Monday 20 September 2021

मुफ्तखोरी के चुनावी वायदे बढ़ा रहे निकम्मों की फौज



दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल उच्चशिक्षित राजनेता हैं | आयकर विभाग में बड़े अधिकारी के तौर पर कार्य करने का भी उन्हें अच्छा - खासा अनुभव है | राजनीति में आने से पहले वे विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के जरिये जनहित के कार्यों में सक्रिय रहे | 2015 में दिल्ली की जनता ने नई नवेली आम आदमी पार्टी को जो ऐतिहासिक बहुमत दिया उसमें मुफ्त बिजली और पानी जैसे वायदों  का भी योगदान था | सत्ता मिलने के बाद उनकी सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी विद्यालयों के उन्नयन का जो कार्य किया , उसने  उसको एक उदाहरण  बना दिया | 2020 में भी श्री केजरीवाल ने उक्त कार्यों के  कारण दोबारा धमाकेदार जीत हासिल की | यद्यपि ऐसा   भी नहीं  है कि अरविन्द और उनके मंत्रीगण रामराज ले आये हों  | सत्ता का दुरुपयोग , भ्रष्टाचार , सादगी के दावों की धज्जियाँ उड़ाना  और महिला उत्पीड़न जैसे अनेक आरोप लगते रहने के  बाद भी चूंकि आम आदमी पार्टी की सरकार ने मुफ्त बिजली – पानी के अलावा  मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी विद्यालयों  के कायाकल्प जैसे  काम किये इसलिए मतदाताओं ने उनकी तमाम कमियों और गलतियों को नजरंदाज कर दिया | लेकिन ये सब इसलिए हो सका क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी  के कारण दिल्ली को विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार से भरपूर धन मिल जाता है | उसके अलावा  कर वसूली भी अनेक  राज्यों  से अधिक  होने से राज्य सरकार के पास काफी राजस्व आ जाता है | दिल्ली में मिले जनसमर्थन के कारण आम आदमी पार्टी का हौसला मजबूत हुआ और उसने लोकसभा के साथ  - साथ कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी हाथ आजमाया | पंजाब में जरूर उसको थोड़ी सफलता मिली लेकिन बाकी में वह  ख़ास न कर सकी | लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लगातार कमजोर होते जाने से पार्टी की उम्मीदें माजबूत होती जा रही हैं | और इसीलिए उसने पंजाब और उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मोर्चेबंदी शुरू कर दी है | हालाँकि वह  उ.प्र में भी हाथ आजमाने जा रही है लेकिन वहां ज्यादा संभावनाएं नजर नहीं आने से वह  पंजाब और उत्तराखंड पर निगाहें जमाये है | हाल ही में पंजाब में श्री केजरीवाल  ने किसानों को मुफ्त बिजली देने और  पुराने बिल माफ़ करने का वायदा किया था | गत दिवस उत्तराखंड के दौरे पर उन्होंने मुफ्त बिजली – पानी के अलावा बेरोजगारों को 5 हजार रूपये प्रति माह देने के साथ ही छः महीने में एक लाख सरकारी  नौकरियों का वायदा भी कर दिया | इस बारे में ये बात ध्यान देने वाली है कि केरल उच्च न्यायालय ने एक याचिका  पर हाल ही में चुनाव आयोग को नोटिस भेजकर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा मतदाताओं के खाते में 72 हजार रु,  सालाना जमा किये जाने के वायदे पर जवाब माँगा है | याचिका में इसे जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन मानकर घूस की श्रेणी में रखते हुए कार्रवाई करने कहा गया है | उस संदर्भ में देखें तो श्री केजरीवाल द्वारा युवकों को 5  हजार देने का वायदा भी  घूस ही कहलायेगी | जहां तक बात सरकारी  नौकरियां देने की है तो उससे बड़ा धोखा कुछ और नहीं है | विधानसभा और लोकसभा चुनाव में तकरीबन हर पार्टी सरकारी नौकरियों का वायदा करती है | लेकिन सत्ता में आने के बाद सांसद और विधायकों के वेतन – भत्ते तो बढ़ा दिए जाते हैं लेकिन नई नौकरियों के लिये आर्थिक संकट का रोना रोया जाता है | जहां तक बात मुफ्त या सस्ती बिजली की है तो इसी के कारण अधिकतर राज्यों के बिजली बोर्ड कंगाली की हालत में आ गये | उत्तराखंड छोटा सा पहाड़ी राज्य है | हालाँकि उ.प्र से अलग होने के बाद वहाँ विकास की गति तेज हुई है किन्तु उसके पास इतने आर्थिक संसाधन नहीं हैं जिनसे मुफ्त बिजली और 5 हजार रु. का मासिक भत्ता युवाओं को दिया जा सके | दिल्ली में जो काम आम आदमी पार्टी की सरकार ने कर दिखाया वह पंजाब और उत्तराखंड में संभव नहीं है क्योंकि वहां की परिस्थितियाँ और आर्थिक दशा अलग है | शिक्षा और स्वास्थ्य जरूर वे क्षेत्र हैं जहां सरकार को जनता की पूरी तरह मदद करनी चाहिए | मोदी सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई  5 लाख रु. तक के इलाज की  आयुष्मान योजना और प्रधानमन्त्री आवास योजना निश्चित तौर पर क्रन्तिकारी कही जा सकती हैं  |  इसी तरह दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी विद्यालयों को विकसित किया जाना भी सकारात्मक राजनीति का ज्वलंत उदाहरण हैं | ऐसे में श्री केजरीवाल से ये अपेक्षा गलत न होगी कि वे अन्य राज्यों में भी  सुशासन के वायदे पर मतदाताओं का समर्थन हासिल करें न कि अव्यवहारिक वायदों की झड़ी लगाकर | उनको ये तो पता ही होगा कि दिल्ली में उत्तराखंड के लाखों लोग रोजगार के लिए  रहते हैं जो बड़ी बात नहीं यदि  5 हजार रु.  भत्ते की लालच में वहां से अपने घर लौटकर निकम्मे बन जायें | समय आ गया है  जब केंद्र और राज्य दोनों को मुफ्त संस्कृति पर लगाम कसनी होगी | मुफ्त बिजली , पानी और अनाज मिलने के कारण ही देश में  करोड़ों लोग बिना काम किये बैठे रहते हैं | आम आदमी पार्टी यदि वाकई राष्ट्रीय राजनीति में सक्षम विकल्प बनना चाह रही है तो उसे राजनीतिक स्टंटबाजी से अलग हटकर व्यवहारिक तौर - तरीके अपनाना चाहिए | मुफ्तखोरी की आदत डालकर देश में निकम्मों की फौज खड़ी करना लोगों को अफीमची बनाने जैसा ही है |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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