Wednesday 6 February 2019

प्रियंका : श्रीमती गांधी या वाड्रा

विदेश से लौटते ही प्रियंका वाड्रा ने कांग्रेस महासचिव  का कार्यभार संभाल लिया। पार्टी मुख्यालय में राहुल गांधी के कक्ष के बगल में ही उनका कमरा रखा गया है जिसके बाहर लगी नाम पट्टिका पर प्रियंका गांधी वाड्रा लिखा गया है। इस प्रकार उनके नाम का उल्लेख करते समय अधिकृत रूप से प्रियंका गांधी वाड्रा ही कहा और लिखा जाना चाहिए। जब उनकी नियुक्ति हुई थी तब उनके उपनाम को लेकर भी बहस चली और लोगों ने ये सवाल उठाए कि गांधी उपनाम का उपयोग पारिवारिक विरासत का सियासी लाभ लेने हेतु किया जा रहा है जबकि कांग्रेस समर्थकों को प्रियंका के साथ गांधी जुड़ा होना किसी भी तरह से आपत्तिजनक नहीं लगा। लेकिन अब जबकि स्वयं प्रियंका ने अपने नाम में गांधी के साथ अपने पति का उपनाम जोड़ लिया है तब किसी को कुछ कहने की गुंजाइश ही नहीं बची क्योंकि आजकल महिलाएं विवाहोपरांत भी अपने पैतृक उपनाम के संग पति के उपनाम को जोड़तीं हैं। शायद ये बात इसलिए भी उठी क्योंकि सोनिया गांधी जो खुद पाश्चात्य संस्कृति से आईं थीं, ने भी कभी अपने विवाह पूर्व उपनाम का उपयोग नहीं किया। इंदिरा जी ने भी फीरोज़ गांधी से विवाह के बाद नेहरू उपनाम छोड़ दिया था और जीवन भर श्रीमती गांधी ही कहलाईं। सोनिया जी को भी श्रीमती गांधी कहकर संबोधित किया जाता है लेकिन प्रियंका ने सार्वजनिक रूप से गांधी उपनाम के साथ जब वाड्रा भी जोड़ लिया तब उन्हें श्रीमती गांधी या श्रीमती वाड्रा कहा जायेगा ये अभी स्पष्ट नहीं है। शेक्सपियर ने लिखा था कि नाम में क्या रखा है लेकिन वे चूंकि राजनीतिज्ञ नहीं थे इसलिये वैसा कह गए। भारतीय राजनीति में नाम और विरासत का महत्व किसी से छिपा नहीं है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की दोनों बेटियां वसुन्धरा राजे और यशोधरा राजे विवाहित होने पर भी सिंधिया उपनाम का उपयोग धड़ल्ले से करती हैं। प्रियंका ने अपने नाम के साथ मायके और ससुराल दोनों के उपनाम जोड़कर आलोचकों को तो शांत कर दिया किन्तु क्या वे खुद को श्रीमती वाड्रा कहना पसन्द करेंगी ये सवाल अभी अनुत्तरित है। निजी जीवन में ये बातें भले मायने न रखती हो लेकिन सार्वजनिक विशेष रूप से राजनीति के शिखर पर विराजमान शख्सियत के नाम और संबोधन का भी तो शिष्टाचार होता है और होना भी चाहिए।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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