Thursday 14 October 2021

विकास दर के आकलन में छिपे हैं उज्जवल भविष्य के संकेत



अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत  की विकास दर 9.5  फीसदी रहने का अनुमान लगाते हुए कहा कि ये दुनिया भर में सबसे ज्यादा होगी | कोरोना का कहर न आया होता तो पिछले वित्तीय वर्ष में ही भारत की विकास दर दहाई के आंकड़े के करीब पहुँच जाती | जैसे संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार कोरोना के दूसरे दौर की भयावहता के बाद  देश में आर्थिक गतिविधियाँ तेज हो गईं | कुछ क्षेत्रों में तो उम्मीद से ज्यादा अच्छे परिणाम आ रहे हैं | अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों  ने भी भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर सकारात्मक आकलन किये हैं | सबसे बड़ी बात ये है कि भारत में मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर आश्चर्यजनक रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तथा कोरोना काल के बाद निर्यात में भी वृद्धि के संकेत हैं | केंद्र सरकार ने कोरोना काल में औद्योगिक इकाइयों को जिस तरह के प्रोत्साहन दिए उसकी वजह से अनेक सेक्टरों में  कच्चे माल के लिये चीन पर निर्भरता कम हुई जिससे लागत घटी और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के उत्पाद प्रतिस्पर्धा में टिके रहने में सक्षम साबित हो रहे हैं | घरेलू परिदृश्य पर नजर डालें तो दवा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग काफी तेजी से बढ़ी है | दवाईयाँ बनाने वाली इकाइयों को कच्चा माल तैयार करने के लिए जो सहायता और प्रोत्साहन सरकार ने बीते एक साल में दिया उसके नतीजे दिखाई देने लगे हैं | कोरोना के टीके का घरेलू उत्पादन होने से भी  अर्थव्यवस्था को जबरदस्त सहारा मिला | तीसरी लहर को रोकने में भारत का टीकाकरण अभियान निश्चित रूप से कारगर रहा | कल तक की जानकारी के मुताबिक 52.23 फीसदी आबादी को कोरोना का पहला और 22.80 फीसदी को दोनों टीके लग चुके हैं | इस कारण कोरोना के संक्रमण को नियंत्रित करना संभव हुआ  और देश लॉक डाउन की स्थिति से बाहर आ सका | वैसे भी तीसरी लहर को लेकर चिकित्सा जगत आश्वस्त कर चुका था कि  उसका प्रकोप बहुत कम  रहेगा | यद्यपि कुछ समय पहले तक केरल और महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण खतरनाक संकेत दे रहा था लेकिन बीते कुछ दिनों से नये मरीजों की संख्या में लगातार कमी आने से शुरुवाती आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं | इसका सीधा असर बाजार पर पड़ा जहां एक साल से सुस्त पड़ी मांग ने जोर पकड़ा जिससे प्रभावित होकर कारखानों के साथ ही इन्फ्रा स्ट्रक्चर के  काम ने तेजी पकड़ी | इसका लाभ ये हुआ कि लॉक डाउन की वजह से बेरोजगार हुए लोगों को काम मिलने की शुरुवात हुई | गत दिवस इस बारे में कुछ विशेषज्ञों की जो राय आई है उसके अनुसार भारत में बेरोजगारी के  जो काले  बादल गत वर्ष आये थे , वे छंटने लगे  हैं और आगामी एक दशक तक उद्योग – व्यापार के सभी क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति बहुत ही  अच्छी रहेगी | केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित कुछ रियायतों से उद्योग जगत खासा प्रभावित है और जिसका असर तत्काल परिलक्षित होने भी लगा | कोरोना रूपी त्रासदी ने भारत के आम आदमी की सोच में जो आमूल परिवर्तन किये उसके प्रभावस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों ने आपदा में अवसरों का सृजन करने का चमत्कार कर दिखाया | ढर्रे से हटकर उच्च शिक्षित्त युवा पेशेवरों ने जिस प्रकार की उद्यमी विविधता का परिचय दिया उसने कम पूंजी में आय के नए स्रोत तलाशने की राह दिखाई है | सेवा क्षेत्र के अकल्पनीय विकास ने स्व - रोजगार के जो अवसर  उत्पन्न किये उससे ये साबित हो गया है कि देश विपरीत हालातों में भी अपना लक्ष्य  नहीं भूला , अपितु उसने आगे बढ़ने के नए रास्ते भी बना लिए जो किसी भी राष्ट्र के आत्मविश्वास और संघर्षशीलता का परिचायक होता है | हालाँकि अर्थव्यवस्था के सामने चुनैतियां पूरी तरह से खत्म हो गईं ये सोचना जल्दबाजी होगी क्योंकि कोरोना के बाद की वैश्विक व्यवस्था में काफी कुछ बदला हुआ होगा और उसी के बीच भारत को अपने लिए सम्मानजनक और सुरक्षित जगह बनानी होगी | विशाल उपभोक्ता बाजार के कारण दुनिया भर के निवेशक यदि भारत में रूचि दिखा रहे हैं तो वह हवा – हवाई नहीं है | शेयर बाजार के सूचकांक का 60 हजार के पार चला जाना भले ही आम आदमी के लिए मायने न रखता हो किन्तु कारोबारी गतिविधियों के लिए वह मौसम की भविष्यवाणी जैसा होता है | महंगाई , विशेष रूप से पेट्रोल – डीजल के निरंतर बढ़ते दाम हालाँकि समस्या बन रहे हैं लेकिन देश में वैकल्पिक ईंधन का उपयोग बढ़ाने की दिशा में हो रहे प्रयास देर सवेर रंग लायेंगे | उस दृष्टि से आने वाले कुछ साल निश्चित तौर पर संक्रांति काल होंगे | लेकिन जिस तरह दूसरे महायुद्ध के उपरांत दुनिया का शक्ति संतुलन और आर्थिक केंद्र बदले , ठीक वैसे ही कोरोना काल  के बाद होना सुनिश्चित है और उसमें भारत की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगी | कोरोना से उबरने के बाद देश के आम आदमी में नजर आ रहा आत्मविश्वास  सुखद और सुरक्षित भविष्य के  संकेत दे रहा है | शारदेय नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान दिख रहा उत्साह और दीपावली के पूर्व  बाजार से मिल रहे अग्रिम संकेत अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आकलन को प्रामाणिक साबित कर रहे हैं |  

-रवीन्द्र वाजपेयी

 

 

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