Wednesday 27 July 2022

ईडी जाँच पर कांग्रेस का दोहरा रवैया



लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने  ईडी द्वारा की गई  छापेमारी के बाद गिरफ्तार हुए प. बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी को तत्काल मंत्री पद से हटाने की मांग की है | राज्य की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को भेजे एक पत्र में उन्होंने लिखा है कि शिक्षक भर्ती घोटाले के समय चूंकि श्री चटर्जी ही शिक्षा मंत्री थे इसलिए जाँच पूरी होने तक उनका मंत्री रहना गलत होगा | इस संदर्भ में उल्लेखनीय है बीते सप्ताह ईडी ने श्री  चटर्जी  की करीबी कही जा रही अर्पिता मुख़र्जी के यहाँ से 20 करोड़  रूपये की नगदी बरामद करने के बाद दोनों को गिरफ्तार किया तो प.बंगाल की राजनीति में उबाल आ गया | इस मामले का सबसे रोचक पक्ष ये है कि  शिक्षक भर्ती घोटाला लम्बे समय से चर्चाओं में होने के बावजूद  कांग्रेस अब तक  इसे लेकर खामोश रही | इसके पीछे की कहानी ये है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी एक साथ मिलकर ममता के विरुद्ध मैदान में उतरे लेकिन जनता ने उन्हें विपक्ष के लायक भी नहीं समझा जिसके कारण  आजादी के बाद पहली मर्तबा प.बंगाल की विधानसभा में कांग्रेस और वामपंथी दलों का एक भी विधायक नहीं है | उसके बाद कुछ समय तक तो   कांग्रेस ममता सरकार पर आक्रामक रही किन्तु  पार्टी हाईकमान ने 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके पहले होने वाले राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस पर हमले न करने के निर्देश राज्य इकाई को दिये | जिसके बाद ममता सरकार के खिलाफ कांग्रेसी मुंह बंद किये बैठे थे | हालाँकि सुश्री बैनर्जी ने तीसरी बार सत्ता में आने के बाद खुद को आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने में सक्षम बताकर विपक्षी एकता की  मुहिम चलाते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार को उपेक्षित किया लेकिन इसके बाद भी उनके विरुद्ध बोलने से कांग्रेस परहेज करती रही | राष्ट्रपति के चुनाव  तक तो ये चुप्पी बनी रही | यहाँ तक कि ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर भी कांग्रेस ने स्वीकार किया | लेकिन जब उपराष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस की वरिष्ट नेत्री मारग्रेट अल्वा को  एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के मुकाबाले संयुक्त विपक्ष का प्रत्याशी बनाकर उतारा गया तब बड़े ही रहस्यमय तरीके से ममता ने इस चुनाव से दूर रहने का ऐलान करते हुए ये बहाना बना दिया कि कांग्रेस ने इस बारे में उनसे सलाह नहीं की थी | उनके इस  फैसले पर इसलिए आश्चर्य हुआ क्योंकि प. बंगाल के राज्यपाल रहते हुए श्री धनखड़ के साथ ममता की जरा सी भी नहीं बनी | इस अप्रत्याशित फैसले ने कांग्रेस को रुष्ट कर दिया और उसी के बाद प. बंगाल में  ममता के विरुद्ध आलोचनात्मक बयानबाजी पर लगाई गयी रोक वापिस ले ली गयी जिसका तात्कालिक असर श्री चौध्ररी द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पार्थ चटर्जी को मंत्रीपद से हटाने की मांग के रूप में सामने आया | लेकिन इस कदम से कांग्रेस का दोहरा रवैया भी उजागर हो गया क्योंकि एक तरफ तो दिल्ली में वह ईडी द्वारा पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में की जा रही पूछताछ पर धरना – प्रदर्शन कर  रही है वहीं  दूसरी तरफ कोलकाता में ममता सरकार के एक मंत्री के ईडी के शिकंजे में फंस जाने पर उन्हें मंत्री पद से हटाने का दबाव मुख्यमंत्री पर बना रही है | और वह भी इसलिए क्योंकि तृणमूल  ने उपराष्ट्रपति के चुनाव में श्रीमती अल्वा का समर्थन करने से मना कर दिया | इससे ये साफ़ हो गया है कि ममता सरकार के एक मंत्री का भ्रष्टाचार उजागर होने पर कांग्रेस का उसके विरोध में खड़ा हो जाना राजनीतिक सौदेबाजी का नतीजा है न कि ईमानदारी का | कांग्रेस के इस रवैये से ईडी द्वारा श्रीमती गांधी और राहुल से की जा रही पूछताछ के विरोध का औचित्य ही समाप्त हो जाता है | वैसे भी उन दोनों से केवल पूछताछ ही तो हो रही है जो जांच एजेंसियां किसी से भी कर सकती हैं | बेहतर होता दिल्ली में सड़कों पर हंगामा करने के बजाय कांग्रेस जांच पूरी होने की प्रतीक्षा करती | आखिरकार गांधी परिवार भी तो इस देश के नागरिकों में से ही है | यदि वह खुद को निर्दोष मानता है तब किसी भी जांच एजेंसी द्वारा तलब किये जाने पर उसे और कांग्रेस पार्टी को इतनी तकलीफ क्यों हो रही है ये समझ  से परे है | उसकी ये दोहरी सोच अधीर रंजन द्वारा ममता को लिखे पत्र के साथ ही दिल्ली में श्रीमती गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में किये जा रहे प्रदर्शन से उजागर हो रही है | राजनीतिक उद्देश्यों से तृणमूल के गलत कार्यों पर चुप्पी साध लेना और पटरी न बैठने की  स्थिति में विरोध का झंडा उठा लेना कांग्रेस नेतृत्व की निर्णय क्षमता और नीतिगत भटकाव  का उदाहरण है | कांग्रेस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि यदि  ममता उपराष्ट्रपति चुनाव में श्रीमती अल्वा का समर्थन कर देतीं तब भी क्या वह पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हटाने की मांग करती ? दरअसल उसका यही विरोधाभासी रवैया उसकी वर्तमान दुरावस्था का कारण है | 

- रवीन्द्र वाजपेयी


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