Wednesday 6 July 2022

हवाई यात्रा : घटती सुविधाएँ , बढ़ती असुरक्षा



हवाई यात्रा : घटती सुविधाएँ , बढ़ती असुरक्षा

भारत में उड्डयन व्यवसाय  का विस्तार काफी तेजी से हो रहा है | एक जमाना था जब गिने चुने शहर ही हवाई सेवा से जुड़े  थे और केवल संपन्न वर्ग ही उसका लाभ उठाता था या फिर वे  जिन्हें मुफ्त में उड़ान की सुविधा प्राप्त है | लेकिन उदारीकरण के बाद जब एयर इण्डिया और इन्डियन एयर लाइंस का एकाधिकार समाप्त होने के बाद निजी क्षेत्र की अनेक विमानन कम्पनियाँ इस व्यवसाय में उतरीं तब ये सवाल  भी उठाया गया कि गरीब समझे जाने वाले भारत सदृश देश में  हवाई सेवा का विस्तार कारगर होगा या नहीं ? लेकिन समय के साथ ज्यों – ज्यों वायु सेवा और हवाई अड्डे विकसित होते गए त्यों  – त्यों तमाम आशंकाएं दरकिनार होती चली गईं | आज ये कहने में कुछ भी गलत नहीं है कि बीते  दो दशक के दौरान  भारत में एक नया उच्च मध्यम आय  वर्ग उत्पन्न हुआ जिसने हवाई सेवा के उपयोग पर संपन्न वर्ग के एकाधिकार को समाप्त कर  दिया | ये समाज की सोच में आये उस बदलाव का प्रमाण है जिसके अंतर्गत कमाई होने पर उसे खर्च करने की प्रवृत्ति का भी विकास हुआ जिसे अर्थशास्त्र की भाषा में उपभोक्तावाद कहा जाता है | इसका एक कारण ये भी है कि बीते दो दशक में महानगरों के अलावा मध्यम श्रेणी के शहरों में भी हवाई अड्डे विकसित किये गए | उसके कारण निकटवर्ती क्षेत्रों के रहवासियों को इनका उपयोग करने की सुविधा मिली | और फिर सूचना तकनीक ( आई .टी ) सेक्टर कहे जाने वाले क्षेत्र में कार्यरत युवाओं द्वारा  हवाई यात्रा को प्राथमिकता दिए जाने से भी इस व्यवसाय में निजी कंपनियों का पदार्पण तेजी से हुआ | उन्होंने भी इस बात को समझा कि यदि हवाई यात्रा को लोकप्रिय बनाना है तो उसके प्रति समाज की अवधारणा बदलते हुए ये मानसिकता विकसित करनी होगी कि हवाई जहाज में बैठना अब केवल अमीरों की बात नहीं रही | इस दिशा में  हुए प्रयासों का ही नतीजा रहा कि विमानन कंपनियों ने मध्यम वर्ग  के अनुकूल  टिकिट दरें रखीं | मध्यम दर्जे के शहरों तक वायु सेवा पहुंचने से इन कम्पनियों को एक नया यात्री वर्ग तो मिला ही परन्तु  सबसे बड़ा लाभ ये हुआ कि एक विमान को दिन में कई फेरे लगाने का अवसर मिलने लगा जिससे कि उससे होने वाली आय में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई | और यही वजह है कि निजी क्षेत्र की अनेक एयर लाइंस ने अपना कारोबार शुरू करते हुए उड्डयन व्यवसाय को नई ऊंचाई प्रदान की | अनेक उपभोक्ता सर्वेक्षण संस्थाओं के अध्ययन में ये बात निकलकर आई कि रेल गाड़ी के वतानुकूलित प्रथम और द्वितीय श्रेणी में सफर करने वाले यात्री हवाई यात्रा की तरफ तेजी से उन्मुख हुए | किराया थोड़ा ज्यादा होने पर भी समय की बचत ने उन्हें बजाय रेल के विमान यात्रा की ओर आकर्षित किया | निश्चित रूप से ये एक  क्रांति कही जा  सकती है क्योंकि दस साल पहले तक ये किसी कल्पना से कम न था | लेकिन तमाम उपलब्धियों के बीच कुछ ऐसी चीजें भी हुईं और हो रही हैं जो हवाई यात्रा के साथ जुड़े खुशनुमा एहसास को ठेस पहुंचाती हैं | मसलन उड़ान में विलम्ब की समय रहते सूचना न देना और हवाई अड्डे पर आ चुके यात्रियों की सुविधा के प्रति लापरवाही , उड़ान रद्द हने पर वैकल्पिक व्यवस्था में अड़ंगेबाजी , विमान में  इकानामी श्रेणी की सीटों  को  असुविधाजनक बनाये जाने के साथ ही यात्रियों को मिलने वाले चाय – नाश्ते में कटौती के अलावा हवाई अड्डों पर एयर लाइंस के जो काउन्टर होते हैं उनमें बैठने वाले कर्मचारियों का असंन्तोषनक व्यवहार जैसी शिकायतें निरंतर बढ़ती जा रही हैं | एक ही परिवार द्वारा एक ही टिकिट पर यात्रा करने के बाद  भी सभी को अलग – अलग सीटें देना और साथ बैठने के लिए अतिरिक्त शुल्क की मांग जैसी बातों से हवाई यात्रियों के मन में गुस्सा बढ़ रहा है | शिकायत करने पर उसका निराकरण भी सरकारी तरीके से किया जाने लगा है | लेकिन सबसे चिंताजनक बात ये है कि ज्यादा  से ज्यादा फेरे लगाने के चक्कर में विमानों  का समुचित रखरखाव नहीं होने से उड़ानों में विलम्ब के अलावा उनके चाहे जब रद्द होने और उड़ान के बीच खराबी के कारण आपातकालीन लैंडिंग जैसी घटनायें बढ़ रही हैं | बीते कुछ दिनों में ही अनेक विमानों को तकनीकी खराबी के कारण उड़ान भरने के बाद उतारना पडा | ऐसे में उड्डयन मंत्रालय का ये दायित्व है कि वह न सिर्फ यात्री सुविधाओं में आ रही कमी पर ध्यान दे अपितु एयर लाइंस के विमानों में आने वाली  तकनीकी खराबियों के प्रति भी गम्भीर हो | उदाहरण के त्तौर पर एयर इण्डिया की सहयोगी एलायंस एयर लाइंस द्वारा    उपयोग किये जा रहे विमान काफी पुराने हो चुके हैं , जिन्हें विदा देने की जरूरत है | हवाई उड़ानों में सबसे महत्वपूर्ण बात होती है विमान का हर दृष्टि से दुरुस्त होना क्योंकि जरा सी तकनीकी खामी उसमें सवार लोगों की ज़िन्दगी खतरे में डाल सकती है | एयर इण्डिया को हुए भारी घाटे की वजह से सरकार  ने  उसे बेच दिया | उसके नए मालिक टाटा ने उसकी व्यवस्था में सुधार की शुरुवात भी कर दी | लेकिन खबर है अनेक निजी कंपनियां घाटे का शिकार होने जा रही हैं | ये देखते हुए सरकार को इस बारे में बेहद सतर्क रहना  होगा | एयर पोर्ट अथारिटी ऑफ़ इडिया द्वारा जिस बड़े पैमाने पर हवाई अडडे विकसित किये जा रहे हैं उनमें किये निवेश की वापिसी तभी संभव होगी जब हवाई यात्रा में लगातार वृद्धि के साथ ही वह सुविधा, समयबद्धता और सुरक्षा के पैमाने पर पूरी तरह सही और संतोषजनक हो | उस दृष्टि से भारत के उड्डयन व्यवसाय में और प्रतिस्पर्धा के साथ ही पेशेवर कार्यशैली की आवश्यकता है | सरकार द्वारा इस क्षेत्र से अपना हाथ  खींच लेने के बाद होना ये चाहिए कि देश के हवाई यात्रियों को भी विश्वस्तरीय सेवा का लाभ मिले | अब तो विदेशी कम्पनियां भी भारत में अपनी सेवाएं देने तत्पर हैं लेकिन सस्ती के नाम पर सुविधाओं और सुरक्षा की उपेक्षा करना हवाई यात्रा के आकर्षण में कमी ला सकता है | इस बारे में एक बात और भी ध्यान रखने योग्य है कि राजमार्गों को विश्वस्तरीय बनाये जाने से देश में सड़क यात्रा करने वाले तेजी से बढ़ रहे हैं | वाहनों की तकनीकी श्रेष्ठता भी इसमें सहायक हो रही है | बावजूद इसके  हवाई यात्रा में बचने वाला समय उसके प्रति रुझान पैदा करता है | निजी एयर लाइंस को चाहिए वे सरकारी ढर्रे की बजाय यात्रियों के संतोष के प्रति पूरी तरह सतर्क रहें जो हवाई यात्रा की पहली आवश्यकता है | 

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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