Tuesday 5 February 2019

क्या राहुल अपना पुराना बयान भूल गए

राजनीति में कभी-कभी अपनी कही बात ही अपने गले किस तरह पड़ जाती है इसका ताजातरीन उदाहरण है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का वह बयान जिसमें उन्होंने शारदा चिट फंड घोटाले में ममता बैनर्जी पर धुआंधार आरोप लगाते हुए उसे सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए कहा था कि 20 लाख गरीबों की मेहनत की कमाई उसमें हड़प ली गई। परसों कोलकाता में पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के यहां सीबीआई की दबिश के बाद शुरू हुए राजनीतिक नाटक में लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने ममता बनर्जी को समर्थन के संदेश भेज दिए लेकिन जब राहुल ने भी उन्हें साथ देने का भरोसा जताया तब सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों में भी 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल द्वारा शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी पर लगाये गए आरोपों वाला बयान बाहर निकलकर आ गया। इस बारे में विचित्र स्थिति बन गई जब बंगाल के कांग्रेसी ममता सरकार को बर्खास्त करने की गुहार लगाते सुने गए। इस पूरे मामले में कांग्रेस ने जो जल्दबाजी की उससे बंगाल में उसकी संभावनाओं को और धक्का पहुँचा है। उल्लेखनीय है पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने वाले वामपंथी न तो ममता की महारैली में ही शामिल हुए और न ही उन्होंने ताजा विवाद में बहुत ज्यादा उत्साह दिखाया। ऐसा लगता है मोदी सरकार के विरोध में कांग्रेस अध्यक्ष आगा-पीछा सोचे बिना ही फैसला ले लेते हैं। आंध्र में तेलुगु देशम के साथ गठबंधन के कारण वहां के बड़े-बड़े कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं। ममता को समर्थन देकर राहुल ने बंगाल में भी कांग्रेस के बचे खुचे जनाधार को खतरे में डाल दिया है। उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए था कि ममता पूरी तरह से आत्मकेंद्रित नेत्री हैं जिनका हर निर्णय केवल और केवल उन्हीं की फायदे के लिए होता है। इस बारे में उनकी तुलना स्व. जयललिता और बसपा सुप्रीमो मायावती से की जा सकती है। इस विवाद में जीत होगी तो ममता की और हार हुई तो उसका हिस्सा कांग्रेस के खाते में भी जायेगा। राहुल गांधी को ये साफ  करना चाहिए कि क्या शारदा घोटाले संबंधी अपने पिछले बयान से वे किनारा कर गए हैं क्योंकि एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते उन्हें कुछ भी बोलने या करने से पहले इत्मिनान से सोचना चाहिए। पता नहीं वे कैसे भूल जाते हैं कि इन्हीं ममता की वजह से कांग्रेस बंगाल की खाड़ी में गहराई तक डूब चुकी है।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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