Monday 25 November 2019

कैलाश जोशी : शून्य से शिखर तक की निष्कलंक यात्रा



मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी नहीं रहे। 91 वर्ष की आयु में गत दिवस उन्होंने यह संसार छोड़ दिया। जोशी जी को राजनीति का संत कहा जाता था , जो पूरी तरह से सही है। लगातार 8 बार विधायक रहकर उन्होंने अपनी लोकप्रियता साबित की थी। विधानसभा में वे नेता प्रतिपक्ष भी रहे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व भी उन्होंने बखूबी निभाया। 1977 में बनी जनता पार्टी की सरकार का मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। यद्यपि अस्वस्थतावश वे ज्यादा समय पद पर नहीं रहे और बाद में मंत्री भी बने। 1990 में बनी सुन्दरलाल पटवा सरकार में भी वे मंत्री रहे। लेकिन मुख्यमंत्री या मंत्री पद जोशी जी की पहिचान नहीं बना। वे पार्टी के एक ईमानदार और निष्ठावान कार्यकत्र्ता और बेदाग जननेता के रूप में ज्यादा जाने जाते थे। रास्वसंघ के माध्यम से उन्होंने सामजिक कार्यकर्ता के तौर पर सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया और बाद में भारतीय जनसंघ में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा। कांग्रेस के एकाधिकार वाले उस दौर में जोशी जी ने गाँव - गाँव घूमकर पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम किया। युवावस्था में ही वे विधायक बने और जल्द ही अपनी क्षमता से विधानसभा में अपनी छाप छोड़ दी। उनकी सैद्धांतिक प्रतिबद्धता के कारण विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। सत्ता और संगठन दोनों में उच्च पदों पर रहते हुए जोशी जी ने सदैव ईमानदारी का परिचय दिया। हालाँकि उनका यह गुण उनके लिए नुकसानदेह भी रहा लेकिन उनका स्वभाव और कार्यशैली नहीं बदली। जोशी जी उस दौर में राजनेता बने जब राजनीति सिद्धांतो के प्रसार के लिए होती थी, सत्ता की बंदरबांट के लिए नहीं। कालान्तर में वे राज्यसभा और लोकसभा में भी रहे। विगत काफी समय से अस्वस्थतावश वे सार्वजनिक जीवन से दूर रहे लेकिन उनके प्रति सम्मान में कोई कमी नहीं आई। उनके नहीं रहने से प्रदेश की राजनीति के स्वर्णिम युग का एक स्तम्भ ढह गया। आज की राजनीति में जोशी जी जैसे नेता भले ही अप्रासंगिक और उपेक्षित मान लिए गये हों लेकिन उनका व्यक्तित्व और कृतित्व कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। शून्य से शिखर तक की उनकी यात्रा निष्कलंक थी। राजनीति के इस संत की तपस्या निष्फल नहीं रही। जिस मिशन को लेकर वे सार्वजनिक जीवन में आये उसे न केवल उन्होंने हासिल किया अपितु एक पूरी पीढ़ी को दीक्षित भी किया। जोशी जी मप्र के राजनीतिक इतिहास में सदैव एक सम्माननीय राजनेता के तौर पर अंकित रहेंगे। विनम्र श्रद्धांजलि।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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