Saturday 23 October 2021

सिद्धू और कैप्टेन की लड़ाई में पाकिस्तान बना पंजाब चुनाव का मुद्दा



पंजाब की सियासत नित नए रंग बदल रही है | नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने और कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद ये लग रहा था कि शायद तूफ़ान शांत हो जाएगा | लेकिन सिद्धू अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे वहीं कैप्टन अपने अपमान का बदला लेने के लिए मोर्चेबंदी कर रहे हैं |  मुख्यमंत्री की कुर्सी हाथ से  खिसक जाने के बाद सिद्धू ने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देकर दबाव बनाने की कोशिश की किन्तु कांग्रेस आलाकमान ने उनके होश ठिकाने लगा दिए और जिस नए मुख्यमंत्री के बारे में वे कहते सुने गए कि 2022  के चुनाव में वह कांग्रेस की नैया डुबो देगा उसी के साथ सात घंटे बैठकर सत्ता और संगठन संबंधी चर्चा करने जा पहुंचे | प्रदेश में कांग्रेस के पहले दो खेमे थे लेकिन कैप्टन की सत्ता चली जाने के बाद अब तीन खेमे हो गये हैं |  जैसे संकेत हैं अमरिंदर अपनी अलग पार्टी बनाने जा रहे हैं | पहले वे भाजपा से नजदीकियां बढ़ने से इंकार करते रहे लेकिन बीते कुछ समय से  राष्ट्रवाद के नाम पर उससे हाथ मिलाने तैयार दिख रहे हैं | उनकी केन्द्रीय मंत्री अमित शाह के साथ हुई अन्तरंग चर्चा कहने को तो पंजाब की सुरक्षा को लेकर थी किन्तु जैसा बताया जा रहा है उसके अनुसार अमरिंदर ने गृह मंत्री  को अपनी सरकार के कुछ मंत्रियों के  बारे में कुछ गोपनीय जानकारी दी है जिसका राजनीतिक उपयोग भविष्य में भाजपा कर सकती है | सीमा सुरक्षा बल ( बीएसएफ ) का अधिकार क्षेत्र 50 किमीं तक बढ़ाये जाने का समर्थन कर अमरिंदर ने केंद्र सरकार के साथ अपने रिश्ते और मजबूत बनाये हैं | कैप्टेन का अलग पार्टी बनाकर भाजपा से गठबंधन करने की सम्भावना ने कांग्रेस की चिंताएं बढ़ा दी हैं | हालाँकि ये सपष्ट है कि भाजपा के साथ चुनावी गठजोड़ करने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री सत्ता हासिल नहीं कर सकेंगे किन्तु कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में उन्हें कामयाबी मिल जाये तो आश्चर्य नहीं होगा | यही वजह है कि कैप्टेन के राष्ट्रवाद और पंजाब की सुरक्षा के मद्देनजर सिद्धू के  पाकिस्तान के  इमरान खान और सेनाध्यक्ष जनरल वाजवा से दोस्ताने को लेकर किये जाने वाले  हमलों को बेअसर करने के लिए राज्य सरकार के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अमरिंदर की पाकिस्तानी महिला मित्र अरूसा आलम के उनके  सरकारी निवास पर लम्बे समय तक रहने का मुद्दा उछालकर कैप्टेन पर  पाकिस्तान से सम्बन्धों का आरोप लगा दिया | उल्लेखनीय है एक समय ऐसा आया था जब अरूसा और कैप्टेन के निजी संबंधों को लेकर खूब हल्ला मचा था | उस मामले की जाँच भी हुई थी जिसमें  कैप्टेन को पाक - साफ़ बताया गया | उसके बाद वे मुख्यमंत्री भी बने | अब जबकि वे कांग्रेस के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं तब उनके साथ मंत्री रहे श्री रंधावा ने जो हमला किया वह इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस भी अमरिंदर से  दो – दो हाथ करने तैयार हो गयी है | लेकिन कैप्टेन ने श्री रंधावा से पूछा कि उनके साथ मंत्री रहते हुए उन्होंने ये सवाल क्यों नहीं उठाया गया और फिर अरूसा के साथ सोनिया गांधी की फोटो जारी करते हुए कांग्रेस के तीर को उसी की तरफ मोड़ दिया | इस मामले में सोचने वाली बात ये है कि कैप्टेन ने सिद्धू के पाकिस्तान के साथ रिश्तों को राजनीतिक हमले का जरिया बनाने का दांव चला  तो कांग्रेस ने भी उन पर पाकिस्तानी महिला के वीजा को प्रायोजित करने तथा उसे अपने सरकारी आवास में लम्बे समय तक ठहराने का आरोप लगाकर उनकी देशभक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाने का पलटवार किया |   इस तरह के आरोपों से पंजाब में कांग्रेस की बची – खुचे साख भी मिट्टी में मिल रही है | सिद्धू और कैप्टेन दोनों की लड़ाई में पंजाब कांग्रेस के हाथ से निकलता दिख रहा है | इसका लाभ भाजपा को तो मिलने से रहा किन्तु आम आदमी पार्टी को बैठे - बिठाये लाभ मिलना तय है | हालांकि चुनाव नतीजों की अंतिम भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी किन्तु कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के मामले में जिस अपरिपक्वता और अदूरदर्शिता का परिचय दिया उसके कारण इस सीमावर्ती राज्य में उसके वरिष्ठ नेता एक दूसरे की देशभक्ति पर संदेह व्यक्त करने की हद तक आ गये है | एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए ये स्थिति वाकई शर्मनाक है | सत्ता और चुनाव तो आते जाते रहते हैं किन्तु  किसी पार्टी के बड़े नेता एक दूसरे पर पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध रखने का आरोप लगाएं तो हाईकमान को आगे आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए | वैसे भी कैप्टेन ने श्रीमती गांधी के  साथ अरूसा का चित्र प्रसारित कर मामले को और उलझा दिया है | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment