Saturday 18 September 2021

बिना खेले इमरान को क्लीन बोल्ड कर दिया न्यूजीलेंड की टीम ने



पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान दुनिया के जाने माने क्रिकेटर रहे हैं जिनकी कप्तानी में उनके देश ने 1992 का विश्व कप जीता था | उनकी लोकप्रियता ने उन्हें प्रधानमन्त्री पद तक पहुंचाया | विदेश में शिक्षित होने से उनको आधुनिक ख्याल का व्यक्ति माना जाता था | विदेशी महिला से विवाह करने का उनका निर्णय पाकिस्तान के कट्टर इस्लामी तबके को नागवार गुजरा किन्तु इमरान ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठाते हुए  जनता के मन में अपनी जगह बनाई और राजनीतिक पार्टी बनाकर सत्ता के लिए अपनी  दावेदारी पेश कर दी | यहाँ तक पहुँचने के लिए यद्यपि उनको काफी पापड़ बेलने पड़े | अंततः वे सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा की मदद से प्रधानमन्त्री बनने में सफल हो गये | शुरुवात में उनके  एक सुलझे हुए राजनेता के तौर पर नजर आने से ये उम्मीद भी जागी थी कि भारत के साथ रिश्तों में सुधार आयेगा | भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की दिशा में उनकी सरकार ने अनेक कदम उठाये किन्तु धीरे – धीरे वे भी  फौज के हाथ की कठपुतली बनकर कट्टरपंथ की भाषा बोलने लगे |  इस वजह से पाकिस्तान पूरी दुनिया के निगाह में आतंकवाद का पालक – पोषक देश माना  जाने लगा | चीन और चंद इस्लामिक देशों को छोड़कर बाकी के मन में उसकी छवि बेहद खराब होती चली गयी | परिणाम ये हुआ कि जो अमेरिका और ब्रिटेन उसे दत्तक पुत्र समझकर भारत की अनदेखी करते हुए आर्थिक और सामरिक सहायता देने में बड़े  उदार थे , वे दूरी बनाने लगे | इस कारण उसकी आर्थिक हालत लगातार कमजोर होने लगी | हाल ही में जब अमेरिका की फौजें अफगानिस्तान छोड़कर गईं तब ये बात जगजाहिर हो गई कि वहां की सरकार को अस्थिर करने के लिए पकिस्तान की सेना ने तालिबान को भरपूर मदद की | इसका कारण मुख्यतः उसका भारत समर्थक होना था | जल्द ही ये बात भी सामने आने लगी कि तालिबान सहित आईएस जैसे ढेर सारे आतंकवादी संगठनों का कारोबार पाकिस्तान से ही चल रहा है | काबुल हवाई अड्डे के बाहर हुए विस्फोट का मास्टर माइंड भी पाकिस्तान में ही छिपा बैठा था | तालिबान सरकार के गठन में भी पाकिस्तान ने खुलकर दखल दिया | इमरान खान वे पहले विदेशी नेता थे जिन्होंने तालिबान की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए पूरी दुनिया से उसे मान्यता देने की अपील की | इसकी वजह से पाकिस्तान की असलियत पूरी तरह सामने आ गई | और हालात यहाँ तक बन गये कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन उनसे बात तक नहीं कर रहे जिसका  दर्द वे सार्वजनिक तौर पर भी व्यक्त कर चुके हैं | अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम में इमरान ने जिस तरह बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली भूमिका निभाई उससे तालिबान भी सतर्क हो गया और उसने भी पाकिस्तान को ज्यादा टांग अड़ाने से रोका | इसी तरह ईरान भी इमरान सरकार की वहां जरूरत से ज्यादा दखलंदाजी से नाराज है | जिस तरह इमरान सरकार ने तालिबान को दूध का धुला साबित करने का प्रयास किया उससे उसका अपना चेहरा काला हो गया | जो रूस चीन को अफगानिस्तान में पाँव जमाने से रोकने के लिए तालिबान को मान्यता देने आतुर था उसने भी फ़िलहाल अपने कदम रोक रखे हैं | इमरान ने तालिबान का आँख मूंदकर समर्थन कर अपने लिए ही गड्ढे खोद डाले जिससे  काबुल जैसे डराने वाले दृश्य पाकिस्तान में जगह – जगह दिखाई देने लगे | इमरान के अतीत और पृष्ठभूमि को देखते हुए ये  उम्मीद थी कि पाकिस्तान को ख्याली तौर पर तरक्कीपसंद देश बनाकर मुख्यधारा  की वैश्विक राजनीति में अपने लिए जगह बनायंगे | लेकिन ये कहना गलत नहीं है कि वे पिछले सभी प्रधानमंत्रियों की तुलना में सबसे कमजोर साबित हुए हैं | गत दिवस उनके गाल पर जबरदस्त चांटा मारा पाकिस्तान के दौरे पर आई न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीम ने जब पहले टेस्ट मैच में टास के पहले उसने मैदान में उतरने से मना कर दिया | खबर यहाँ तक है कि इमरान ने दौरा बहाल करने के लिए न्यूजीलैंड की प्रधानमन्त्री तक से बात की किन्तु उसने भी अपने खिलाड़ियों  की सुरक्षा को ज्यादा महत्त्व दिया | इमरान की चिंता इसलिए और बढ़ गई क्योंकि इसके बाद  आने वाली इंग्लेंड टीम का दौरा भी रद्द होने की सम्भावना है | लगातार दो विदेशी टीमों का दौरा आतंकवाद के डर से रद्द होने से क्रिकेट जगत में पाकिस्तान की किरकिरी हो जायेगी और जब वहां की  क्रिकेट टीम का पूर्व कप्तान ही प्रधानमंत्री बना बैठा हो तब इस तरह के हालात बन जाना शर्मिन्दगी पैदा करने वाले हैं जिसके लिए इमरान खुद दोषी हैं जिन्होंने बजाय सुधार लाने के पाकिस्तान को उस रास्ते पर धकेल दिया जिसमें तबाही  ही तबाही है | तालिबान का खुला समर्थन कर पाकिस्तान ने अपने लिए जो मुसीबत पैदा कर ली वह इमरान की गद्दी ले डूबे तो आश्चर्य नहीं होगा | पाकिस्तान में जो बचे - खुचे समझदार लोग हैं वे खुलकर इमरान की अफगान नीति के नुकसान बता रहे हैं | ये आशंका दिन ब दिन मजबूत होती जा रही है कि जिस तालिबान के भरोसे इमरान कश्मीर को भारत से छीनने का ख्वाब देखने लगे है वही उनके पश्चिमी सीमान्त को हड़पने की मंशा पाले हुए बैठा है | इस बारे में ये बात ध्यान  रखनी चाहिए कि जिस तरह दर्शकों के बिना टोक्यो में ओलम्पिक सम्पन्न हो गया वैसा ही न्यूजीलैंड के साथ होने वाली क्रिकेट मैचों की श्रृंखला में हो सकता था किन्तु अमेरिकन गुट में माने जाने वाले न्यूजीलैंड ने इमरान सरकार पर भरोसा नहीं किया | देखने में बात छोटी सी है लेकिन इससे पाकिस्तान की खराब हो चुकी छवि एक बार फिर चर्चा में आ गई है | ये भी कहा जा सकता है कि न्यूजीलैंड की टीम ने बिना मैदान में उतरे ही इमरान को क्लीन बोल्ड कर दिया | वैसे भी लम्बे समय से पाकिस्तान के मैदान विदेशी टीमों को देखने तरस रहे हैं |

 -रवीन्द्र वाजपेयी


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