Wednesday 4 August 2021

अवैध शराब : संरक्षण देने वालों के गले में भी फंदा डालने की व्यवस्था हो


 
म.प्र सरकार ने अवैध शराब बनाने वालों को मृत्युदंड देने जैसा जो कानून बनाने का फैसला किया वह प्रथम दृष्टया तो बहुत ही उचित प्रतीत हो रहा है | अवैध शराब के कारोबार से सरकार को आबकारी के रूप में मिलने वाली आय का नुकसान होने के अलावा जहरीली शराब से  बड़ी संख्या में होने वाली मौतों का खतरा बना रहता है | म.प्र सरकार के खजाने में वैध शराब की बिक्री से भरपूर आवक होती है | शराब  दुकानों की नीलामी दर भी हर साल बढ़ जाती है | जबसे मनरेगा आया है तबसे ग्रामीण इलाकों में भी देशी के अलावा अंग्रेजी शराब का विक्रय काफी बढ़ गया है | कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान शराब की बिक्री अधिकारिक तौर पर भले बंद थी किन्तु शराब विक्रेताओं ने पीने वालों को पिछले दरवाजे से बेरोकटोक बोतलें  उपलब्ध करवाई | इसकी वजह से सरकार को राजस्व की हानि हुई | इसीलिये लॉक डाउन खत्म होने के बाद शराब दुकानों को खोलने का समय अन्य दुकानों से ज्यादा रखा गया | अब तो शराब को घर पहुँचाने जैसी व्यवस्था भी विचाराधीन है | इस बारे में सबसे रोचक बात ये है कि महंगाई का असर शराब की  बिक्री पर नहीं पड़ता | हर बजट में शराब महंगी  होती जाती है | दुकानों की बोलियाँ भी ऊंची दरों पर लगती हैं | बार में बिकने वाली शराब पर भी भारी कराधान होता है | आबकारी विभाग बिक्री बढ़ाने हेतु  दबाव भी बनाता है | लेकिन इसके समानांतर  नकली शराब का कारोबार भी जमकर चलता है ,  जिसकी आड़ में जहरीली  शराब भी बन जाया करती है जिसे पीने वाले मौत के मुंह में चले जाते हैं | शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने इसे रोकने के लिए कड़ा दंड देने का जो प्रावधान किया वह समय की मांग है | अवैध शराब पीने से मृत्यु  या अपंग होने पर उसको बनाने वाले को कम अवधि से आजीवन कारावास और फांसी तक का प्रावधान नए कानून में होगा | लेकिन शराब के सेवन को कम करने के बारे में सरकार की कोशिशें बहुत ही हास्यास्पद  हैं और जो हैं भी वे असर नहीं छोड़ पातीं | नशा मुक्ति केंद्र भी सरकारी कर्मकांड का पर्याय हैं | सवाल ये है कि केवल कमाई के फेर में शराब की बिक्री को बढ़ाने के प्रयास कहाँ तक सही हैं ? हालाँकि सरकार ये दावा करती है कि शराब की  नई दुकानें नहीं खोली जायेंगीं किन्तु इससे भी नशे के कारोबार पर कोई  फर्क नहीं पड़ता | इसका कारण है सरकार के अपने महकमे , जिनको शराब व्यवसाय से जबरदस्त ऊपरी कमाई  होती है | इस धंधे में राजनेताओं की हिस्सेदारी भी समस्या बनी हुई है क्योंकि उनके गिरेबान पर हाथ डालने की हिम्मत किसी की नहीं पड़ती | जहाँ तक इसके  अवैध  कारोबार का प्रश्न  है तो चाहे वह चोरी  छिपे बिकने वाली  हो या फिर नकली और जहरीली शराब  , पुलिस और आबकारी विभाग की जान -  बूझकर की गई अनदेखी ही उसके बढ़ने में सहायक है | अवैध शराब को बनाने  वाले आम  तौर पर तभी पकड़  में आते हैं जब कोई जानलेवा  हादसा होता है या फिर सरकारी अमले से उनका पंगा हो जाए | अन्यथा पैसे के प्रभाव से पुलिस और आबकारी विभाग वाले  इस धंधे को बेझिझक संरक्षण देते  हैं | म.प्र सरकार जो नया कानून ला रही है वह निश्चित रूप से अवैध और जहरीली शराब बनाने वालों के मन में डर पैदा करने में सक्षम हो सकता है |  लेकिन जब तक पुलिस और आबकारी विभाग के लोग इस बारे में ईमानदार नहीं होंगे तो कानून का पालन सही तरीके से हो पाना नामुमकिन है  | उलटे वह उनकी ऊपरी कमाई का साधन  बन  जावेगा |  बेहतर होता अवैध शराब बनाने वाले के पकड़े जाने पर उस इलाके के पुलिस और आबकारी महकमे के लोगों पर भी दंडात्मक कार्रवाई की व्यवस्था हो अन्यथा कानून केवल किताबों में कैद होकर रह जाएगा |

- रवीन्द्र वाजपेयी 

No comments:

Post a Comment