Friday 21 April 2023

सेना के ट्रक पर हमला सुरक्षा एजेंसियों को चुनौती




वैसे तो जम्मू - कश्मीर में शांति है | पर्यटकों की रिकॉर्ड संख्या इसका सबसे बड़ा प्रमाण है | आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित कश्मीर घाटी में भी अब इक्का – दुक्का घटनाओं को छोड़कर अमन बना हुआ है | पत्थरबाजी और बात – बात में सुरक्षा बलों का रास्ता रोकने जैसी घटनाएँ भी अतीत बन गयी हैं | जुमे की नमाज के बाद पाकिस्तान का झंडा फहराते हुए भारत विरोधी नारे लगाता जुलूस भी बरसों से नहीं निकला और न ही श्रीनगर के हृदयस्थल कहे जाने वाले लाल चौक पर अब कोई तिरंगा उतारने का दुस्साहस कर पा रहा है | हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे संगठनों की बोलती बंद है | वहीं फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की पूरी राजनीति भड़ास व्यक्त करने तक सीमित रह गयी है | घाटी के युवक – युवतियां भी इस बात को समझने लगे हैं कि धारा 370 हटने के पूर्व की स्थिति का वापस आना असम्भव है और उनका भविष्य अलगाववादियों के बहकावे में आकर पत्थरबाजी करने में नहीं अपितु पढ़ लिखकर आगे बढ़ने में है | कुल मिलाकर स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है | विकास कार्य भी जिस तेजी से चल रहे हैं उसका भी जनमानस पर सकारात्मक असर है | लेकिन ये मानकर बैठ जाना आत्मघाती होगा कि कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रवर्तित अलगाववाद की जड़ें पूरी तरह से उखड़ चुकी हैं | 370 की समाप्ति के बाद भी कश्मीर में एक वर्ग ऐसा हैं जो भारत में रहते हुए भी मन से भारतीय नहीं है | और यही लोग बीच – बीच में ऐसा कुछ करवा देते हैं जिससे भय का माहौल फिर कायम हो जाए | कभी पुलिस या सेना के जवान तो कभी कस्बों में बचे -  खुचे कश्मीरी पंडितों की हत्या जैसी वारदातों के जरिये तनाव जारी  रखने का षडयंत्र रचा जाता है | लेकिन इससे इतर सेना के काफिलों पर हमला करने की वारदातें भी  होती रहती हैं जिनसे ये प्रमाणित होता है कि तमाम चौकसी के बावजूद सीमा पार से आने वाले आतंकी कश्मीर घाटी में घुसने में कामयाब हो जाते हैं | इसका ताजा उदाहरण गत दिवस राजौरी के पास सेना के एक ट्रक पर हुआ हमला है जिसमें पांच सैनिक मारे गए और अनेक घायल हैं | पहले – पहल ये समाचार आया था कि ट्रक में आग लगने से उक्त हादसा हुआ | ये भी सुनने में आया कि आसमानी बिजली गिरने से आग लगी | लेकिन जल्द ही घटनास्थल पर पहुंचे सैन्य दस्तों ने इस बात की पुष्टि की  कि ट्रक पर हथगोला फेंका गया जिसकी वजह से उसमें आग लगी और पांच जवान जलने की वजह से जान गँवा बैठे | वहीं ट्रक में सवार अनेक जवान घायल हैं | सेना के विशेषज्ञ जांच में जुटे हैं और हमलावरों की तलाश भी जारी है किन्तु इस वारदात से एक बात स्पष्ट हो गयी कि  भले ही पर्यटकों को परेशान  न किया जाता हो क्योंकि ऐसा करने से स्थानीय लोगों की रोजी - रोटी पर असर पड़ता है , इसीलिये सैन्य ठिकानों के अलावा सेना के काफिलों पर घात लगाकर  हमले करने की रणनीति पर अमल हो रहा है | हालाँकि सेना काफी सतर्क रहती है लेकिन पहाड़ी इलाकों में आतंकवादियों के छिपने की ऐसी तमाम जगहें होती हैं जहां से वे इस तरह के हमले करने के बाद भाग निकलने में सफल हो जाते हैं | कल हुआ हादसा भी उसी शैली  का लगता है | इससे ये बात भी साबित होती है कि सीमा पार से आने वाले भारत विरोधी तत्वों को घाटी में अभी भी पनाह मिलती है | हाल ही में प्रयागराज में मारे गए अतीक अहमद नामक अपराधी ने भी पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में बताया था कि पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये पंजाब में हथियार भेजे जाते हैं | बीते एक – डेढ़ साल में जिस तरह से खालिस्तानी गतिविधियां बढ़ीं उनसे ये साफ़ हो गया कि 370 खत्म होने के बाद से पाकिस्तान  ने कश्मीर के समानांतर आतंकवाद के पुराने ठिकाने को आबाद करने की कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया है | वैसे बीते चार दशक के घटनाक्रम पर निगाह डालें तो ये बात साफ़ हो जाती है कि पंजाब में अस्सी – नब्बे के दशक में खालिस्तानी आतंक ज्योंही  ढलान  पर आया त्योंही पाकिस्तान ने अपना जोर कश्मीर में बढ़ा दिया | और जब वहां उसके पैर उखड़ने की स्थिति बनी त्योंही पंजाब में फिर से खालिस्तानी आन्दोलन के नाम पर अमृतपाल जैसे तत्वों के जरिये भारत विरोधी गतिविधियाँ शुरू करने का तानाबाना बुना जाने लगा | गत दिवस राजौरी में सेना के ट्रक पर हुए हमले का भले ही खालिस्तानियों से कोई सम्बन्ध  न हो लेकिन उसमें पाकिस्तान की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता | सेना का जाँच दल घटना के दोषियों का पता लगाने में जुटा है | हो सकता है हमलावर जल्द पकड़ में भी आ जाएँ किन्तु यह घटना इस बात की चेतावनी है कि घाटी को आतंकवाद मुक्त मान लेना आत्मघाती होगा | ये भी कहा जा रहा है कि कश्मीर घाटी में जी – 20 की बैठक न होने पाए इसलिए पाकिस्तान भय के माहौल को पुनर्जीवित करना चाह रहा है | ये देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही ख़ुफ़िया तंत्र को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ेगी जिससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने कश्मीर की गलत तस्वीर पेश किये जाने का  षडयंत्र सफल न हो सके | कूटनीतिक मंचों पर भारत की स्थिति इस समय बेहद मजबूत है इसलिए पाकिस्तान कुछ न कुछ ऐसा कर सकता है जिससे जी – 20 के आयोजन में विघ्न उत्पन्न हो और भारत को शर्मिन्दगी झेलनी पड़े |


- रवीन्द्र वाजपेयी 

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