Friday 24 August 2018

सोशल मीडिया पर आत्मनियंत्रण जरूरी


व्हाट्स एप ने भारत सरकार के उस अनुरोध को ठुकरा दिया जिसमें असत्य और आधारहीन समाचारों का स्रोत बनाने कहा गया था। कंपनी का तर्क है कि ऐसा करने पर व्हाट्स एप का उपयोग करने वाले की निजता भंग हो जाएगी।  दरअसल ये सारा विवाद हाल ही में घटित कुछ हिंसक घटनाओं को लेकर व्हाट्स एप पर प्रसारित उन खबरों या संदेशों से उत्पन्न हुआ जो फारवर्डेड मैसेज कहलाते हैं। इस प्रक्रिया में ये पता लगाना कठिन होता है कि संदेश की शरूवात किसने की। भारत सरकार ने व्हाट्स एप संचालकों से उसी मूल स्रोत की जानकारी उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करने कहा जिस पर उसने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी। वैसे हाल ही में किसी संदेश को 5 लोगों से ज्यादा भेजने पर रोक जरूर लग गई है किंतु उसके बावजूद भी व्हाट्स एप पर तथ्यहीन जानकारी और संदेशों के प्रसारण का सिलसिला नहीं रुक सका। इस बारे में ये कहना गलत नहीं होगा कि निजी अथवा सामूहिक संवाद के इस सरलतम माध्यम ने सोशल मीडिया को बहुत ही ताकतवर माध्यम बना दिया। इसके जरिये न सिर्फ  विचारों और सूचनाओं अपितु चित्रों का भी आदान प्रदान पलक झपकते संभव हो गया है।  इससे बढ़कर व्हाट्स एप फोन का काम भी करता है। वीडियो कॉलिंग का विकल्प तो सोने पे सुहागा जैसा है।  विदेश में रहकर अपने देश में संपर्क बनाये रखने में इसका उपयोग बेहद क्रांन्तिकारी साबित हुआ लेकिन जिस तरह  विज्ञान वरदान या अभिशाप जैसे विषय पर आज भी बहस चला करती है ठीक वैसे ही सोशल मीडिया खास तौर पर व्हाट्स एप भी लोगों को बोझ या सिरदर्द लगने लगा है। व्हाट्स एप पर बने समूह अपनी सार्थकता खोने लगे हैं। यद्यपि इसकी उपयोगिता और सम्प्रेषण में मिलने वाली मदद से इंकार करना सच्चाई से मुंह मोडऩे जैसा होगा किन्तु ये कहना भी गलत नहीं है कि उपयोगकर्ताओं के गैर जिम्मेदाराना आचरण ने इस माध्यम को विवादग्रस्त बनाते हुए इसकी विश्वसनीयता को सन्देह के घेरे में खड़ा कर दिया है। किसी अफवाह को व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी की उपज बताकऱ मज़ाक बनाना भी सामान्य हो गया है। हाल ही में भीड़ की हिंसा और ऐसे ही कुछ संवेदनशील मामलों में व्हाट्स एप के गलत उपयोग के बाद सरकार हरकत में आई और उसके संचालकों से किसी आपत्तिजनक खबर अथवा जानकारी के मूल स्रोत का पता लगाने की व्यवस्था करने कहा। जिसे उसने सिरे से नकार दिया और निजता के उल्लंघन का बहाना बनाकर हाथ खड़े कर दिए। केंद्र सरकार व्हाट्स एप पर प्रसारित होने वाली आपत्तिजनक जानकारी के दोषी का पता लगाने के लिए आगे क्या कदम उठाती है ये देखने वाली बात होगी क्योंकि अगर वह चुपचाप बैठ गई तब उसकी किरकिरी तो होगी ही व्हाट्स एप के उपयोगकर्ताओं में बैठे अनगिनत शरारती तत्वों का हौसला और बुलन्द होता जाएगा। सोशल मीडिया पर सिर्फ  असत्य खबरें ही नहीं अपितु अश्लील सामग्री प्रसारित करने का कारोबार खूब चल रहा है। दरअसल केंद्र सरकार की मुसीबत ये भी है कि विदेश में बैठा व्यक्ति बड़े आराम से भारत में कोई भी ऐसी बात प्रसारित कर देता है जो हमारे सामाजिक मूल्यों के अलावा देश की सुरक्षा, एकता और अखण्डता के लिए खतरा बन सकती है। पड़ोसी देश चीन ने तो फेसबुक और व्हाट्स एप के उपयोग पर ही रोक लगा रखी है। हालांकि इसका उद्देश्य चीनी जनता और विश्व समुदाय के बीच दूरी बनाए रखना भी है लेकिन अन्य कुछ देश और भी हैं जहां सोशल मीडिया के उपयोग पर पूरी  तरह रोक तो नहीं है लेकिन स्वतंत्रता को स्वच्छन्दता बनने से रोकने का पुख्ता इंतजाम जरूर हैं। भारत यद्यपि सूचना तकनीक के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में है किंतु हमारे पास अभी तक वह तकनीक और इच्छाशक्ति नहीं है जो चीन अपनाता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था और स्वतंत्र न्यायपालिका भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के सरकारी नियंत्रण की इजाजत नहीं देते। यही वजह है कि किसी असत्य जानकारी का स्रोत पता करने के लिए सरकार को व्हाट्स एप से अनुरोध करना पड़ा। सरकार कानून बनाकर कितनी रोक लगा सकेगी ये भी कहना मुश्किल है। सही अर्थों में ये तो उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है कि वह सोशल मीडिया का किस तरह उपयोग करे? तकनीक के विकास ने अब संचार और संवाद को इतना सस्ता, सरल और सुलभ बना दिया है कि वह आम आदमी के रोजमर्रे के उपयोग की चीज बन गये हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा होती है लेकिन गैर जिम्मेदार लोगों के हाथ लग जाने से वह नुकसानदेह हो जाती है। ये देखते हुए अब भारतीय उपयोगकर्ताओं को न सिर्फ  व्हाट्स एप अपितु फेसबुक सहित सोशल मीडिया के अन्य स्वरूपों में भी आत्मनियंत्रण का परिचय देना होगा। इसके पहले कि सरकार अथवा कोई और गैरजिम्मेदाराना गतिविधियों पर नियंत्रण लगाए लोगों को खुद सुधर जाना चाहिए। सोशल मीडिया को एंटी सोशल ताकतों से बचाना सरकार के साथ-साथ समाज का भी कर्तव्य है ।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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