Wednesday 28 July 2021

तीसरी लहर के आकलन तक विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव भी रोके जाएं



म.प्र में नगरीय निकाय के चुनावों के बारे में  राज्य चुनाव आयोग ने उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया है कि कोरोना की तीसरी लहर का आकलन करने के उपरांत ही इस बारे में  फैसला लिया जावेगा | आयोग ने ये भी स्पष्ट किया कि चुनाव की तैयारियां चलने के बावजूद अभी तक  कोई अधिसूचना भी जारी नहीं हुई है | उक्त स्पष्टीकरण एक याचिका के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया | वैसे भी नगरीय चुनाव में आरक्षण और परिसीमन को लेकर पेश की गई याचिकाओं पर उच्च न्यायालयों की तीनों पीठों ने अलग – अलग स्थगन आदेश जारी किये हैं | इस प्रकार नगरीय निकाय चुनावों को लेकर चला आ रहा असमंजस तो खत्म हो गया लेकिन  प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट के  उपचुनाव जल्द ही होने वाले हैं | उनको लेकर दोनों प्रमुख पार्टियाँ भाजपा और कांग्रेस तैयारी में जुट गई हैं | चुनाव संचालक भी  नियुक्त कर  दिए गये हैं |  सक्षम उम्मीदवारों की तलाश हेतु सर्वेक्षण की खबर भी है | हालांकि अब तक उस बारे में आयोग द्वारा कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई किन्तु  राजनीतिक सरगर्मियों से लगता है कि सितम्बर के अंत या अक्टूबर के प्रारंभ में मतदान करवाया जा सकता है क्योंकि  तब तक मानसून की वापिसी भी हो जाएगी | लेकिन जिस कारण से चुनाव आयोग ने नगरीय चुनाव जल्द न करवाने की बात उच्च न्यायालय में कही , क्या वही विधानसभा और लोकसभा के उपचुनावों पर लागू नहीं होता ?  कोरोना को लेकर लगातार ये आगाह किया जा रहा है कि जरा सी लापरवाही तीसरी लहर के आने का कारण बन सकती है | आम जनता से ये अनुरोध किया जा रहा है कि वह मास्क और शारीरिक दूरी के अलावा अन्य सावधानियों का पालन करे किन्तु राजनीतिक दलों के  आयोजनों में नेता और कार्यकताओं द्वारा कोरोना संबंधी नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं | जनसभाओं को सुनने आने वाले श्रोताओं में भी  अधिकतर बिना मास्क वाले होते हैं | ये देखते हुए चुनाव आयोग ने जिस आधार पर नगरीय निकायों के चुनाव करवाने का फैसला कोरोना की तीसरी लहर संबंधी आकलन के बाद  लिए जाने की बात कही ठीक वैसी ही विधानसभा और लोकसभा के प्रस्तावित उपचुनावों के बारे में भी उसे कहना चाहिए क्योंकि कोरोना ये नहीं देखता कि चुनाव कौन सा  है ? वैसे इस बारे में राजनीतिक दलों को भी दायित्वबोध का परिचय देना चाहिये क्योंकि उनका जनता से सीधा जुड़ाव होने से उसकी खैरियत के बारे में भी उनका फिक्रमंद होना अपेक्षित है | जहाँ तक बात चुनाव आयोग की है तो वह संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत अपने कार्य को सम्पादित करने को तैयार रहता है किन्तु परिस्थितियों के मद्देनजर   जनता की जान की रक्षा  सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए  | ये बताने की जरूरत नहीं है कि चुनाव चाहे छोटा हो बड़ा , उसमें कोरोना से बचाव हेतु बनाये गये नियमों का पालन लेशमात्र ही होता है | जो नेतागण आये दिन जनता को कोरोना से सावधान रहने की सलाह देते हैं वे खुद उसका पालन करने के प्रति कितने लापरवाह हैं ये टीवी पर प्रसारित होने वाले चित्रों में देखा जा सकता है | ये देखते हुए मप्र में होने वाले  चुनाव या उपचुनाव तब तक के लिए रोककर रखे जाने चाहिए जब तक कोरोना की तीसरी लहर की आशंका पूर्णतः खत्म न हो जाए | बेहतर हो उच्च न्यायालय विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव के बारे में  स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य चुनाव आयोग से वैसा ही स्पष्टीकरण हासिल करे जैसा उसने नगरीय निकाय चुनाव को लेकर दिया है | जनता के स्वास्थ्य को खतरे में डालकर करवाया जाने वाला चुनाव जनविरोधी ही कहा जाएगा | कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जनता की  आँखों से बहे आंसू अभी तक सूखे नहीं हैं |  

- रवीन्द्र वाजपेयी


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