Friday 28 July 2023

राजस्थान के चुनाव में लाल डायरी बनेगी मुद्दा



राजस्थान सरकार के एक पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा इन दिनों चर्चा में हैं। मंत्री रहते हुए सचिन पायलट के साथ उनका जुड़ाव रहा। एक रैली में तो उन्होंने अशोक गहलोत सरकार को अब तक की सबसे भ्रष्ट प्रदेश सरकार बताकर सनसनी फैला दी। लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें फिर भी  मंत्री पद से नहीं हटाया और न ही कोई टिप्पणी की। संभवतः वे श्री पायलट को आक्रामक होने का कोई अवसर नहीं देना चाहते थे। लेकिन मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई अपमानजनक घटना पर मुख्यमंत्री की आलोचनात्मक टिप्पणी के बाद उक्त मंत्री ने आरोप लगाया कि राजस्थान भी महिला उत्पीड़न के मामले में सबसे आगे है। जब उनके तीर ज्यादा जहर बुझे हो चले तब श्री गहलोत ने उनको पद से हटा दिया और उसके बाद वे विधानसभा में एक लाल डायरी लेकर अध्यक्ष से उलझते हुए चिल्लाने लगे कि उसमें गहलोत सरकार के करोड़ों रुपए के घपलों का बखान है। सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ उनकी झूमाझटकी हुई और फिर उनको सदन से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद श्री गुढ़ा ने नाटकीय अंदाज में अपनी व्यथा पत्रकारों को सुनाई और दावा किया कि वे अभी और पोल खोलेंगे। कांग्रेस के लिए उनके आरोपों का खंडन करना भी कठिन हो रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले तक तो वे खुद सरकार का हिस्सा रहे। विधानसभा से निलंबित होने के बाद उन्होंने एक मंत्री पर  बलात्कारी होने का इल्जाम लगाते हुए यहां तक कह दिया कि राजस्थान सरकार के तमाम मंत्री बलात्कारी हैं और इसे प्रमाणित करने के लिए उनका नार्को टेस्ट करवाया जाना चाहिए। लेकिन इस प्रकरण में अब तक श्री पायलट का सामने नहीं आना चौंकाता है क्योंकि श्री गुढ़ा मंत्री रहते हुए भी खुलकर उनके साथ रहते हुए गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार सहित अन्य आरोप लगाते रहे। इसी तरह ये भी बड़ा सवाल है कि जब श्री गुढ़ा ने गहलोत सरकार को अब तक की सर्वाधिक भ्रष्ट सरकार कहा और वह भी श्री पायलट के मंच से तब मुख्यमंत्री ने उनके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की ? वह तो जब कांग्रेस हाईकमान ने श्री गहलोत और सचिन के बीच समझौता करवा दिया तब उनको मंत्री पद से बर्खास्त किया गया। इसमें दो राय नहीं है कि श्री गुढ़ा ने पानी में रहकर मगर से दुश्मनी करने का दुस्साहस किया। लेकिन उनको भी इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि जिस सरकार को वे अब तक की सबसे  भ्रष्ट सरकार बताते रहे , उसे छोड़ने की नैतिकता उन्होंने क्यों नहीं दिखाई ? भ्रष्टाचार के सबूतों का जो विवरण  कथित लाल डायरी में होने का दावा श्री गुढ़ा करते हुए  आंसू बहा रहे हैं उसका खुलासा पहले क्यों  नहीं किया गया इसका जवाब भी उनसे अपेक्षित है। राजस्थान उन राज्यों में से है जहां कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर है। जाहिर है सरकार अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीट रही है  और विपक्ष उस पर नाकामी के साथ भ्रष्ट होने का आरोप लगा रहा है। इसमें अस्वाभाविक कुछ भी नहीं है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा दी गई समझाइश के बाद यद्यपि श्री पायलट ने  अपने सभी अस्त्र - शस्त्र उठाकर रख लिए जिनका उपयोग वे मुख्यमंत्री के विरुद्ध बीते दो सालों से करते आ रहे थे। लेकिन श्री गुढ़ा पूरी तरह से छुट्टा बने रहे। श्री पायलट ने उनको भी युद्धविराम हेतु राजी क्यों नहीं किया ये भी सोचने वाली बात है। मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने के बाद श्री गुढ़ा पहले से ज्यादा आक्रामक  हो उठे और विधानसभा से निलंबित होने के बाद से  जिस तरह रो - रोकर खुद को हरिश्चंद्र का अवतार साबित करने पर तुले हैं वह देखकर हंसी भी आती है और गुस्सा भी। एक व्यक्ति  सरकार का हिस्सा रहते हुए उसे सबसे भ्रष्ट बताए और उससे चिपका भी रहे ये बात विरोधाभासी है। यदि श्री गहलोत उनको बर्खास्त करने की कार्रवाई न करते तो शायद श्री गुढ़ा अभी तक उस सरकार में मंत्री बने रहते जिसके मंत्री उनके अनुसार बलात्कारी हैं। लाल डायरी नामक जिस दस्तावेज को श्री गुढ़ा द्वारा गहलोत सरकार के काले कारनामों का पुलिंदा बताया जा रहा है उसकी सच्चाई  सामने आनी चाहिए । बेहतर हो राजस्थान उच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान लेते हुए उसकी जांच करवाए क्योंकि जब सरकार में रहा हुआ एक व्यक्ति चिल्ला - चिल्लाकर उसी  को कठघरे में खड़ा करे तो उसे पूरी तरह नजरंदाजकरना उचित नहीं होगा।  आम तौर पर सरकार या पार्टी से हटाए जाने के बाद कोई नेता उसके विरुद्ध मुंह खोलता है। लेकिन श्री गुढ़ा तो सरकार में रहकर भी उसके विरोध में बोलते रहे और वहीं बातें मंत्री पद छिन जाने के बाद भी कह रहे हैं। यदि उनकी बातों में थोड़ी सी भी सच्चाई है तो फिर ये मुख्यमंत्री श्री गहलोत और कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में जबरदस्त नुकसानदायक रहेगा । 

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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