Thursday 15 July 2021

कावड़ यात्रा : तीसरी लहर का स्वागत द्वार बन सकती



सर्वोच्च न्यायालय ने उ.प्र सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा को दी गई अनुमति पर नोटिस जारी किये हैं | केन्द्रीय गृह सचिव के साथ ही उ.प्र सरकार  को सोमवार तक हलफनामे के साथ जवाब देना है कि उक्त अनुमति क्यों दी गई ? स्मरणीय है कि उत्तराखंड सरकार ने इस  यात्रा को अनुमति नहीं दी थी किन्तु उ.प्र सरकार द्वारा आगामी 25 जुलाई से कांवड़ियों को यात्रा की स्वीकृति दिए जाने से काफी बवाल मचा जबकि  दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यटन और धार्मिक केन्द्रों पर उमड़ रही भीड़ द्वारा कोरोना संबंधी अनुशासन की धज्जियां उडाये  जाने पर खेद जताते हुए तीसरी लहर के प्रति चेताया था | सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतराज  में  श्री मोदी  के उसी वक्तव्य का उल्लेख किया है | गत वर्ष भी लॉक डाउन की वजह से इस यात्रा को अनुमति नहीं दी गई थी  जिसमें श्रावण मास के दौरान  शिव भक्त कांवड़िये हरिद्वार से  गंगा जल भरकर अपने स्थान ले जाकर मन्दिर के शिव लिंग पर चढ़ाते हैं | पहले इस  यात्रा में  सीमित संख्या में कांवड़िये सम्मिलित हुआ करते थे किन्तु  बीते कुछ सालों से इनकी  संख्या लाखों तक जा पहुँची है | इस कारण यात्रा के दौरान  हरिद्वार से निकलने वाले  हर मार्ग  पर यातायात की बुरी स्थिति होने के साथ ही व्यापार - उद्योग तक  ठप्प हो जाते हैं | कांवड़िये अपने  लिये विशेष व्यवस्थाओं की मांग करते हुए उत्पात मचाने से भी बाज नहीं आते | हालाँकि धार्मिक संस्थाएं उनके भोजन  और विश्राम की व्यवस्था करती हैं लेकिन शासन और प्रशासन की पूरी मशीनरी भी  उनकी व्यवस्था में लग जाती है क्योंकि यात्रा के दौरान अनेक मर्तबा कानून व्यवस्था गड़बड़ा चुकी है | कांवड़ियों की शक्ल में असामाजिक तत्व और आतंकवादी होने की आशंका भी सुरक्षा बलों की  चिंता का कारण बनी रहती है | गत वर्ष कोरोना के कारण कांवड़ यात्रा तो रोक दी गई किन्तु इस वर्ष हरिद्वार में कुम्भ के लिए उत्तराखंड सरकार ने अनुमति दे दी | इस फैसले पर भी सवाल उठे | चूँकि कोरोना की पहली लहर खत्म होने की खुशफहमी थी इसलिए साधू - महात्माओं के साथ ही श्रद्धालुओं का सैलाब हरिद्वार में जमा हुआ | उसी के साथ दूसरी लहर की आमद भी होने लगी | हरिद्वार में ही  अनेक साधू - महात्मा कोरोना की चपेट में आकर चल बसे | अंततः प्रधानमंत्री के निवेदन पर कुम्भ समय से पहले समाप्त भले ही कर दिया गया किन्तु ये धारणा भी स्थापित हो गई कि  उसके कारण संक्रमण का प्रसार पूरे देश में हुआ | भले ही उत्तराखंड सरकार ये  सफाई देती रही कि कोरोना के पीछे कुम्भ नहीं था लेकिन उस पर किसी को भरोसा नहीं हुआ | उस समय के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इसीलिये भाजपा हाईकमान द्वारा हटा दिया गया | इसीलिये जब प्रधानमंत्री की दो टूक टिप्पणी के बाद भी कांवड़  यात्रा को उ.प्र सरकार द्वारा अनुमति दी गई तो सर्वोच्च न्यायालय का नाराज होकर जवाब मांगना सर्वथा उचित कहा जाएगा |  इसमें कोई दो मत नहीं है कि ऐसे आयोजनों में जन साधारण भी बढ़ - चढ़कर रूचि लेता है | यूँ भी श्रावण माह में शिव भक्ति चरम पर रहती है | लेकिन जैसा श्री मोदी ने कहा उसके अनुसार इस तरह की यात्रा कोरोना की तीसरी लहर के लिए स्वागत द्वार बनाने जैसा कदम होगी | अब तक के अनुभव बताते हैं कि  इस यात्रा के दौरान क़ानून और व्यवस्था का पालन करने के प्रति घोर लापरवाही होती रही है | ऐसे में कोरोना अनुशासन की धज्जियां उड़ना तयशुदा है | इसलिए  उ.प्र सरकार को यात्रा रद्द करने की  समझदारी दिखाना चाहिये वरना तीसरी लहर का पूरा ठीकरा कांवड़ यात्रा पर ही फूटेगा और योगी सरकार के लिए आगामी चुनाव में जनता का सामना करना बेहद कठिन हो जायेगा | आश्चर्य इस बात का भी है कि उ.प्र सरकार ने प्रधानमंत्री की खुली चेतावनी को भी अनसुना कर दिया | सर्वोच्च न्यायालय का ये कहना पूरी तरह सही है कि आस्था मानव जीवन से बड़ी नहीं हो सकती |

- रवीन्द्र वाजपेयी



 

No comments:

Post a Comment