Saturday 1 April 2023

रामनवमी जुलूस पर पथराव किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा



रामनवमी के जुलूस पर देश के विभिन्न राज्यों में हुईं पथराव की घटनाएँ चिंता का विषय हैं | गुजरात , प.बंगाल , बिहार और झारखण्ड में रामनवमी के दूसरे  दिन भी उपद्रव हुए जिन्हें सांप्रदायिक कहना गलत नहीं होगा | हालाँकि गैर भाजपा शासित राज्यों में तो ऐसा होना आश्चर्यजनक नहीं होता | विशेष रूप से प. बंगाल में जहां की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के राज में बांग्लादेशी मुसलमानों का आतंक चरम पर जा पहुंचा है | बिहार में यद्यपि नीतीश कुमार  काफी संतुलित होकर चलते हैं लेकिन जबसे उनके साथ लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने हैं तबसे इस राज्य में भी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण बढ़ता जा रहा है | झारखंड साम्प्रदायिक तौर पर अपेक्षाकृत शांत माना जाता है लेकिन वहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगता है खुशफहमी में रहे जिसका लाभ उठाकर उपद्रवियों ने हिन्दुओं  के सबसे बड़े आराध्य की शोभा यात्रा पर हमला करने की जुर्रत कर डाली | लेकिन  सबसे ज्यादा हैरत हुई  हिंदुत्व की प्रयोगशाला कहे जाने वाले गुजरात में जहां बीते दिसंबर में ही भाजपा ने ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाई | इस राज्य में भी  रामनवमी की शोभायात्रा पर पथराव शोचनीय है | इसी तरह महाराष्ट्र में भी  भाजपा की हिन्दुत्ववादी सरकार के रहते हुए ऐसा होना किसी षडयंत्र की तरफ इशारा करता है | केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प.बंगाल के राज्यपाल से इस बारे में रिपोर्ट तलब की गई है क्योंकि वहां के हालात सबसे ज्यादा नाजुक बताये जाते हैं | लेकिन केंद्र सरकार को चाहिए वह पूरे देश के बारे में जानकारी एकत्र करे क्योंकि इस तरह के श्रृंखलाबद्ध उपद्रव किसी बड़ी योजना का हिस्सा हो सकते हैं | जिस तरह के वीडियो फुटेज सामने आये हैं उनसे साफ़ है कि पथराव की तैयारी बाकायदा की गई थी | दिल्ली में हुए पिछले दंगे के समय भी छतों से पथराव की घटनाएँ बड़े  पैमाने पर हुईं | बाद में तलाशी होने पर  पत्थरों के अलावा हथियारों और विस्फोटकों की  जप्ती हुई | कांच की बोतलों का भी जखीरा बरामद किया गया | अतीत में उ.प्र में भी इस तरह की वारदातें होती  थीं किन्तु योगी सरकार द्वारा दंगाइयों की संपत्ति राजसात  करने जैसे सख्त कदम उठाकर उनकी कमर तोड़ दी गयी | म.प्र के खरगोन में हुए दंगों के बाद शिवराज सिंह सरकार ने भी योगी के बुलडोजर फॉर्मूले का सहारा लेकर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों के हौसले ठन्डे कर दिए | गुजरात में तो 2002 के दंगों के बाद हिन्दू और मुस्लिम  समुदाय के बीच सद्भाव बना हुआ था किन्तु इस बार रामनवमी के जुलूस के मौके पर उसमें दरार कैसे आई इस बारे में राज्य सरकार को गंभीरता से सोचकर जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए | अप्रैल का महीना इस दृष्टि से बेहद सम्वेदनशील है | अगले सप्ताह महावीर जयन्ती , गुड फ्रायडे,  हनुमान जयंती और उसके बाद बैसाखी तथा आंबेडकर जयंती आयेंगी | इन अवसरों पर विभिन्न समुदायों द्वारा शोभायात्रा निकालने के साथ ही अनेक सार्वजनिक कार्यक्रम खुले में होंगे  | ये मान लेना निरी मूर्खता होगी कि उपद्रवी केवल हिन्दुओं के जलसों पर हमले करते हैं | देश को भीतर से कमजोर करने वाली ताकतों के टुकड़ों पर पलने वाले ये सांप्रदायिक तत्व कुछ भी करने में संकोच नहीं करेंगे | ये देखते हुए पूरे देश में उक्त आयोजनों के मद्दे नजर सतर्कता रखने की जरूरत है | ध्यान देने योग्य बात है कि पंजाब में खालिस्तानी आन्दोलन के नए दौर में हिन्दुओं के अनेक धर्मस्थानों पर हमले होने की घटनाएं हुईं | जिनका मकसद हिन्दू – सिख एकता को तोड़ना ही है | देश के अन्य हिस्सों में भी कुछ ऐसी हरकतें हुईं जिनके जरिये  सामाजिक सौहाद्र बिगाड़ने का कुचक्र रचा गया | बिहार के शिक्षा मंत्री और उ.प्र में सपा के बड़े नेता कहे  जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर जो विवाद पैदा किया उसके बाद हिन्दुओं के इस पवित्र ग्रन्थ की प्रतियों को जलाये जाने जैसी भड़काऊ बातें हुईं | आजकल एक युवती द्वारा मनुस्मृति में आग  लगाकर उससे अपनी सिगरेट सुलगाने का वीडियो प्रसारित कर जातिगत वैमनस्य फैलाने का प्रयास भी हो रहा है  | इसी तरह 2019 के चुनाव के पहले असहिष्णुता का मुद्दा उछालकर देश को अस्थिर करने का प्रयास हुआ जिसे शहरी नक्सली कहे जाने वाले तबके का खुला समर्थन मिला | तथाकथित बुद्धिजीवी , अभिनेता और कलाकार भी उस मुहिम का हिस्सा बने |  ऐसा माहौल बना दिया गया मानो ये देश शरीफों के रहने लायक बचा ही नहीं था | कुछ फ़िल्मी अभिनेताओं के तत्संबंधी बयानों ने भी आग में घी डालने का काम किया | लेकिन जब जनादेश आया तब अवार्ड वापसी गिरोह बेनकाब होकर रह गया | कोरोना काल में देश का प्रगति चक्र कुछ समय के लिए रुक गया था | लेकिन अब स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है | भारत  हर मोर्चे पर आगे बढ़ रहा है | आम जनता में  आत्मविश्वास भी भरपूर है | पूरी दुनिया हमारे शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर भारत को 21 वीं सदी की महाशक्ति मान रही है | लेकिन कुछ विघ्नसंतोषियों को ये बर्दाश्त नहीं हो रहा जिसका प्रमाण राजनीतिक उठापटक के साथ ही रामनवमी शोभायात्रा पर किये गए हमलों से मिलता है | इसलिए इस दिशा में कड़े कदम उठाये जाने की जरूरत हैं | दुर्भाग्य से ऐसे मामलों में भी वोट बैंक की सियासत आगे आ जाती है | लेकिन समय आ गया है जब उसकी परवाह किये बिना सांपों का फल कुचलने का साहस दिखाना होगा | राम का विरोध करने वाले राक्षसी मानसिकता के लोग ही हो सकते हैं | अतः उनके साथ वही व्यवहार होना चाहिए जो राक्षसी प्रवृत्ति के विरुद्ध अपेक्षित भी है और आवश्यक भी |

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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