Friday 8 October 2021

कश्मीर घाटी का जन सँख्या असंतुलन दूर करना जरूरी



कश्मीर घाटी  से लगातार तीसरे दिन बुरी खबर आई | बीते मंगलवार को श्रीनगर में तीन लोगों  की हत्या  के बाद बुधवार को  एक कश्मीरी पंडित दवा व्यवसायी की उसके परिसर में  गोली मारकर हत्या कर दी गई थी | गत दिवस भी श्रीनगर के एक सरकारी विद्यालय में कुछ आतंकवादी घुसे और सभी शिक्षकों के पहिचान पत्र देखने के बाद उनमें से दो को  मौत के घाट उतारकर भाग गये | मृतकों में एक सिख महिला प्राचार्य और दूसरा हिन्दू शिक्षक था | इस घटना की जिम्मेदारी जिस टीआरएफ नामक आतंकवादी संगठन ने ली उसकी जड़ें पाकिस्तान में बताई जाती हैं और वह लश्कर ए तैयबा की ही शाखा है जिसका उद्देश्य गैर मुस्लिमों को निशाना बनाना है | उसके प्रवक्ता अहमद खालिद ने एक बयान में कहा कि उनके संगठन ने पोस्टर के माध्यम से 15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस समारोह नहीं मनाने कहा था लेकिन मारे गये दोनों शिक्षकों ने अभिभावकों और विद्यार्थियों को समारोह में शामिल होने को बाध्य किया | जैसी जानकारी आ रही है उसके अनुसार आतंकवादियों ने छोटी – छोटी घटनाओं के जरिये घाटी में रह रहे हिन्दुओं और सिखों में दहशत फ़ैलाने की योजना बनाई है | मंगलवार को जिन तीन लोगों को मारा गया उनमें कश्मीरी पंडित और स्थानीय व्यक्ति के अलावा बिहार का एक श्रमिक भी था | इस तरह तीन दिनों के भीतर राजधानी श्रीनगर में हुईं छह हत्याओं में पांच गैर मुस्लिम हैं | कल हुई वारदात में तो हत्यारों ने बाकायदा धर्म का पता कर  हत्या की | आज ही खबर आई है कि कश्मीर से पलायन कर चुके पंडितों की  संपत्ति पर किये गए अवैध कब्जे खाली करवाए जाने से भूमाफिया काफी नाराज है | राज्य सरकार ने घाटी से बाहर विस्थापित पंडितों से उनके संपत्ति का ब्यौरा पोर्टल पर मांगकर उस पर हुए अवैध कब्जे हटवाने का जो अभियान छेड़ा उससे कब्जेदार बौखलाए हुए हैं | ये जानकारी भी मिली है कि उक्त हत्याएं स्थानीय अपराधियों को पैसा देकर इसलिए करवाई जा रही हैं जिससे घाटी में रह रहे गैर मुस्लिमों के मन में खौफ पैदा हो और जो कश्मीरी पंडित घाटी  में लौटने की तैयारी कर रहे हैं उनका  उत्साह  ठंडा हो जाये |  बीते कुछ दिनों से अलगाववादियों ने  छोटी घटनाओं के जरिये दहशत फ़ैलाने की जो रणनीति प्रदर्शित की है उसका परिणाम जम्मू क्षेत्र के जो लोग घाटी में रह रहे हैं उनके घर लौटने से मिलने लगा है | कुछ समय पहले तक आतंकवादियों ने पुलिस और सुरक्षा बलों में कार्यरत मुस्लिमों को मारने का सिलसिला भी चलाया था जिसकी वजह से स्थानीय जनता में नाराजगी व्याप्त थी | शायद  इसीलिये अब मुस्लिमों को छोड़कर हिन्दू और सिखों को निशाना बनाया जा रहा है | हालांकि सुरक्षा बल भी घाटी के भीतर आतंकवादियों को घेरकर मारने में जुटे हैं और आये दिन उनके खात्मे की खबर भी आती है | लेकिन हत्याओं की इस श्रृंखला ने  संकेत दिया है कि अफगानिस्तान में तालिबानी हुकुमत के स्थापित होते ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद को नए सिरे से खड़ा करने का प्रयास हो रहा है | इसीलिये इन घटनाओं को दूरगामी प्रभाव के मद्देनजर देखा जाना चाहिए | जम्मू में विधानसभा की सीटें बढ़ाकर कश्मीर घाटी का राजनीतिक प्रभुत्व कम करने से वहां  के राजनीतिक छत्रपों में घबराहट है |  अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को ये बात समझ में आने लगी है कि विधानसभा सीटों का परिसीमन होने के बाद उनका आभामंडल फीका पड़ जाएगा | घाटी के  बाकी नेताओं को भी इस बात की  चिंता है कि अगर कश्मीरी पंडितों घाटी में लौटे तो इससे वहां भी राजनीति में उनकी हिस्सेदारी बढ़ने के साथ ही  भविष्य में कारोबार और नौकरियों में भी उनकी मौजूदगी नजर आयेगी | 1990 में पंडितों के पलायन के बाद घाटी में मुस्लिम समुदाय तकरीबन 99 फीसदी  हो गया जिससे आतंकवाद को पनपने के लिए अनुकूल हालात मिले | लेकिन बीते दो साल में  गैर मुस्लिमों की आवक - जावक  बढ़ने लगी थी | पर्यटन के क्षेत्र में भी बाहर से आये व्यवसायी संभावनाएं तलाशने लगे थे | जाहिर है यदि इस तरह हिन्दू और सिखों को मारने का सिलसिला जारी रहा तो फिर गैर मुस्लिमों को जान की चिंता सतायेगी और पर्याप्त सुरक्षा न मिली तो वे पलायन करने मजबूर होंगे | लेकिन इतनी जल्दी हताश होने की जरूरत भी नहीं है | केंद्र सरकार ने अचानक उत्पन्न परिस्थिति से निपटने के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है वहीं जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी मौतों का हिसाब बराबर करने की बात कही है | लेकिन इस तरह की समस्या तब तक आती रहेगी जब तक  कश्मीर घाटी का जनसँख्या संतुलन मुस्लिमों के पक्ष में झुका रहेगा | केंद्र सरकार को चाहिए वह कश्मीरी पंडितों के अलावा देश के अन्य राज्यों के लोगों को वहां बसने की अनुमति के साथ उनकी सुरक्षा का समुचित प्रबंध भी करे | सेवा निवृत्त  फौजियों को घाटी में कृषि हेतु भूमि देकर बसाने जैसी योजना भी समय – समय पर चर्चा में आई है | उन्हें शस्त्र लायसेंस भी दिए जाएं जिससे समय पड़ने पर वे अलगाववादी तत्वों को उन्हीं की भाषा में जवाब दे सकें | पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद यदि नियंत्रण में आया तो उसका एक कारण वहां जनसँख्या का असंतुलन न होने के साथ उसका अन्य राज्यों से घिरा होना था | कश्मीर घाटी के साथ ये समस्या जरूर है कि उसकी सीमा पाकिस्तान से मिलने से आतंकवाद का आयात आसानी से हो जाता है जिसमें उसका मुस्लिम बहुल होना सहायक बन जाता है | धारा 370 के खात्मे के बाद घाटी के अलगाववादी ये तो समझ गये हैं कि विशेष स्थिति वाला पुराना दौर तो आने से रहा | इसलिए वे इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि बाहर  से आने वालों के मन में  असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया जाए | हालाँकि धर्मनिरपेक्षता का झन्डा उठाकर घूमने वालों को  घाटी में जनसंख्या असंतुलन  खत्म करने की योजना में साम्प्रदायिकता नजर आते देर नहीं लगेगी लेकिन ये बात अक्षरशः सही है कि देश के जिस भाग में भी हिन्दू अल्पमत में आते हैं वहां अलगाववादी ताकतें मजबूत हो जाती हैं | कश्मीर घाटी के भीतर गैर मुस्लिमों की संख्या मुट्ठी भर होने के कारण भारत के प्रति निष्ठावान मुस्लिम भी डर के कारण चुप रहने मजबूर हो जाते हैं | अनेक मुस्लिम पुलिसकर्मी और फौजियों की  आतंकवादियों ने जिस बेरहमी से हत्या की  उससे आम कश्मीरी मुस्लिम भी खौफ खाता है | केंद्र सरकार को चाहिए कश्मीर घाटी के जनसँख्या असंतुलन को दूर करने के लिए भी  वैसा ही साहस दिखाए जैसा धारा 370 हटाने में दिखाया था | 

- रवीन्द्र वाजपेयी


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