Saturday 25 September 2021

संभावनाओं के देश के तौर पर उभर रहा भारत : शेयर बाजार की तेजी शुभ संकेत



भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों रोज दीवाली जैसे धूम है | सूचकांक 60 हजार जा पहुंचा है यदि ये सिलसिला जारी रहा तो निवेशकों को अकल्पनीय लाभ होगा | शेयर बाजार की उछाल अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत माना जाता है | देश और दुनिया भर के बाजारों में होने वाली आर्थिक गतिविधियों का  असर हमारे शेयर बाजार पर भी पड़ता है | भारत में विदेशी पूंजी जिस बड़ी मात्रा में आ रही है उससे सतही तौर पर ये अनुमान लगाया जाने लगा है कि वैश्विक स्तर पर निवेशकों को भारत में अच्छी संभावनाएं प्रतीत हो रही हैं | प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के समर्थक इसे उनकी नीतियों का प्रतिफल बताने में जुट गये है | आंकड़ों के आधार पर ये दावा भी किया  जा रहा है कि उनके शासनकाल में सूचकांक ने जितनी ऊँचाई छुई वह आजादी के बाद सबसे ज्यादा है | लेकिन इस बारे में ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि कोरोना नामक महामारी के बाद दुनिया में नए  तरह का  शीत युद्ध शुरू हो गया है , जो सामरिक कम आर्थिक ज्यादा है | अधिकतर देश ये मान चुके हैं कि कोरोना का वायरस चीन की शरारत से ही दुनिया भर में फैला | द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कोरोना ऐसा पहला संकट था जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया | भले ही किसी देश में कम और किसी में ज्यादा संक्रमण फैला हो लेकिन सभी की अर्थव्यवस्थाओं पर कोरोना की मार पड़ी | आवागमन अवरुद्ध होने से आयात – निर्यात के साथ ही पर्यटन व्यवसाय भी ठप्प होकर रह गया | आर्थिक विकास की बजाय सभी देश कोरोना से बचाव में लग गये | वायरस का प्रकोप कम होते ही निवेशक चीन से पिंड छुड़ाने के बारे में सोचने लगे | लेकिन उसके लिए ऐसे देश की जरूरत थी जिसके पास चीन जैसा मानव संसाधन हो | साथ ही जो विकसित देशों की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता होने के साथ ही वहां क़ानून का राज हो | इसीलिये भारत उनकी पसंद बना | कोरोना के कारण गत वर्ष जब लॉक डाउन की वजह से वैश्विक स्तर पर आर्थिक कारोबार में ठहराव था तब भी भारत के शेयर बाजार में विदेशी निवेशक बिना डरे अपना पैसा लगा रहे थे | हालाँकि वह समय भारी अनिश्चितता का था किन्तु चीन से दुनिया भर की नाराजगी भारत के लिए वरदान साबित हुई | इसका अंदाज लगते ही  भारत सरकार ने भी आत्मनिर्भर भारत का नारा देते हुए चीन  से आयातित होने वाली चीजों का उत्पादन देश में ही करने के लिए उद्योगपतियों और उद्यमियों को अनेक सुविधाओं के अलावा बैंकों से आसान ऋण उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भी की जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आने लगे हैं | आर्थिक सुधारों की दिशा में तेजी से कदम उठाए जाने के कारण भी चीन से निकलने के इच्छुक निवेशकों को भारत में लाभ की गुंजाईश नजर आने लगी | हाल ही में केंद्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जो नीतिगत निर्णय लिए उनका अच्छा संदेश विश्व भर में गया  | देश में राजमार्गों का निर्माण जिस तेजी से हो रहा है उसकी वजह से ऑटोमोबाइल उद्योग में जबरदस्त मांग बढ़ी है | भारत में पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों का स्थान लेने के लिए बैटरी चलित वाहनों का उत्पादन भी शुरू हो गया है | इसके अलावा सौर उर्जा संयंत्रों में लगने वाले सामानों के निर्यात को रोकने के लिए भी निजी क्षेत्र के बड़े कारोबारियों ने कमर कस ली है | भारत में रक्षा उत्पादन को  निजी क्षेत्र के लिए खोल देने से आगामी कुछ सालों के भीतर ही हम रक्षा उत्पादनों का निर्यात करने के स्थिति में होंगे | यही सब कारण हैं जिनकी वजह से शेयर बाजार नित नई उछाल ले रहा है | घरेलू हवाई यातायात भी जिस तरह बढ़ने लगा है वह भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहा है | कोरोना के बाद दुनिया की आर्थिक परिस्थितियों में भारत की अपरिहार्यता काफी बढ़ चली है | इसे नई  संभावनाओं का देश माना जाने लगा है | बीते कुछ महीनों से अफगानिस्तान के घटनाक्रम से पूरी दुनिया एक बार फिर चीन से छिटकने  लगी है |  तालिबान को उसका खुला समर्थन विकसित देशों को रास नहीं आ रहा | इसकी वजह से भी विदेशी पूंजी का भारत आना हो रहा है | लेकिन ये सिलसिला बना रहे इसके लिए हमें अपनी नौकरशाही को अधिक पेशेवर और कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाना होगा | पूंजी बाजार में जब कोई धन लगाता है तब उसके साथ वह अपने विश्वास का भी निवेश करता है | यदि उसके धन और विश्वास दोनों सुरक्षित रहें तब पूंजी स्थायी तौर पर बनी रहती है | हालांकि इस बारे में एक शुभ संकेत है कि बड़े  निवेशक और बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारतीय  उद्योगपतियों के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम लगा रही हैं | उसका लाभ ये है कि उन्हें शासकीय व्यवस्था से सीधे नहीं जूझना नहीं पड़ता | केंद्र सरकार जिस तेजी से आर्थिक सुधार और विनिवेश की प्रक्रिया चला रही है उसे देखते हुए कहना गलत न होगा कि शेयर बाजार में मची धूम में उसका भी बड़ा योगदान है | कोरोना की तीसरी लहर के कमजोर पड़ने के संकेत आने से ये माना जा रहा है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना पूर्व की स्थिति में आ जायेगी और विकास दर भी सम्मानजनक आंकड़े को छू सकेगी |  यदि शासकीय मशीनरी राजनीतिक नेतृत्व के नीतिगत निर्णयों का सही तरीके से क्रियान्वयन कर सके तो बड़ी बात नहीं भारत दुनिया का सबसे बड़ा पूंजी बाजार बन जाये |

- रवीन्द्र वाजपेयी
 

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