Tuesday 18 April 2023

केजरीवाल बन रहे कांग्रेस के गले का काँटा



विपक्षी एकता के लिए हाथ - पैर मार रही कांग्रेस अपनी गृह कलह में ही उलझ रही है | राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट का झगड़ा बजाय सुलझने के और बढ़ता जा रहा है | बीते  सप्ताह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भ्रष्टाचार की जाँच की मांग को लेकर श्री पायलट द्वारा किये गए अनशन को पार्टी के  प्रदेश प्रभारी ने  पार्टी विरोधी कृत्य मानकर कार्रवाई की बात की थी | लेकिन पार्टी आलाकमान आज तक उस दिशा में कोई कदम नहीं उठा सका | सुनने में आया है कि प्रियंका वाड्रा इस बार भी श्री  पायलट के बचाव में आ गईं | बहरहाल , इस विवाद के कारण राजस्थान में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान होना अवश्यंभावी है | दूसरी तरफ दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा  विपक्षी दलों के मोर्चे  में आम आदमी पार्टी  को शामिल किये जाने के विरोध में भी स्वर उठने लगे हैं | एक समय था जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते थे | 2014 में दिल्ली  विधानसभा चुनाव के बाद जब त्रिशंकु विधानसभा बनी तब कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी को समर्थन देकर अरविन्द केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनवा दिया | लेकिन जल्द ही समर्थन वापस लेकर उस सरकार को  गिरवा दिया | उसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस का सफाया हो गया | तबसे आज तक दिल्ली में वह उठ नहीं पाई | दो विधानसभा  और लोकसभा चुनाव के बाद हालिया दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी उसकी दयनीय स्थिति बनी रही | लेकिन हाल ही में जब राहुल गांधी सूरत की अदालत से दंडित हुए और उनकी सांसदी चली  गयी तब श्री केजरीवाल ने उनके समर्थन  का दांव चला | हालाँकि उसका कारण मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी भी थी | उसके बाद दोनों पार्टियों के बीच नजदीकी बढ़ने लगी और श्री खरगे द्वारा बुलाई गयी विपक्षी दलों की  बैठकों में भी श्री केजरीवाल   दिखाई देने लगे  | बीते सप्ताह जब सीबीआई ने उन्हें समन भेजकर बुलाया तब श्री खरगे ने फोन पर  समर्थन का आश्वासन देते हुए केंद्र सरकार की आलोचना कर डाली | वैसे विपक्षी दलों के बीच ईडी और सीबीआई से पीड़ित होने पर इस तरह की सौजन्यता का आदान - प्रदान इन दिनों सामान्य हो चला है किन्तु श्री केजरीवाल के प्रति अपनी  पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा प्रदर्शित सहानुभूति दिल्ली के ही कांग्रेसजनों को रास नहीं आई | और उनकी भावनाओं को शब्द दिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन और दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं स्व. शीला दीक्षित के बेटे पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने | इन दोनों नेताओं ने श्री खरगे द्वारा दिल्ली  के मुख्यमंत्री के विरुद्ध सीबीआई द्वारा की जा रही जांच को सही बताते हुए कहा कि शराब घोटाले को सबसे पहले कांग्रेस ने ही उठाया और जांच की मांग की | ऐसे में भ्रष्ट मुख्यमंत्री का समर्थन करना और विपक्षी एकता के लिए आम आदमी पार्टी को साथ रखना कांग्रेस के लिए आत्मघाती होगा | इसके साथ ही पंजाब के अनेक कांग्रेस नेताओं ने भी श्री खरगे द्वारा श्री केजरीवाल के प्रति हमदर्दी दिखाने का विरोध किया है | गुजरात के कांग्रेस नेता तक  आम आदमी पार्टी को गले लगाने के सर्वथा खिलाफ हैं | इन दोनों राज्यों के कांग्रेसी नेता मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के कारण कांग्रेस का जबरदस्त नुकसान हुआ | पंजाब में सत्ता चली गयी और गुजरात में कांग्रेस अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई | यही नहीं तो भगवंत मान सरकार ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सहित अनेक नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई भी शुरू की है | इन सबके कारण ही श्री माकन ने तो पार्टी से जुड़े अधिवक्ताओं से आम आदमी पार्टी का बचाव  न करने   की अपील तक कर डाली | उल्लेखनीय है श्री सिसौदिया की पैरवी करने अभिषेक मनु सिंघवी सर्वोच्च न्यायालय गए थे | हालांकि श्री माकन और श्री दीक्षित द्वारा आम आदमी पार्टी और श्री केजरीवाल के विरुद्ध खोले गए मोर्चे पर श्री खरगे की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है किन्तु ऐसा लगता है कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में अब विरोध के स्वर उठने लगे हैं | स्मरणीय है गत वर्ष श्री माकन और श्री खरगे को  पार्टी आलाकमान ने अशोक गहलोत की जगह विधायक दल का नया नेता चुनने जयपुर भेजा था क्योंकि श्री गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का फैसला गांधी परिवार कर चुका था | लेकिन जयपुर में गहलोत खेमे के विधायकों ने दोनों पर्यवेक्षकों की जमकर उपेक्षा की और उनके द्वारा बुलाई बैठक में जाने की जगह विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपकर आलाकमान पर दबाव बना दिया | दिल्ली लौटकर दोनों ने विस्तृत रिपोर्ट आलाकमान को देते हुए अनुशासन की कारवाई करने की सिफारिश भी की | हालाँकि उसके बाद श्री खरगे अध्यक्ष बन गए किन्तु उन विधायकों और उनके संरक्षक बने रहे श्री गहलोत का कुछ नहीं बिगड़ा | इससे नाराज होकर श्री माकन ने पार्टी संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया | काफी समय से वे शांत थे किन्तु आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस की नजदीकी देख वे मुखर हो उठे | लेकिन आश्चर्य तब  हुआ जब दिल्ली की कांग्रेसी राजनीति में उनके घोर विरोधी रहे संदीप दीक्षित ने भी उनके सुर में सुर मिला दिया | दोनों ने पार्टी आलाकमान से कहा है कि शराब घोटाले से अर्जित धन का उपयोग आम आदमी पार्टी ने अन्य राज्यों में कांग्रेस को हरवाने में खर्च किया | इसलिए इस प्रकरण में उसके साथ किसी भी तरह की सहानुभूति या गठबंधन कांग्रेस के भविष्य के लिये खतरों से भरा होगा | इस बारे में रोचक बात ये है कि श्री केजरीवाल द्वारा अतीत में गांधी परिवार के बारे में जिस तरह की आलोचनात्मक टिप्पणियां की गईं उन्हें श्री खरगे ने पूरी तरह भुला दिया | ऐसे में राजस्थान के बाद अब दिल्ली में भी कांग्रेस के भीतर उथलपुथल शुरू हो गयी है | देर सवेर इसे पंजाब के कांग्रेस नेताओं का भी समर्थन मिल सकता है | लेकिन  इसका असर श्री खरगे द्वारा चलाई जा रही मुहिम पर भी पड़ेगा | कांग्रेस छोड़ गए कपिल सिब्बल ने इस बारे में कहा भी है कि दिल्ली की  लोकसभा सीटों पर भाजपा का वर्चस्व तोड़ने के लिए आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठजोड़ कामयाब हो सकता है | लेकिन उसके बाद जब श्री केजरीवाल अन्य राज्यों में कांग्रेस से सीटें मांगेगे तब वह मुश्किल में पड़ जायेगी |

-रवीन्द्र वाजपेयी 

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