Friday 22 October 2021

100 करोड़ टीके लगने के बावजूद सतर्कता जरूरी



भारत सरीखे देश में 100 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लग जाना निश्चित तौर पर बड़ी उपलब्धि है | गत दिवस इस महत्वपूर्ण आंकड़े को पार कर देश ने महामारी के विरुद्ध लड़ाई में बड़ा मोर्चा फतह कर लिया | प्रधानमंत्री ने इसके लिए चिकित्सकों , नर्सों और उनका  सहयोग करने वाले सभी लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है , जो वाकई इसके योग्य हैं |  टीकाकरण के पात्र 75 फीसदी वयस्कों को पहला और 31 फीसदी को  दोनों डोज लगना स्वप्न प्रतीत होता था लेकिन अब ये वास्तविकता है | भारत में चिकित्सा सुविधाओं की हालत  देखते हुए ये आशंका थी कि विशाल जनसँख्या को कोरोना का  रक्षा कवच माना  जा रहा टीका  लगाना शायद ही संभव होगा | लेकिन देश में न सिर्फ रिकॉर्ड समय में टीके बने अपितु तमाम अव्यवस्थाओं के बावजूद टीकाकरण अभियान का संचालन सफलतापूर्वक किया जा सका | आम जनता में टीके को लेकर भ्रम फ़ैलाने की कोशिशों को बेअसर करना भी बड़ी चुनौती थी | आम तौर पर ऐसे मौकों पर मुनाफखोरी और कालाबाजारी करने वाले अपना खेल दिखाने से बाज नहीं आते किन्तु टीकाकरण अभियान को इससे बचाकर रखने के लिए सरकार सहित सभी सम्बन्धित लोग साधुवाद के पात्र हैं | इस अभियान की कामयाबी से देश का आत्मविश्वास दो स्तरों पर बढ़ा | अव्वल तो आपदा प्रबंधन करने में  सरकारी मशीनरी की  कार्यकुशलता सामने आई और उससे  भी बड़ी बात ये हुई कि टीका लगवाने वाले लोगों के मन में समाया कोरोना का भय  कम हुआ , जो बड़ी जरूरत थी | महामारी की दूसरी लहर में मौत का जो मंजर देश ने देखा वह दिल दहलाने वाला था | लाखों लोग अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध न होने से जान गँवा बैठे | ऑक्सीजन की कमी ने भी कोरोना की भयावहता को और बढ़ा दिया था | लेकिन टीकाकरण अभियान की निरंतरता और विस्तार ने महामारी के प्रकोप को थामने में जो योगदान दिया वह निःसंदेह बड़ी उपलब्धि कही जायेगी | इस बारे में गौरव करने वाली बात ये है कि इस विराट अनुष्ठान की शुरुवात देश में बने टीके से हुई | हालाँकि उनका आयात भी हुआ किन्तु  दूसरी तरफ भारत ने अनेक जरूरतमंद देशों को टीका निर्यात कर मानवता के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन किया | वयस्कों की अधिकांश आबादी को पहला टीका लग जाने के बाद अब बच्चों के टीकाकरण की शुरुवात किये जाने की तैयारी चल रही है | इससे पता चलता है कि टीके की उपलब्धता और उसे लगाने के लिए आवश्यक प्रबंधन कर लिया गया है | संतोष का विषय है कि आम जनता ने विघ्नसंतोषियों के बहकावे में न आते हुए टीकाकरण को अपनाया | इसी के साथ ही विभिन्न संस्थाओं और समाजसेवियों ने भी इस काम में सक्रिय सहयोग देकर दायित्वबोध का निर्वहन किया | किसी भी देश की असली ताकत ऐसी ही आपदाओं का सामना करने  की क्षमता और तरीके से होती है | कोरोना का हमला बहुत ही प्रचंड था  जिसके इलाज और रोकथाम के बारे में पूरी दुनिया के अनजान होने से ये आशंका थी कि भारत जैसे विकासशील देश में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में करोड़ों लोग जान गँवा बैठेंगे किन्तु सौभाग्य से ऐसा नहीं हुआ | वरना अमेरिका , इटली , ब्रिटेन , जर्मनी और फ्रांस सदृश विकसित देशों में जिस बड़े पैमाने पर कोरोना से लोग मारे गये उसे देखते हुए भारत में होने वाली जनहानि अकल्पनीय हो सकती थी किन्तु वह अपनी विशाल जनसँख्या के मद्देनजर न्यूनतम जनहानि के साथ इस महामारी से निकल आया | तीसरी लहर की आशंका का लगातार कम होता जाना भी परम संतोष का विषय है | लेकिन जब तक बच्चों सहित पूरी आबादी को टीका नहीं लग जाता तब तक निश्चिन्त होकर बैठ जाना गलत होगा | कोरोना का प्रकोप दिन ब दिन घटने के बावजूद उसकी मौजूदगी बनी हुई है | ऐसे में 100 करोड़ टीकों का जश्न मनाने के साथ ही कोरोना के प्रति सावधानी बरतने हेतु जनजागरण भी जारी रहना चाहिए क्योंकि पहली लहर कमजोर पड़ने के बाद जनता में आई बेफिक्री ने ही दूसरी लहर को आने का मौका दिया था | 

- रवीन्द्र वाजपेयी


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