Wednesday 27 October 2021

चीन का दोगलापन : इस्लामिक आतंकवाद का समर्थन और इस्लाम का दमन



चीन साम्यवादी विचारधारा से शासित देश है | वहां एकदलीय  लोकतंत्र है जिसमें चुनाव किस तरह होते होंगे ये समझने वाली बात है | राष्ट्रपति शी जिन पिंग खुद को आजीवन राष्ट्रपति घोषित  करवाकर तानाशाह बन बैठे हैं  | वर्तमान विश्व में जो ताकतवर नेता माने जाते हैं उनमें वे  भी  है | चीन निश्चित रूप से आर्थिक और सैनिक महाशक्ति होने के साथ ही अमेरिका को खुलकर चुनौती देने वाला प्रमुख देश है | कोरोना काल में पूरी दुनिया उस पर संदेह करती रह गई लेकिन उसका कुछ नहीं बिगड़ा  | ये देश अब माओ के लौह आवरण को तोड़कर विशुद्ध पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपना चुका है जहां  बहुराष्ट्रीय कम्पनियां जन्म ले चुकी हैं और  दुनिया भर के बड़े ब्रांड चीन में उत्पादन कर रहे हैं | लेकिन इस सबके बावजूद चीन अपनी रहस्यमय नीतियों और गोपनीय कार्यप्रणाली के लिए कुख्यात है |  पड़ोसियों को धमकाते हुए उनकी जमीन पर कब्जा करना उसके स्वभाव  में है | दक्षिणी चीन के समुद्री क्षेत्र पर दादागिरी से आधिपत्य जमा लेने की उसकी कोशिशों के विरुद्ध ही अमेरिका , जापान , आस्ट्रेलिया , भारत और ताईवान मिलकर मोर्चेबंदी कर  रहे हैं जिसमें उत्तर कोरिया को छोड़कर अन्य  दक्षिण एशियाई देश भी साथ हैं |  पश्चिम एशिया में होने वाली प्रत्येक जंग में वह अमेरिका के विरोध स्वरूप इस्लामिक आतंकवादी संगठनों को सहायता और समर्थन देता है | ये जानते हुए भी कि तालिबान इस्लामिक कट्टरता के जीवंत प्रतीक हैं  , उनकी सरकार को मान्यता देने वाला दुनिया का वह पहला देश था | इसी तरह पकिस्तान में पल रहे इस्लामिक आतंकवादी संगठनों को प्रश्रय देकर कश्मीर में गड़बड़ी करवाने में भी उसकी भूमिका रहती है | लेकिन अपने देश में रहने वाले मुसलमानों के प्रति चीन सरकार की बेरहमी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है परन्तु  मानवाधिकार के ठेकेदार और मुस्लिम देशों के राष्ट्रप्रमुख इसका विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे | उल्लेखनीय है कि भारत द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के अलावा नागरिकता संशोधन कानून बनाने पर तमाम मुस्लिम देश विरोध करने आगे आये थे | मलेशिया और टर्की ने तो संरासंघ तक में भारत के विरूद्ध खूब ज़हर उगला | लेकिन चीन में पहले तो उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न की ही खबरें आया करती थीं किन्तु अब देश के अन्य अंचलों में बसे बाकी मुस्लिम समुदायों के दमन की जानकारी भी पूरे दुनिया में उजागर हो चुकी है | मस्जिदों के गुम्बज तोड़कर उनको चीनी वास्तु शैली  के अनुरूप किया जा रहा है | दाढ़ी रखने के अलावा ईद और मुहर्रम के सार्वजनिक आयोजन पर भी रोक है | अरबी और फारसी नाम भी नहीं रखने दिए जा रहे | मुसलमानों पर चीनी भाषा थोपी जा रही है | कुल मिलाकर चीन सरकार का उद्देश्य ये है कि चीन में रहने वाले मुसलमानों का अरब से कोई सम्बन्ध न रहे | उनकी धार्मिक - सांस्कृतिक परम्पराओं  और रीति - रिवाजों को योजनाबद्ध तरीके से नष्ट करने की पूरी तैयारी जिन पिंग सरकार द्वारा कर ली गयी है | इसके लिए वही तरीके उपयोग किये जा रहे हैं जिनके ज़रिये तिब्बत में बौद्ध धर्म और संस्कृति को नष्ट करते हुए  चीनी मूल की आबादी को बसा दिया गया | चीन आने वाले  पर्यटकों को तिब्बत जाने की इजाजत नहीं दी जाती | यहाँ तक कि विदेशी राजनयिक और राष्ट्रप्रमुखों के अलावा मानव अधिकारों के हनन की जांच करने वाली अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों तक को तिब्बत के अलावा मुस्लिम बहुल इलाकों में जाने पर मनाही है | साम्यवादी विचारधारा ईश्वर में विश्वास नहीं रखती | माओ ने तो धर्म को अफीम तक कहा था | लेकिन वही चीन इस्लामिक आतंकवाद को हर तरह का सहयोग और संसाधन उपलब्ध करवाते हुए विश्व शांति के लिए खतरा पैदा करता है | आश्चर्यजनक बात ये है कि दुनिया भर के इस्लामिक संगठन चीन में मुस्लिम आबादी के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार और दमनात्मक कार्रवाही पर मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर पाते | टर्की और मलेशिया को भारत के मुसलमान तो खतरे में  नजर आते हैं लेकिन चीन में रह रहे मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों पर उनकी आवाज नहीं निकलती |  सऊदी अरब पूरी दुनिया में इस्लाम का सरपरस्त बनता है लेकिन उसने भी चीन में इस्लाम के अनुयायियों पर होने वाले अत्याचारों को अनदेखा कर रखा है |  चीन के टुकड़ों पर पलने के कारण  तालिबान और पाकिस्तान तो मुस्लिम बिरादरी पर जिन पिंग सरकार द्वारा ढाए जा रहे जुल्मों पर चुप्पी साधी रहने बाध्य हैं परन्तु  कच्चे तेल की अकूत संपदा संपन्न इस्लामिक देश भी  जिन पिंग सरकार के विरुद्ध एक शब्द नहीं कहते | इससे चीन का हौसला तो बुलंद होता  है लेकिन मुस्लिम देशों  का दब्बूपन भी सामने आ रहा है | भारत में भी मुस्लिमों के हित में बोलने वाले अनेक धर्मगुरु और संगठन हैं | लेकिन वे  भी चीन में मुस्लिम आबादी पर हो रहे जुल्मों पर मुंह खोलने की हिम्मत नहीं बटोर पा रहे | सबसे संदिग्ध  स्थिति उन वामपंथियों की है जो भारत  में असहिष्णुता का हल्ला मचाकर अवार्ड वापिसी का नाटक करते हैं लेकिन चीन में जिन पिंग सरकार द्वारा मुसलमानों के प्रति प्रदर्शित असहिष्णुता और अमानवीयता पर उनके मुंह में दही जमा हुआ है | सबसे बड़ी बात इस बारे में विश्व मानव अधिकार संगठन और संरासंघ की उदासीनता की  है जो  कुछ करना तो दूर रहा बोलने तक की हिम्मत नहीं दिखा पाते | पूरी दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद को दाना पानी देकर पनपने में मदद करने वाला चीन अपने देश में इस्लामिक आतंकवाद को न पनपने देने के प्रति बेहद सतर्क है और इसीलिये वह मुस्लिम आबादी के दमन में ज़रा भी संकोच नहीं करता | और तब  पर भी  खुद को इस्लामिक देश मानने वाले  तालिबान और पाकिस्तान चीन के तलवे चाटने में जुटे रहते हैं  |   

- रवीन्द्र वाजपेयी


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