहा था | ये देखते हुए इस बात को समझना होगा कि तीसरी लहर को रोकना किसी एक या कुछ  लोगों के हाथ में नहीं है वरन समूचे समाज को अपने दायित्व को समझना होगा |  देश में टीकाकरण निश्चित ही तेज गति से चल रहा है लेकिन पूरी आबादी को दोनों टीके लगने में महीनों लग सकते हैं | ऐसे में ये समय बहुत ही सावधानी बरतने का है | भले ही सरकारी और निजी क्षेत्र के  चिकित्सा तंत्र द्वारा पर्याप्त आक्सीजन और वेंटीलेटरों का इंतजाम करने  का आश्वासन दिया जा रहा हो तथा अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या में भी काफी वृद्धि कर दी गई हो किन्तु  कोरोना की तीसरी लहर की वापिसी देश की  आर्थिक स्थिति को चिंताजनक स्थिति में पहुंचा देगी  जिसका असर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से हर नागरिक पर पड़ना तय है | पिछली दो लहरों ने जो नुकसान किया उसकी भरपाई करने में ही लम्बा समय लगने वाला है | ऐसे में तीसरी लहर ने दस्तक दी तो भले ही वह उतनी  भयावह न हो लेकिन उसका मनोवैज्ञानिक असर राष्ट्रीय जीवन पर पड़े बिना नहीं रहेगा | इसलिए हर नागरिक का फर्ज है कि  चाहे वह अपने शहर में हो या सैर - सपाटा और तीर्थाटन करने निकला हो , उसे हर हालत में कोरोना से बचाव के प्रति ईमानदारी से गंभीरता बरतनी चाहिए | वरना  सरकार और चिकित्सकों को कठघरे में खड़ा करने के बाद भी ज़िन्दगी  की कोई गारंटी नहीं रहेगी |

- रवीन्द्र वाजपेयी


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