Wednesday 6 October 2021

पेट्रोल – डीजल को जीएसटी में लाना सबसे बड़ा दीपावली उपहार होगा



 कल नवरात्रि से त्यौहारी मौसम का शुभारम्भ होने जा रहा  है | वर्षाकाल की समाप्ति के बाद आने वाली शारदेय नवरात्रि का महोत्सव पूरे देश में अलग – अलग तरीके से मनाया जाता है | इसके बाद ही दीपावली आती है | भारतीय पर्व परम्परा में दीपावली को व्यवसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान छोटे – बड़े सभी अपनी हैसियत के मुताबिक खरीदी करते हैं | गत वर्ष भी नवरात्रि और दीपावली मनाई गयी किन्तु कोरोना का साया होने से बाजार में अपेक्षानुरूप रौनक नजर नहीं आई | सौभाग्य से इस वर्ष स्थिति सामान्य हो चली है | यद्यपि कोरोना के अंश अभी शेष हैं लेकिन तीसरी लहर को  लेकर जैसी  आशंकाएँ व्यक्त  की जा रही थीं वैसा नहीं हुआ | इसीलिये ये आशा की जा रही है कि दीपावली के दौरान ग्राहक खरीदी करने  बाजार में निकलेंगे | वैसे भी  बीते दो – तीन महीनों से कारोबारी जगत से अच्छे संकेत आने से भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में अंतर्राष्ट्रीय आकलन में भी सुधार हुआ है | औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों के गति पकड़ने का सबसे पारदर्शी  मापदंड है जीएसटी , जिसके संग्रह में लगातार वृद्धि होना ये दर्शाता है कि उत्पादक और उपभोक्ता दोनों  में उत्साह लौटा है | कोरोना संकट के समय कृषि जगत ने  शानदार प्रदर्शन किया जिससे देश में खाद्यान्न संकट की स्थिति नहीं बनी | उसी की वजह से सरकार 80 करोड़  लोगों को  मुफ्त अनाज देखर भूखे रहने से बचाने में  कामयाब रही किन्तु उद्योग और व्यापार बहुत  बुरे दौर से गुजरे | लम्बे – लम्बे दो लॉक डाउन की वजह से सब कुछ ठहर सा गया था | कोरोना के दूसरे हमले ने लोगों को जिस तरह भयभीत किया उसका असर बाजार पर भी प्रत्यक्ष दिखाई दिया | लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं | उत्पादन बढ़ने से एक तरफ जहां  कच्चे माल की खपत बढ़ रही है वहीं रोजगार के अवसर भी लौट रहे हैं | सबसे बड़ी बात ये देखने में आ रही है कि भारत के औद्योगिक उत्पाद अब  निर्यात किये जा रहे हैं | इससे व्यापार घाटा कम होने के साथ ही भारत के बारे में वैश्विक धारणा में सकारात्मक बदलाव आ रहा है | विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में जिस बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है वह निश्चित तौर पर उत्साहित करने वाला है लेकिन इस सबके बीच पेट्रोल – डीजल की कीमतों का फिर से बढ़ने  लगना चिंता का कारण बन रहा है | खबर है कि कच्चे तेल के दाम 125 डॉलर प्रति बैरल की सर्वकालिक ऊँचाई को छूने वाले हैं | ऐसा होने पर भारत में इनकी कीमतों के 150 रु. प्रति लिटर तक पहुँचने की  आशंका है | चूँकि हमारा देश बैटरी चालित वाहनों के दौर में कदम रख ही रहा है इसलिए आने वाले एक दशक तक पेट्रोल और डीजल के बिना हमारी परिवहन व्यवस्था चल नहीं सकेगी | इनकी कीमतों का असर समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ने से बाकी चीजों के दाम भी प्रभावित होते हैं | कोरोना काल के बाद भारत में महंगाई जिस तेजी से बढ़ी उसमें पेट्रोल – डीजल की कीमतों का भी योगदान है | बीते महीने जीएसटी कौंसिल की  बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को भी उस दायरे में लाने की चर्चा चली लेकिन राज्यों के बीच  सर्वसम्मति न बन पाने से  बात नहीं बनी | लेकिन अर्थव्यवस्था को  जनोन्मुखी बनाना है तो केंद्र सरकार को राज्यों से बात कर उनको पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के अंतर्गत लाने के लिये राजी करना चाहिए | इस बारे में व्यवहरिक नजरिये से देखें तो पेट्रोल – डीजल जैसी चीजें सस्ती होने से बाकी सबकी कीमतें भी उसी अनुपात में घटेंगी जिससे बाजार में मांग बढ़ने के फलस्वरूप सरकार के पास आने वाला जीएसटी उतना ही रहेगा | दीपावली के अवसर पर सरकार जनता को तरह – तरह की राहतें बतौर उपहार देती है | इस वर्ष यदि पेट्रोल – डीजल आदि को जीएसटी के दायरे में ले आया जाए तो वह उपभोक्ता  और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अच्छा कहा जाएगा | कोरोना काल में सरकार द्वारा अपनाई गई नीति का औचित्य तो साबित किया जा सकता है किन्तु अब जबकि गाड़ी पटरी पर आती दिख रही है और उससे प्रभावित होकर सरकार भी आर्थिक सुधार लागू करने के बारे में साहसिक कदम उठाने का हौसला  दिखा रही है तब पेट्रोल - डीजल को भी जीएसटी की सूची में शामिल किया जाए तो वह मौजूदा हालात में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार होगा | हालाँकि आर्थिक विषयों पर सुझाव देना बड़ा आसान होता है किन्तु जहां तक सवाल पेट्रोल – डीजल का है तो उनको जीएसटी के अंतर्गत लाने में जिस तरह की रुकावटें बताई जाती हैं वे व्यर्थ के बहाने हैं | केंद्र सरकार के सामने दीपावली एक अवसर है | उसे चाहिए वह जीएसटी कौंसिल की बैठक अविलम्ब बुलाकर पेट्रोल – डीजल को भी उसके दायरे में लाने हेतु अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राज्यों को नुकसान की भरपाई हेतु आश्वस्त करे तो उसका अर्थव्यवस्था पर अनुकूल असर पड़ना तय है | पैसा जितनी बार घूमेगा सरकार को उतना कर मिलेगा | सरकार के सलाहकार उसे इतनी आसान बात नहीं समझा पा रहे ये आश्चर्य का विषय है |

- रवीन्द्र वाजपेयी


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