Monday 22 April 2019

धमाकों में चीन के हाथ की आशंका

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में ईसाइयों के पवित्र दिवस ईस्टर पर हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के बारे में अभी पक्के तौर पर कोई निष्कर्ष निकालना तो ज्ल्दबाजी होगी लेकिन ये भी सही है कि तमिल उग्रवादी संगठन लिट्टे द्वारा उत्पन्न गृहयुद्ध पर विजय के दस वर्ष पूरे होने के कुछ दिन पहले हुए इन धमाकों ने इस टापूनुमा देश में आतंकवाद के नए दौर की वापिसी का संकेत दे दिया है। राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे इस बौद्ध बहुल देश में हिन्दू , ईसाई और मुस्लिम धर्म के मानने वाले भी रहते हैं। तमिल भाषी  भारतीय मूल के लोगों की आबादी दूसरे स्थान पर होने से यहाँ की अधिकारिक भाषाओँ में सिंहली के बाद तमिल आती है। बीते कुछ सालों में यहाँ मुस्लिम आबादी भी बढ़ी है। लेकिन सांप्रदायिक तनाव जैसी कोई बात सुनाई नहीं दी। तमिल इलम का संघर्ष भी बौद्ध-हिन्दू के बीच का झगड़ा नहीं बन सका। बीते दस वर्षों में श्रीलंका शांति के टापू के रूप में विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़ता जा रहा था जिसके कारण यहाँ पर्यटकों की आवाजाही काफी बढ़ी। गत दिवस अचानक बदले घटनाक्रम ने एक दशक की शांति को चंद घंटों में खत्म कर दिया। सैकड़ों निरपराध लोगों की जान चली गई जिनमें विदेशी भी हैं। कुछ भारतीय भी धमाकों की चपेट में आ गये। प्रभावित चर्च के जो चित्र प्रसारित हुए वे दिल दहला देने वाले हैं। प्रारम्भ में म्यांमार से खदड़े गए रोहिंग्या मुसलमानों पर संदेह की सुई घूमी और उसके बाद बौद्ध उग्रपंथियों की भूमिका भी चर्चा में आई है किन्तु इस सबसे हटकर जिस तरफ कम लोगों का ध्यान जा रहा है वह है इस देश में चीन की बढ़ती मौजूदगी। अपनी विस्तारवादी नीतियों और भारत को घेरने के उद्देश्य से चीन ने लिट्टे के खात्मे के बाद श्रीलंका के विकास में खुले हाथ से मदद देने का दांव चला। बीच-बीच में भारत के साथ वहां की सरकार ने नजदीकियां बढ़ाई भी लेकिन वहां के नेताओं के मन से ये बात अभी तक नहीं हटी कि लिट्टे को भारत ने ही पाला-पोसा था। जबकि बाद- बाद में ये बात भी साबित हो गई थी कि उसकी पीठ पर चीन का ही हाथ था। उसके पतन के बाद चीन ने चिकनी-चुपड़ी बातों में श्रीलंका के नेतृत्व को फुसलाते हुए भारत का डर दिखाया और वहां विकास कार्यों में मदद के नाम पर अपना प्रभाव बढ़ा लिया। कल जो भी हुआ उसके पीछे चीन के कुटिल इरादों से इंकार नहीं किया जा सकता। अपने दूरगामी हितों के संरक्षण में किसी भी हद तक जाने के लिए आमादा चीन एशिया में भारत के बढ़ते प्रभुत्व से चिंतित है। पाकिस्तान के बदनाम हो जाने और बांग्लादेश से भारत के सम्बन्ध मधुर हो जाने के बाद उसने श्रीलंका में पैर जमाने की जो योजना बनाई ये धमाके उसी दिशा में एक कदम हो सकते हैं। भारत को इससे सतर्क रहना होगा क्योंकि जरा सी लापरवाही में नेपाल जैसी चूक हो सकती है जो देखते-देखते चीन के शिकंजे में चला गया  ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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