Wednesday 7 July 2021

वरना भीड़ के कंधों पर बैठकर जल्द आयेगी तीसरी लहर



लॉक डाउन खुलने के साथ ही बाजारों में भीड़ नजर आने लगी | इसके साथ ही पर्यटन स्थलों पर भी सैलानी टूट पड़े | शिमला के रास्ते में तो लंबा जाम लग गया | गत दिवस समाचार माध्यमों में देश की राजधानी दिल्ली की सडकों और बाजारों के  अलावा शिमला और मसूरी में उमड़े हुजूम के दृश्य प्रसारित होने के बाद सरकार की तरफ से ये चेतावनी आई कि यही हाल रहा तो लॉक डाउन में दी गई ढील वापिस ली जा सकती है | कोरोना की दूसरी लहर ने जो भयावह हालात  पैदा  किये  उनके मद्देनजर  अपेक्षा थी कि लोगों ने उनसे सबक लिया होगा | लॉक डाउन को शिथिल करने का निर्णय निश्चित रूप से मजबूरी का परिणाम है क्योंकि लोगों को हमेशा के लिए न तो घरों में रहने बाध्य किया जा सकता है  और न ही उद्योग - व्यापार को ठप्प रखा जा सकता है | सबसे ज्यादा नुकसान छोटा कारोबार करने वालों को हो रहा था |  दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति भी ख़राब थी | दूसरी लहर का चरमोत्कर्ष गुजरने के साथ ही ज्योंही  कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी होने लगी और टीकाकरण अभियान ने भी गति पकड़ी त्योंही  सरकार को लगा कि सामान्य गतिविधियाँ शुरू करना उचित रहेगा | और उसी के बाद लॉक डाउन में सीमित मात्रा में ही सही लेकिन छूट देते हुए विवाह सहित अन्य आयोजनों में आगंतुकों की अधिकतम संख्या तय कर दी गई | सरकारी आयोजन भी शारीरिक दूरी बनाये रखकर होने लगे | लेकिन इसका परिणाम पहली लहर के लॉक डाउन खोलने के बाद जैसा हुआ  | मसलन बाजारों में बेतहाशा  भीड़ और कोरोना से बचाव के प्रति लापरवाही | गत वर्ष कोरोना की पहली लहर के समय जनता , सरकार और चिकित्सक सभी इस आपदा से अनभिज्ञ थे किन्तु दो महीने के लॉक डाउन ने ये सिखा दिया  कि बीमारी क्या है और उससे कैसे बचा जा सकता है | हालांकि  लॉक डाउन में ढील दिये जाते ही  लोग सब भूल गये और वही कारण रहा कि कोरोना पहले से ज्यादा खतरनाक अंदाज में लौटा जिसमें  लाखों की बलि चढ़ गई | जैसे - तैसे देश उससे बाहर आया तो लॉक डाउन इस अपेक्षा  के साथ ढीला किया गया कि आम जन उस छूट का सदुपयोग करते हुए हालात  सामान्य बनाने में सहायक होंगे | हालाँकि सभी गैर जिम्मेदार और अनुशासनहीन हों ऐसा तो नहीं है किन्तु सार्वजनिक जगहों पर जो दृश्य नजर आ रहे हैं  उससे कोरोना की तीसरी लहर का आना सुनिश्चित लगने लगा है | देश भर से जिस प्रकार की जानकारी आ रही है उससे इस बात की पुष्टि हो रही है कि लॉक डाउन हटते ही लोगों में बेफिक्री आ गई है | जिन लोगों को कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं उनमें से अधिकतर को ये गुमान हो चला है कि वे  सुरक्षित हो गये हैं | उनका आत्मविश्वास पूरी तरह गलत नहीं है लेकिन  ये बात याद रखनी होगी कि टीका बेशक बचाव का कारगर तरीका है लेकिन उसके बाद संक्रमण नहीं  , होगा ये मान लेना गलत है | टीका तैयार करने वाले वैज्ञानिक  भी लगातार कहते रहे हैं कि टीका लगने के बाद संक्रमण होने पर वह अपेक्षाकृत कम घातक होगा और मरीज थोड़े से इलाज में स्वस्थ हो सकेगा | लेकिन यदि वह संक्रमण से बचा  रहना चाहता है तो उसे वे सभी सावधानियां बरतनी चाहिए जो शुरुवात  से सुझाई जा रही हैं | इस प्रकार तीसरी लहर का आगमन और उससे पैदा होने वाले खतरे की मात्रा जनता के बड़े वर्ग के आचरण पर निर्भर है | मौजूदा स्थिति तो पूरी तरह डराने वाली है | जिस तरह निडर होकर लोग बाजारों और पर्यटन स्थलों में बिना मास्क के  शारीरिक दूरी का पालन किये बगैर घूम फिर रहे हैं उसे देखते हुए तीसरी लहर के लिए ज्यादा इन्तजार नहीं करना पडेगा क्योंकि अभी तो आधी आबादी को पहला टीका तक नहीं लग पाया है | सरकार द्वारा लॉक डाउन में दी गई ढील वापिस लेने की चेतावनी पूरी तरह जरूरी और सही है | कोरोना से देशवासियों को बचाने की जिम्मेदारी बेशक सरकार की है लेकिन उसके निर्देशों तथा व्यवस्था का पालन करना जनता का फर्ज है | कोरोना या इस जैसी किसी भी आपदा से बचाव तभी संभव है जब सरकार और जनता दोनों के बीच समन्वय बना रहे | 

- रवीन्द्र वाजपेयी


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