Thursday 28 July 2022

पार्थ : भ्रष्टाचार हुआ तभी तो करोड़ों निकल रहे हैं



प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने अपने  राजनीतिक जीवन में तरह – तरह के संकट झेले हैं | वाममोर्चे की सरकार के दौर में उन्होंने न जाने कितने अत्याचार सहे | लेकिन अपनी सादगी और संघर्षशीलता की वजह से वे जनता का समर्थन और सहानुभूति अर्जित करते – करते  सत्ता के शिखर पर आ पहुंची | वामपंथी दुर्ग को ध्वस्त करने का जो कारनामा स्व. इंदिरा गांधी और स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज तक न कर सके वह उन्होंने कर दिखाया | यद्यपि उनकी तुनकमिजाजी और अनिश्चित स्वभाव उनके राष्ट्रीय परिदृश्य पर स्थापित होने में सबसे बड़ा बाधक है | बावजूद उसके जिस तरह नरेंद्र मोदी ने गुजराती अस्मिता की भावना बुलंद करते हुए उस राज्य में लगातार 12 साल तक ठस्से के साथ राज किया ठीक वही तरीका अपनाते हुए ममता ने माँ , माटी और मानुष रूपी नारा देकर बंगाली जनमानस की भावनाओं को मतदान में तब्दील कर दिया | हालांकि वे अपने राज्य में भाजपा के उभार को नहीं रोक पा रहीं किन्तु  कांग्रेस और वाम मोर्चे को चारों खाने चित्त करने का करतब जरूर दिखा दिया  | प. बंगाल में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतने का उनका करिश्मा वाकई काबिले गौर है | लेकिन दूसरी तरफ 2014 और 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन भी किसी चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता | यद्यपि तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता ने जिस आक्रामक शैली में भाजपा में तोड़फोड़ कर डाली उससे लगने लगा था कि भाजपा को जो कुछ करना था कर चुकी और अब ढलान पर आती जायेगी | लेकिन बीते कुछ दिनों के भीतर ही ममता के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं | शारदा घोटाले का शोर विधानसभा चुनाव में उनकी शानदार जीत के बाद थम सा गया था परन्तु  पिछले कुछ दिनों  में ही ऐसा कुछ घट गया जिसने ममता को रक्षात्मक होने के लिए बाध्य कर दिया | उनके मंत्रीमंडल के वरिष्ट मंत्री पार्थ चटर्जी के विरूद्ध शिक्षा मंत्री रहते हुए शिक्षकों की भर्ती में घोटाले का आरोप लंबे समय से लगता आ रहा था | बीते सप्ताह ईडी ने उनकी बेहद करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापा मारा तो 21 करोड़ की नगद राशि बरामद हुई | परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर ईडी ने पार्थ और नगदी बरामद होने के कारण अर्पिता को  गिरफ्तार कर लिया | इसके बाद हमेशा ईडी पर दाना - पानी लेकर चढ़ाई करने वाली ममता बैनर्जी को ये कहना पड़ा  कि भ्रष्ट व्यक्ति का बचाव नहीं करेंगी और भ्रष्टाचार करने वाले को दंड मिलना ही चाहिए | कहा जा रहा  हैं उन्होंने पार्थ के फोन भी नहीं सुने | हालाँकि वे ईडी और सीबीआई सहित केंद्र सरकार पर हमलावर भी रहीं लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव से दूरी बनाने का जो  निर्णय तृणमूल कांग्रेस पार्टी द्वारा लिया गया उससे पहली बार लगा कि ममता दबाव में हैं | हालाँकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उन्होंने पार्थ को मंत्रीमंडल से हटाया नहीं था | कहा जा रहा है विपक्ष के साथ ही तृणमूल के भीतर भी पार्थ से मंत्री पद छीनने का दबाव  पड़ने की वजह से आज हो रही मंत्रीमंडल की बैठक में शायद वे हटा दिए जावेंगे लेकिन इस देरी से ममता की काफ़ी किरकिरी हो गयी | दरअसल  अपने सबसे ताकतवर और नजदीकी मंत्री को गिरफ्तार होने के बाद तत्काल मंत्री पद से हटाने से वे क्यों कतराती रहीं इसका जवाब उन्हें देना चाहिए |  इस बीच गत दिवस ईडी ने फिर अर्पिता को घेरा और इस बार भी उसे उनके घर से लगभग 28 करोड़ नगद और बड़ी मात्रा में जेवरात मिले | इस स्थिति में ममता और तृणमूल कांग्रेस दोनों के लिए मुंह छिपाने लायक जगह नहीं बची |  जानकारी मिली है कि अर्पिता ने गत दिवस ईडी को बताया  कि पार्थ उनके निवास को मिनी बैंक की तरह इस्तेमाल करते थे और उनके आदमी पैसा लाकर रखते थे | अर्पिता यदि उक्त कथन पर कायम रहीं तब पत्रकारों के सामने स्तीफा क्यों दूं जैसी अकड़ दिखाने वाले पार्थ का घिरना तय है | लेकिन इस बात पर आश्चर्य होता  है कि ममता जैसी अनुभवी और  तेजतर्रार मुख्यमंत्री का दाहिना हाथ  कहा जाने वाला मंत्री इतना बड़ा घोटाला करता रहा और वे बेखबर बने रहीं | इस घोटाले की जानकारी उन्हें थी या नहीं और क्या इस काण्ड में  उनकी लिप्तता है अथवा नहीं , इस प्रश्न का उत्तर भी देर - सवेर मिल ही जावेगा | लेकिन इन छापों में मिली अकूत नगदी के बाद  सुश्री बैनर्जी को ये तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि उनके राज में शिक्षकों की भर्ती  में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया गया और अर्पिता के घर से बरामद राशि पार्थ की ही है | जिस दिन राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ रहे थे उसी दिन ममता ने कोलकाता में एक बड़ी रैली में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपनी जांच एजेंसियों के जरिये विपक्ष की आवाज दबा रही है | लेकिन जब उन्हें ज्ञात हुआ कि अर्पिता के यहाँ मिला नोटों का जखीरा इतना बड़ा है तब उन्होंने केंद्र सरकार के  अलावा समाचार माध्यमों के बारे में वैसी ही टिप्पणी करनी शुरू कर दी जो जल्द सेवा निवृत्त होने जा रहे देश के प्रधान न्यायाधीश आजकल कह रहे हैं | कुल मिलाकर ममता के सियासी जीवन का ये दौर बेहद मुश्किलों से भरा हुआ है | वे समझ चुकी हैं कि अर्पिता के घर से मिले नोटों के बण्डल दरअसल पार्थ द्वारा की गई काली कमाई ही है | और इसीलिये वे ईडी पर दबाव बनाने की रणनीति पर चलते हुए पार्थ के बारे में ज्यादा बोलने से बच रही हैं  | हालाँकि आज उनसे मंत्री पद छीने जाने की सम्भावना है लेकिन मंत्री की कुर्सी जाते ही अर्पिता की तरह अगर पार्थ ने इस कांड में ममता को भी घसीटने का साहस किया तब तृणमूल के भीतर  भूचाल आ सकता है  |  ममता के भतीजे अभिषेक और उनकी पत्नी भी कोयला घोटाले में फंसी हैं | अपने विरोधी पर हावी हो जाना ममता का ब्रह्मास्त्र है लेकिन शिक्षक भर्ती घोटाले  पर पड़ा पर्दा हट जाने के कारण उनकी छवि तार – तार हुई है | इसे संयोग ही कहेंगे कि जिस तरह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री और केंद्र सरकर पर ज़हर बुझे तीर छोड़ा करते थे वैसी ही हेकड़ी ममता बैनर्जी भी दिखाती रहीं  | पिछले विधानसभा चुनाव की जीत के बाद तो उन्हें जागते हुए भी प्रधानमंत्री बनने के सपने आने लगे थे किन्तु पार्थ और अर्पिता पर ईडी का कहर जिस तरह टूटा उसके बाद से ममता की राह में नए – नए कांटे बिछते जायेंगे | सबसे बड़ी बात ये हो रही है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनमानस में ममता की  छवि को बहुत बट्टा लगा है | सबसे बड़ी बात ये होगी कि  मोदी विरोधी विपक्ष का  संभावित गठबंधन जन्म लेने के पहले ही दम तोड़ बैठेगा | ताजा खबर के नुसार 2024 के लोकसभा चुनाव हेतु विपक्ष का गठबंधन बनाने की जो कोशिशें हो रही हैं उसका नेतृत्व बजाय उनके तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी. राव को सौंपा जाएगा |

- रवीन्द्र वाजपेयी


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