म.प्र में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा खेमे में काफी प्रसन्नता है | पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का दावा है कि इस बार उसको अभूतपूर्व सफलता मिली | ग्राम , जिला और जनपद पंचायत में भाजपा के सदस्य बड़ी संख्या में जीतने के कारण ज्यादातर अध्यक्ष पद भी उसके कब्जे में होंगे | पार्टी को उम्मीद है कि जीते हुए निर्दलीय सदस्य भी बड़ी संख्या में उसके पाले में आ जायेंगे क्योंकि कांग्रेस के साथ जाने से उनका राजनीतिक भविष्य चौपट हो जाएगा | पंचायत के बाद नगर निगम , पालिका और परिषद के जो परिणाम आये उनको भी श्री शर्मा ने बहुत ही उत्साहवर्धक बताया | हालाँकि ग्वालियर ,जबलपुर और सिंगरौली में स्थानीय कारणों से महापौर पद पार्टी के हाथ से निकल गया लेकिन एक – दो को छोड़कर अधिकतर जगहों पर सदन में पार्षदों का बहुमत भाजपा के पास होने से कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी का महापौर पंगु होकर रह जाएगा | म.प्र में भाजपा 2003 से मात्र 15 माह छोड़कर सत्ता में है | 2018 में हालाँकि सत्ता उसके हाथ से खिसक गई थी जो ज्योतिरादित्य सिन्धिया गुट के साथ आने से दोबारा लौट आई | विधानसभा चुनाव की हार के दंडस्वरूप प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से जबलपुर के सांसद राकेश सिंह को हटाकर अभाविप से भाजपा संगठन में आये विष्णुदत्त शर्मा को कमान सौंपी गई जो खजुराहो से लोकसभा सदस्य भी हैं | श्री शर्मा ने प्रदेश भर में युवा कार्यकर्ताओं पर ध्यान केन्द्रित किया जिसके कारण पार्टी संगठन में ताजगी आई और नई पीढ़ी को ये लगने लगा कि उनके लिए अच्छी संभावनाएं हैं | पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव में श्री शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ तालमेल बिठाते हुए युवाओं को मैदान में उतारा जिसका सकारात्मक परिणाम निकला | चुनाव के पहले ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि आरक्षण संबंधी मामला अदालत में फंसा होने से भाजपा अपने परम्परागत ओबीसी मत खो देगी लेकिन चुनाव परिणामों ने दिखा दिया कि भाजपा के संगठन ने विपरीत हालातों में भी अनुकूल परिणामों की जमीन तैयार कर दी | पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जिस ताबड़तोड़ तरीके से कराये गये उनकी वजह से सत्तारूढ़ पार्टी को नुकसान होना तय था | लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के मेहनत ने अगले विधानसभा चुनाव का सेमी फायनल कहे जा रहे इन चुनावों में भाजपा की मजबूत स्थिति को प्रमाणित कर दिया है | इसके लिए युवाओं पर ध्यान केन्द्रित कर उनको बूथ की जिम्मेदारी देने का प्रयोग बेहद सफल रहा | अनेक जगहों पर पूरी तरह युवा चेहरे उतारकर भाजपा ने जो खतरा लिया उसके नतीजे उत्साहवर्धक निकलने से आगामी विधानसभा चुनाव में युवा चेहरे उतारने की श्री शर्मा की सोच कारगर साबित हो सकती है | उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ सरकार गिरी और श्री चौहान वापिस लौटे किन्तु कोरोना की वजह से संगठन संबंधी कार्य भी प्रभावित हुआ | लेकिन स्थितियां सामान्य होते ही श्री शर्मा ने बूथ विस्तारक और त्रिदेव योजना के साथ ही यूथ सक्रियता दोनों पर ध्यान केन्द्रित किया जिससे ये लगने लगा कि पार्टी में केवल नेताओं की नहीं अपितु छोटे कार्यकर्ता की भी पूछ - परख है | मुख्यमंत्री की लोकप्रियता और सक्रियता के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर श्री शर्मा ने युवा शक्ति को जिस चतुराई के साथ चुनावी मशीनरी में तब्दील किया उसका ही असर है कि सत्ता विरोधी रुझान के खतरे को दरकिनार रखते हुए भाजपा ने पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में जोरदार सफलता हासिल की | हालाँकि अभी पांच नगर निगमों के नतीजे 20 तारीख को आयेंगे जिनमें एक – दो जगह भाजपा की जीत पर संदेह जताया जा रहा है लेकिन अब तक जो परिणाम आये उनके आधार पर कहना गलत न होगा कि भाजपा ने सत्ता और संगठन के अच्छे तालमेल से जल्दबाजी में करवाने पड़े इन चुनावों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की | कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पार्टी के दूसरे सबसे बड़े चेहरे दिग्विजय सिंह दोनों 75 वर्ष के हो चुके हैं जबकि शिवराज सिंह 63 और विष्णु दत्त 51 वर्ष के होने से युवाओं को आकर्षित कर पाने में ज्यादा सफल साबित हुए हैं | सबसे खास बात ये है कि श्री शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन अध्यक्ष श्री सिंह द्वारा की गईं गलतियों को सुधारकर युवाओं को जिम्मेदारी देने की नीति अपनाई गई जिसका परिणाम काफी अच्छा निकला और इसके आधार पर 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी विजय यात्रा को जारी रख सकेगी |
- रवीन्द्र वाजपेयी
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