Wednesday 25 May 2022

मंत्री की बर्खास्तगी स्वागतयोग्य लेकिन सवाल और भी उठ रहे हैं



पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा अपने स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को बर्खास्त करने के साथ ही गिरफ्तार कर जेल भिजवाये जाने के फैसले को प्रदूषित हो चुकी भारतीय राजनीति में ताजी हवा के झोके जैसा देखा जा रहा है | मंत्री महोदय द्वारा स्वास्थ्य विभाग की निविदाओं में अपने ओएसडी के मार्फत एक अधिकारी से कमीशन मांगे जाने संबंधी रिकॉर्डिंग होने के बाद श्री मान ने उनसे उस बारे में सफाई मांगी और ज्योंहीं श्री सिंगला ने  स्वीकार किया कि आवाज उन्ही की है त्योंही मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई की गयी | कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा खरीदी में शुक्राने के नाम पर उगाही की शिकायतें मिलने से बीते दो माह से उन पर निगाह रखी जा रही थी  | आखिर में उनका स्टिंग ऑपरेशन किया गया जिसका नतीजा बर्खास्तगी और जेल जाने के रूप में निकला | ये भी खबर आई है कि दो मंत्री और भी मुख्यमंत्री की निगरानी पर हैं जिनके विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं | उक्त घटना के बाद श्री मान ने स्पष्ट किया कि वे चाहते तो मामले को दबा देते किन्तु ऐसा करना जनता के साथ विश्वासघात होता |  मुख्यमंत्री की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई की दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने जमकर तारीफ की | राजनीति से अलग जो लोग हैं उन्हें श्री मान का ये अंदाज बेहद पसंद आया , वहीं  अपेक्षानुरूप राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में इसे नाटकबाजी , मुंह छिपाने का प्रयास और दिखावा निरुपित किया गया | सोशल मीडिया पर भी  आम आदमी पार्टी को लेकर तरह – तरह की  बातें कही  गईं | मुख्य निशाना इस बात पर था कि श्री केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री की कार्रवाई पर तो पीठ थपथपाई लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के अनेक मंत्री और विधायकों पर जब इसी तरह के आरोप लगे तब एक मंत्री को छोड़कर बाकी के विरुद्ध ऐसी कारवाई करने में वे पीछे रहे | दूसरी बात जो  चर्चा में है वह ये कि पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री का स्टिंग न हुआ होता तब शायद मुख्यमंत्री इस तरह का कदम उठाने से बचते रहते | वे कहें कितना भी किन्तु एक बात तो माननी पड़ेगी कि यदि वे इस तरह की कार्रवाई न करते तब भी शिकायतकर्ता अधिकारी  मंत्री जी के कोप से बचने कुछ न कुछ कदम उठाता जिससे मान सरकार कठघरे में खड़ी हो जाती | लेकिन इस घटना से ये स्पष्ट हो गया कि आम आदमी पार्टी को भी दूध का धुला मान लेना सही नहीं होगा | बर्खास्त किये गये स्वास्थ्य मंत्री बीते सात साल से पार्टी में है | हाल ही में उन्होने विधानसभा चुनाव भी बड़े अंतर  से जीता | लेकिन इतने लम्बे समय से पार्टी में रहने के बावजूद सत्ता में आते ही यदि वे भ्रष्टाचार में लिप्त हो गये तो इसका अर्थ ये निकालना गलत नहीं होगा कि नई राजनीति का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी भी कमोबेश अन्य राजनीतिक दलों की तरह से ही है | पंजाब के दो और  मंत्रियों के भ्रष्टाचार में डूबे होने की आशंका जताए जाने से भी  लगता है कि  जो पकड़ा गया वह चोर वाली कहावत  चरितार्थ हो रही है और ये भी कि उसके  साथ जुड़े लोग बाहरी तौर पर भले ही कितने भी साफ़ – सुथरे हों लेकिन सत्ता में आते ही वे आम राजनेताओं की तरह से ही आचरण करने लग जाते हैं | दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार पहली बार बनी तब मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल ने वाहन , आवास , वेतन - भत्ते आदि को लेकर जितना आदर्शवाद प्रचारित किया वह धीरे – धीरे हवा - हवाई हो गया | विधायकों का वेतन कई गुना बढ़ाये जाने के साथ ही पार्टी के अनेक नेताओं को किसी न किसी पद पर बिठाकर मोटी रकम का भुगतान किया जाने लगा | इसी तरह राज्यसभा की सीटों के लिए दो धनकुबेरों को उपकृत किये जाने पर पार्टी को नैतिकता के आधार पर समर्थन दे रहे तमाम लोगों ने खुलकर आलोचना की | पंजाब से भी हाल ही में एक उद्योगपति को संसद के उच्च सदन में भेजा गया हैं | हालाँकि ऐसा करना  कोई अपराध नहीं है क्योंकि कांग्रेस और भाजपा के अलावा सपा , राजद , शिवसेना भी पूंजीपतियों को राज्यसभा के जरिये सांसद बनाती रही हैं | इसके पीछे कोई सैद्धांतिक वजह न होकर चुनावी चंदे का गणित होता है | लेकिन भ्रष्टाचार के विरुद्ध चले जनांदोलन से निकली पार्टी ने जल्द ही ये साबित कर दिया कि वह कोई स्वर्ग से उतरी हुई  नहीं है | और इसीलिये उसके प्रेरणास्रोत अन्ना हजारे को तो किनारे किया ही गया अपितु पार्टी की संस्थापक टोली के सदस्य शान्ति भूषण , प्रो.योगेन्द्र यादव  ,  कुमार विश्वास , प्रशांत भूषण और पत्रकारिता छोड़ इस पार्टी में आये आशुतोष को भी निकाल बाहर किया गया | पंजाब में भी 2014 में चुने गये कुछ सांसद खिन्न होकर बाहर आ गये | सही बात ये है कि अन्य क्षेत्रीय दलों की तरह ही आम आदमी पार्टी भी कुछ नेताओं की जेब में है | दिल्ली के बाद पंजाब में  उसकी जीत के पीछे मतदाताओं का  कांग्रेस , भाजपा और अकाली दल से मोहभंग हो जाना रहा | स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ श्री मान द्वारा उठाया  गया दंडात्मक कदम निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है लेकिन ये आम आदमी पार्टी के लिए भी विचारणीय है कि उसके साथ बरसों से जुड़े लोगों का आचरण लेश मात्र भी नहीं बदला | इससे साबित होता है कि जिस तरह अवसरवादी लोग अपने लाभ के लिए अन्य राजनीतिक दलों में घुसपैठ करते हैं उसी तरह से सत्ता के लालच में मौकापरस्त लोग आम आदमी पार्टी में आ रहे हैं | वरना महज दो महीनों के भीतर पंजाब सरकार में भ्रष्टाचार सतह पर नहीं आया होता | और जब दो अन्य मंत्रियों को भी संदेह की निगाह से देखा जा रहा है तब तो मामला और भी गम्भीर हो जाता है | लेकिन इस सबके बाद भी बर्खास्त किये गए मंत्री का बयान आना बाकी है जिन्होंने अदालत से बाहर आते समय केवल इतना कहा कि उनको फंसाया गया है | विश्वास के संकट में घिरी राजनीति के इस दौर में ये समझना बहुत कठिन होता जा रहा है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठों का सरदार है ?

-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment