Saturday 23 July 2022

बजाय भाजपा को घेरने के भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंस गया विपक्ष



 राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता का छिन्न – भिन्न होना चर्चा का विषय बन गया है | उसके  संयुक्त प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के नामांकन में साथ रहने वाले अनेक दलों ने बीच रास्ते उनका साथ छोड़कर एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया | लेकिन हद तो तब हो गयी जब श्री  सिन्हा का समर्थन कर  रही पार्टियों में भी फूट पड़ गयी जिसके फलस्वरूप उनके अनेक विधायकों और सांसदों ने  श्रीमती मुर्मू को मत दिया | इस चुनाव में पार्टी का व्हिप नहीं जारी नहीं होने से  दलबदल कानून लागू नहीं होता | लेकिन इससे एक बात तो साबित हो गयी कि विपक्षी पार्टियों में आपसी तालमेल के अभाव के साथ ही उनकी अपनी एकजुटता भी संदेहास्पद है | खैर , राष्ट्रपति चुनाव का अध्याय तो खत्म हो गया लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए की तरफ से मैदान में उतरे जगदीप धनखड़ का मुकाबला करने विपक्ष द्वारा खड़ी की गईं मार्गरेट अल्वा को भी पूरे विपक्ष का समर्थन मिलना  मुश्किल है | इसका पहला संकेत तृणमूल कांग्रेस ने इस चुनाव का बहिष्कार करने के नाम पर दिया | पार्टी के संसदीय दल की बैठक के बाद ये बताया गया कि चूंकि श्रीमती अल्वा  के नाम पर  तृणमूल से सलाह नहीं ले गयी इसलिए वह  इस चुनाव से खुद को दूर रखेगी | हालाँकि प. बंगाल के राज्यपाल रहते हुए श्री धनखड़ और ममता बैनर्जी के सम्बन्ध बेहद खराब रहे और ऐसे में ये माना जा रहा था कि वे श्रीमती अल्वा  को खुला समर्थन देंगी । लेकिन उन्होंने बहिष्कार का रास्ता चुना | इस पर कांग्रेस और वामपंथी दलों ने ममता पर तीखे हमले भी किये | गत दिवस तृणमूल सरकार के एक मंत्री की करीबी कही जाने वाले महिला के यहाँ ईडी के छापे में 20 करोड़ की नगदी पाए जाने के बाद ममता सरकार पर उंगलियाँ उठने लगी हैं | महाराष्ट्र में पिछली उद्धव ठाकरे  सरकार के दो वरिष्ट मंत्री अभी तक जेल में हैं | कांग्रेस की कार्यकारी  अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी पूछ्ताछ कर रही है | दिल्ली सरकार के एक मंत्री जेल में हैं , वहीं आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार के भी एक मंत्री को जेल जाना पड़ा | दिल्ली में नई आबकारी नीति लागू किये जाने के मामले में नियमों का उल्लंघन किये जाने का मामला सीबीआई को सौंपा जा रहा है जो इस विभाग के मंत्री मनीष सिसौदिया से पूछ्ताछ करेगी | इन सब प्रकरणों की वजह से भी विपक्षी एकता प्रभावित हो रही हो | मसलन तृणमूल कांग्रेस  सरकार पर कांग्रेस और वामपंथी दल हमलावर हैं | वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में छत्तीस का आंकड़ा होने से दोनों एक दूसरे का बचाव करने के बजाय हमला करने का एक भी अवसर नहीं छोड़ते | दिल्ली में जहाँ कांग्रेस श्रीमती गांधी की ईडी में हो रही पेशी के विरुद्ध आंदोलनरत है वहीं आम आदमी पार्टी अपने नेताओं की जांच के खिलाफ मोदी सरकार के विरुद्ध हल्ला मचा रही है | हालांकि सारे विपक्षी दल इस बात को लेकर तो एकमत हैं कि मोदी सरकार ईडी और सीबीआई को हथियार बनाकर विपक्ष को डराने के साथ ही उसकी प्रदेश सरकारों को अस्थिर करने पर आमादा है | लेकिन उसके विरोध में संयुक्त मुहिम चलाने पर विपक्षी दलों में आम सहमति नहीं है | जबकि कांग्रेस , एनसीपी , तृणमूल और आम आदमी पार्टी सभी पर एक जैसा संकट है | तीन दिन पहले कोलकाता में आयोजित विशाल रैली में ममता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह महाराष्ट्र के बाद उनकी सरकार गिराने की योजना बना रही है |  अगले दिन ही तृणमूल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का ऐलान किया तो सियासत के जानकार बोलने लगे कि परदे के पीछे तृणमूल और भाजपा के बीच सुलह हो गई है । परन्तु गत दिवस ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी बताई जा रही अर्पिता मुखर्जी नामक महिला के यहाँ डाले गए छापे में 20 करोड़ रु. के नोट पकड़े गये  | जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये शिक्षक भर्ती घोटाले में मंत्री श्री चटर्जी द्वारा किये गए भ्रष्टाचार से अर्जित धन है | नोटों के बण्डल शिक्षा विभाग के सरकारी लिफाफों में मिले | आज श्री चटर्जी गिरफ्तार कर लिए गए वहीं अर्पिता भी हिरासत में हैं | एक और मंत्री सहित अनेक अधिकारियों के यहाँ छापे की कार्रवाई अभी तक चल रही है | इसके बाद भाजपा ने ममता पर जोरदार हमला बोल दिया है | जाहिर है कांग्रेस और वामपंथी भी चुप नहीं रहेंगे | इस प्रकार भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसी विपक्षी पार्टियाँ चूंकि एक दूसरे का बचाव करने में असमर्थ हैं इसलिए उनकी एकता भी अधर में हैं | दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर हैं , वहीं महाराष्ट्र में शरद पवार समर्थक मंत्रियों को उद्धव ठाकरे जेल जाने से  बचा नहीं सके | विपक्षी दलों का मोदी सरकार पर ईडी के दुरूपयोग संबंधी आरोप भी धीरे - धीरे अपनी धार खोता जा रहा है क्योंकि  श्रीमती गांधी और उनके बेटे राहुल पर नेशनल हेराल्ड संबंधी पूछताछ अदालत के कहने पर ही हो रही है | वहीं उद्धव सरकार में मंत्री रहते हुए जेल गए अनिल देशमुख और नवाब मलिक की जमानत अर्जी न्यायालय द्वारा रद्द की जा रही है | ऐसा ही दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन के साथ है जिन्हें अदालत द्वारा राहत न दिए जाने की वजह से जेल में  रहना पड़ रहा है | पंजाब में आम आदमी पार्टी के एक मंत्री को खुद मुख्यमंत्री ने जेल भिजवाया | और आज प. बंगाल में ममता बैनर्जी के खासमखास मंत्री जी और उनकी करीबी कही जा रही अर्पिता को ईडी की छापेमारी के बाद गिरफ्तार होना पड़ा | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भले ही  उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के बचाव में कुछ भी कहें लेकिन शराब के कारोबार को लेकर किये गए फैसलों में भ्रष्टाचार की बू आ रही है | कुल मिलाकर देश भर में विपक्षी पार्टियाँ अव्वल तो राजनीतिक कारणों से एकजुट नहीं हो पा रहीं वहीं ईडी द्वारा फैलाये जाल में फंसने वाले नेता और उनके दल अपने बचाव में व्यस्त होने से इस बारे में सोचने का समय ही नहीं निकाल पा रहे | निश्चित रूप से मोदी सरकार ने ईडी के जरिये विपक्ष की जबर्दस्त घेराबंदी कर दी है जिसे राजनीतिक वैमनस्य और  प्रतिद्वन्दिता भी कहा जा रहा है किन्तु जिस तरह से विपक्षी नेता  भ्रष्टाचार में फंसते जा रहे हैं उनकी वजह से उनको एक – दूसरे के साथ खड़े होने में भी  बदनामी का डर सताने लगा है | कोलकाता में तृणमूल सरकार के मंत्री के फंस जाने के बाद अब विपक्षी एकता की राह में एक रूकावट और बन गई क्योंकि कांग्रेस और वामपंथी तृणमूल कांग्रेस को नहीं बख्शेंगे } यही स्थिति दिल्ली में गांधी  परिवार और आम आदमी पार्टी के बीच है | उपराष्ट्रपति के चुनाव को भूलकर विपक्ष अपनी गर्दन बचाने में जुटा हुआ है | शायद ये पहला अवसर होगा जब विपक्ष के सिर पर अपराधबोध का बोझ इतना ज्यादा हो गया कि  वह सत्ता पक्ष पर हमले करने की बजाय अपना  बचाव करने के लिये मजबूर है |

- रवीन्द्र वाजपेयी



 

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