Tuesday 5 February 2019

माल्या पर वापिसी का शिकंजा कसा

विभिन्न बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लेकर ब्रिटेन भाग गए विजय माल्या को वापिस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा की जा रही कानूनी कोशिशों को गत दिवस बड़ी सफलता हासिल हो गई जब ब्रिटेन के गृह सचिव ने माल्या के भारत प्रत्यर्पण पर सहमति दे दी। ब्रिटिश कानून के अनुसार अभी माल्या के पास उच्च न्यायालय में 14 दिन के भीतर अपील का अवसर है। वहां भी यदि वह हारता है तब भी और ऊपर की अदालत में गुहार लगाने का अधिकार उसे मिलेगा परंतु इस मामले में एक बात साबित हो गई कि उसे वापिस लाने के जो कूटनीतिक प्रयास भारत सरकार की तरफ  से हुए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने मान्य करते हुए उसके प्रत्यर्पण पर सहमति दे दी। माल्या के भाग जाने से मोदी सरकार की जो फजीहत हुई थी उसकी काफी हद तक भरपाई ब्रिटिश सरकार के फैसले से हुई है। विशेष रूप से जब लोकसभा चुनाव बिल्कुल करीब आ गए हैं तब ये फैसला प्रधानमंत्री के लिए अपनी प्रामाणिकता साबित करने में सहायक हो सकेगा। इस बारे में एक बात और भी उल्लेखनीय है कि भारत में पड़ रहे चौतरफा दबाव के बाद माल्या ने बैंकों को बड़ी रकम लौटने का प्रस्ताव भी भेजा है। दरअसल उसकी जो संपत्तियाँ भारत में जप्त हुईं उनसे वह घबराहट में हैं क्योंकि उसके ताजा बयान के मुताबिक उनका मूल्य उसके ऊपर बैंकों के कर्जे की रकम से भी ज्यादा है। वैसे भारत से भागने के पहले भी उसने बैंकों से कर्ज चुकाने के लिए सौदेबाजी की थी किन्तु कतिपय व्यवहारिक और कानूनी अड़चनों की वजह से बात नहीं बन सकी। बहरहाल अब जबकि ब्रिटिश सरकार ने उस पर से अपना हाथ उठा लिया है तब हो सकता है गिरफ्तारी से बचने की शर्त पर वह भारत लौटकर कर्ज लौटाने की पेशकश नए सिरे से करे। पहले भी वह भारतीय जेल की खराब व्यवस्था का बहाना बनाकर ब्रिटिश अदालतों में अपना बचाव करता रहा। हालांकि ये मान लेना जल्दबाजी होगी कि प्रत्यर्पण की सरकारी अनुमति मिलने के बाद वह महीने दो महीने में स्वदेश लौट ही आएगा क्योंकि वह बहुत ही चालाक व्यक्ति है और सारे हथकंडे  जानता है। माल्या की वापिसी के बाद भारत सरकार के लिए नीरव मोदी और उस जैसे कुछ अन्य आर्थिक घोटालेबाजों को विदेश से लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी किन्तु पहले अगस्ता हेलीकाप्टर घोटाले के आरोपी मिशेल क्रिश्चियन को पकड़कर भारत लाने और अब माल्या के प्रत्यर्पण में मिली प्रारंभिक सफलता से उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। इन लोगों की वजह से न सिर्फ  बैंकों को जबर्दस्त नुकसान हुआ बल्कि उससे भी बढ़कर आम जनता के मन में ये धारणा मजबूत हुई कि सत्ता प्रतिष्ठान में अपनी ऊंची पहुंच के चलते बड़े-बड़े धन्नासेठ जनता का धन लूटते रहते हैं और कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। हाल ही में जिन बड़े आर्थिक घोटालेबाजों ने बैंकों का पैसा लेकर देश छोडऩे की चालाकी दिखाई उनको तो सजा मिले ही लेकिन पिछली सरकार के जिन प्रभावशाली लोगों की सिफारिश या दबाव के चलते बैंकों ने उन पर नियमों की अवहेलना करते हुए मेहरबानियां बरसाई उनका भी पर्दाफाश होना जरूरी है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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